जयपुर. राजधानी की शान कही जाने वाली द्रव्यवती नदी कहने को तो ड्रीम प्रोजेक्ट है, लेकिन क्या स्वप्न परियोजना इतनी गंदी हो सकती है. ये शायद किसी ने सोचा नहीं होगा. आलम यह है कि द्रव्यवती नदी के बनने के बाद ये पहला मानसून है. बारिश के दौरान जहां कुछ जगहों पर द्रव्यवती नदी का नजारा देखकर लोग खुश हो रहे हैं, वहीं कुछ जगहों पर नदी में कचरे का ढेर लग गया है. जिससे एक बार फिर ये सवाल खड़ा हो रहा है कि द्रव्यवती नदी है या नाला.
करीब 47 किलोमीटर लंबी ये नदी राजवाड़े के दिनो में द्रव्यवती के नाम से जानी जाती थी लेकिन धीरे-धीरे यह अमीनशाह नाले में तब्दील हो गया. इन दिनों बारिश के समय में नदी में काफी पानी भी आ रहा है, लेकिन साथ ही कचरा एक बड़ी मुसीबत बन गया है.
जयपुर के अंबाबाड़ी क्षेत्र और महारानी फॉर्म पर तो हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. आलम यह है कि यहां कचरे के साथ साथ मरे हुए जानवर भी द्रव्यवती में देखने को मिल रहे हैं. जो इसके आंचल पर दाग लगाने का काम कर रहा है.
साफ पानी के लिए नदी के पास एसटीपी प्लांट लगाए गए हैं. ऐसे में जितना भी कचरा और नालियों का पानी यहां आता है, उसे एसटीपी प्लांट की मदद से साफ कर नदी में डाला जाता है लेकिन इस बारिश में एसटीपी प्लांट भी फेल होते हुए नजर आ रहा है. यहां काम कर रहे कर्मचारी और अधिकारियों के लिए भी ये कचरा बड़ी मुसीबत बन गया है.
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बहरहाल, रजवाड़ों के दिनों में द्रव्यवती के नाम से जाने जाने वाली 47 किलोमीटर लंबी ये नदी धीरे-धीरे अमानीशाह नाले में तब्दील हो रही है. इस नदी में करीब 3 हजार करोड़ रुपए की लागत से जीर्णोद्धार किया गया था, लेकिन एक बार फिर इसमें पड़ा कचरा लोगों को द्रव्यवती नदी को नाला कहने पर मजबूर कर रहा है