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गुजरात के केवड़िया में 80वां पीठासीन अधिकारी सम्मेलन...डॉ. सीपी जोशी ने दिए अहम सुझाव

गुजरात के केवड़िया में 80वां अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन चल रहा है. सम्मेलन में राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने सम्मेलन के समक्ष कई अहम सुझाव रखे. डॉ. जोशी ने वर्चुअल प्रश्नकाल और बेस्ट स्पीकर अवॉर्ड निर्धारित करने के सुझाव रखे.

Rajasthan Legislative Assembly Speaker, राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष,  Assembly Speaker CP Joshi, विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी
गुजरात के केवड़िया में पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में डॉ. सीपी जोशी
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Published : Nov 25, 2020, 10:35 PM IST

जयपुर/केवड़िया. गुजरात के केवड़िया में 80वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का आयोजन किया गया है. 27 नवंबर तक चलने वाले इस सम्मेलन में राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने भी शिकरत की और सम्मेलन प्रतिनिधियों के समक्ष कई अहम सुझाव रखे. डॉ. जोशी ने इस दौरान वर्चुअल प्रश्नकाल और बेस्ट स्पीकर अवॉर्ड निर्धारित करने के सुझाव रखे.

सम्मेलन में वर्चुअल असेंबली पर डॉ. जोशी का सुझाव

वर्चुअल असेंबली का सुझाव...

कोरोना काल में प्रदेश विधानसभाओं के सत्र कार्य बाधित होने के प्रश्न पर डॉ. जोशी ने भविष्य में वर्चुअल विधानसभा सत्र एवं प्रश्नकाल के आयोजन की संभावना पर अपने सुझाव दिए. उन्होंने कहा कि हमें ऐसी व्यवस्था की ओर बढ़ना है जिसमें वर्चुअल रूप से प्रश्नकाल का आयोजन किया जा सके ताकि जनता के काम न रुके.

राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने सम्मेलन में कहा कि संप्रभुता जनता में निहित होती है. विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका से अपेक्षा की जाती है कि सभी अपने संविधानिक प्रावधान के अनुरूप निर्धारित सीमा में कार्य संपादित करें. उन्होंने कहा कि कानून बनाना, उसे लागू करना और कानून की व्याख्या करना, तीनों ही अलग-अलग तरह के कार्य हैं. लोकतांत्रिक शासन प्रणाली की खूबसूरती इसी में है कि शासन के तीनों अंग परस्पर सामंजस्य के साथ कार्य करते हुए व्यवस्था को जनहित के अनुरूप मजबूती प्रदान करें.

डॉ. जोशी ने बेस्ट स्पीकर का चुनाव करने का सुझाव दिया

बेस्ट स्पीकर के चयन का सुझाव...

डॉ. जोशी ने गुजरात के केवड़िया में आयोजित 80वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए बेस्ट स्पीकर का चयन करने का भी सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि ऐसा करने से विधानसभा अध्यक्ष अपनी परफोर्मेंस के बारे जान पाएंगे.

डॉ. जोशी ने यह भी कहा कि संविधान के तीनों अंगों की प्रतिबद्धता जनता के प्रति होनी चाहिए, ना कि अन्यथा रूप से किसी विशेष लक्ष्य के प्रति. लोकतांत्रिक स्वरूप के लिए यही हितकारी है कि तीनों अंग परस्पर श्रद्धा पूर्वक एक दूसरे की स्वतंत्रता गरिमा और क्षेत्राधिकार का ध्यान रखते हुए कार्य करें.

जयपुर/केवड़िया. गुजरात के केवड़िया में 80वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का आयोजन किया गया है. 27 नवंबर तक चलने वाले इस सम्मेलन में राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने भी शिकरत की और सम्मेलन प्रतिनिधियों के समक्ष कई अहम सुझाव रखे. डॉ. जोशी ने इस दौरान वर्चुअल प्रश्नकाल और बेस्ट स्पीकर अवॉर्ड निर्धारित करने के सुझाव रखे.

सम्मेलन में वर्चुअल असेंबली पर डॉ. जोशी का सुझाव

वर्चुअल असेंबली का सुझाव...

कोरोना काल में प्रदेश विधानसभाओं के सत्र कार्य बाधित होने के प्रश्न पर डॉ. जोशी ने भविष्य में वर्चुअल विधानसभा सत्र एवं प्रश्नकाल के आयोजन की संभावना पर अपने सुझाव दिए. उन्होंने कहा कि हमें ऐसी व्यवस्था की ओर बढ़ना है जिसमें वर्चुअल रूप से प्रश्नकाल का आयोजन किया जा सके ताकि जनता के काम न रुके.

राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने सम्मेलन में कहा कि संप्रभुता जनता में निहित होती है. विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका से अपेक्षा की जाती है कि सभी अपने संविधानिक प्रावधान के अनुरूप निर्धारित सीमा में कार्य संपादित करें. उन्होंने कहा कि कानून बनाना, उसे लागू करना और कानून की व्याख्या करना, तीनों ही अलग-अलग तरह के कार्य हैं. लोकतांत्रिक शासन प्रणाली की खूबसूरती इसी में है कि शासन के तीनों अंग परस्पर सामंजस्य के साथ कार्य करते हुए व्यवस्था को जनहित के अनुरूप मजबूती प्रदान करें.

डॉ. जोशी ने बेस्ट स्पीकर का चुनाव करने का सुझाव दिया

बेस्ट स्पीकर के चयन का सुझाव...

डॉ. जोशी ने गुजरात के केवड़िया में आयोजित 80वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए बेस्ट स्पीकर का चयन करने का भी सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि ऐसा करने से विधानसभा अध्यक्ष अपनी परफोर्मेंस के बारे जान पाएंगे.

डॉ. जोशी ने यह भी कहा कि संविधान के तीनों अंगों की प्रतिबद्धता जनता के प्रति होनी चाहिए, ना कि अन्यथा रूप से किसी विशेष लक्ष्य के प्रति. लोकतांत्रिक स्वरूप के लिए यही हितकारी है कि तीनों अंग परस्पर श्रद्धा पूर्वक एक दूसरे की स्वतंत्रता गरिमा और क्षेत्राधिकार का ध्यान रखते हुए कार्य करें.

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