जयपुर. साल 2022 की दिवाली कई मायनों में खास है. इस बार दीपावली के ठीक अगले दिन 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण के कारण सुबह 4:15 सूतक लग जाएगा. ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 4:00 बजे तक ही लक्ष्मी पूजा के बाद महालक्ष्मी के पाटा को सरकाया जा सकेगा अर्थात पूजा का विसर्जन किया जा सकेगा. पंडितों का दावा है कि 27 साल बाद इस तरह का संयोग बन रहा है.
इस बार दीपावली पर्व पर अल सुबह 4.15 मिनट पर 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण का सूतक लगेगा. जिस कारण 24 अक्टूबर को अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त से पूर्व ही महालक्ष्मी का पाटा सरकाना होगा, अन्यथा देवी के भक्तों की छोटी से भूल के कारण, चंचल लक्ष्मी जी को भक्तों के घर में 72 घंटे कैद रहना होगा. शास्त्रोक्त सूतक लगने के 12 घंटे पहले ही लक्ष्मी जी की आराधना पूर्ण करनी होगी अन्यथा तीन दिन तक महा लक्ष्मी जी को पाटे पर ही विराजित रहना होगा.
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इस बार सूर्य ग्रहण दीपावली के दूसरे दिन 25 अक्टूबर को पड़ेगा. कार्तिक मास की अमावस्या का पड़ने वाला खंडग्रास सूर्य ग्रहण लगभग पूरे भारत में दिखाई देगा. मुख्य रूप से यूरोप, उत्तर-पूर्वी अफ्रीका और पश्चिम एशिया के कुछ हिस्सों से दिखाई देगा. इसके अलावा भारत में सूर्य ग्रहण नई दिल्ली, बेंगलुरु, कोलकाता सहित कुछ जगहों पर दिखाई दे सकता है.
अमावस्या के दिन लगने वाले इस सूर्य ग्रहण में लोकाचार और सूतक काल का मान होगा. 25 अक्टूबर को शाम 4:42 बजे से लगने वाले ग्रहण का मध्य काल शाम 5:14 बजे और मोक्ष काल शाम 5:22 बजे होगा. ऐसे में सूतक 25 अक्टूबर की सुबह 4.15 बजे लग जाएगा. सूतक काल ग्रहण लगने से आठ घंटे पहले से शुरू हो जाएगा. इसके बाद सभी मंदिरों के कपाट बंद हो जाएंगे. माेक्ष काल के बाद शुद्धीकरण के साथ मंदिरोंं के कपाट खुलेंगे और घरों में मां लक्ष्मी का पूजन होगा.
यह होता है ग्रहण में सूतक का महत्व- सूर्य ग्रहण भौगोलिक घटना है, जिसे कई बार आंखों से नहीं देखा जाता. दरअसल, सूर्य के चारों ओर पृथ्वी समेत कई ग्रह परिक्रमा करते रहते हैं. पृथ्वी का उपग्रह चन्द्रमा है और वह पृथ्वी की कक्षा में परिक्रमा करता रहता है. लेकिन कई बार ऐसी स्थिति हो जाती है कि सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक सीधे नहीं पहुंच पाता, क्योंकि चन्द्रमा बीच में आ जाता है. इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है.
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जानकारों का मानना है कि ग्रहण लगने से पहले के समय को अशुभ माना जाता है और इसे ही सूतक काल कहते हैं. सूतक काल में कोई भी मांगलिक काम नहीं होते और न ही किसी व्यक्ति को इस समय में नए काम शुरू करना चाहिए. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, सूर्य ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है और वह ग्रहण खत्म होने के बाद ही खत्म होता है. बताया जाता है कि अगर कहीं ग्रहण दिखाई नहीं देता तो वहां सूतक नहीं माना जाता. इस बार भारत में आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई दे रहा है तो सूतक मान्य होगा. आंशिक सूर्य ग्रहण का सूतक 03:17 AM पर शुरू होगा और 05:43 PM पर खत्म होगा.
यह काम होंगे वर्जित- सूर्यग्रहण में जो भी धार्मिक मान्यताएं हैं, उनका पालन करना चाहिए. जिसके तहत कई कार्य वर्जित होते हैं. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, सूतक काल में कोई भी शुभ काम को शुरू करने से बचें.
- सूर्य ग्रहण पर सूतक लगने के बाद कुछ भी खाना, पीना, पढ़ना, पढ़ाना, सोना आदि वर्जित है.
- घर के मंदिर का पट न खोलें. पका भोजन रखा हो तो उसे ग्रहण के बाद न खाएं. विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं को ध्यान रखना होता है कि उन्हें न तो सोना चाहिए न ही किसी वस्तु को काटना या सिलना चाहिए.
- शास्त्रों के अनुसार, ग्रहण के दौरान किसी भी तरह के मांगलिक और शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है.
- सूतक काल में भगवान की भक्ति करें.
- सूतक काल में न ही खाना बनाएं और न ही खाना खाएं. अगर खाना बना हुआ रखा है तो उसमें तुलसी के पत्ते डालकर रखें.
- सूतक काल में दांतों की सफाई और बालों में कंघी नहीं करने की भी मनाही होती है.
- सूतक काल में भगवान के मंदिर के पट बंद कर देना चाहिए.
- सूतक काल के दौरान सूर्य मंत्रों का जाप करना चाहिए.
- सूतक काल समाप्त होने के बाद घर की सफाई करें और उसके बाद भगवान की पूजा करें.
- सूतक काल में गर्भवती महिलाओं को घर के बाहर न जाने दें और विशेष सावधानी बरतें.
- सूर्य ग्रहण के दौरान "ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात" मंत्र का जाप करें .
वृषभ राशि वाले रहे सावधान- इस साल दिवाली वाली अमावस्या तिथि 24 और 25 अक्टूबर यानि दोनों दिन रहेगी. ऐसे में दिवाली 24 तारीख की रात को मनाई जाएगी और सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर की शाम को लगेगा. ज्योतिषविदों का दावा है कि त्योहारों के बीच पड़ रहे सूर्य ग्रहण और देव दिवाली के बाद 8 नवंबर को आने वाले चंद्रग्रहण से कई राशियों पर विपरीत प्रभाव भी देखा जाएगा. ये दोनों ग्रहण पांच राशि के जातकों की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं. त्योहारों के सीजन में पड़ने वाले सूर्य और चंद्र ग्रहण वृषभ राशि के जातकों के लिए बिल्कुल अच्छे नहीं माने जा रहे हैं. सूर्य और चंद्र ग्रहण के बीच वृषभ राशि के जातकों को संभलकर रहने की सलाह दी जाती है. सेहत के मामले में लापरवाही ना बरतें। दोनों ग्रहण की अवधि के बीच किसी नए काम की शुरुआत न करें.
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ग्रहण का समय
- अमावस्या तिथि आरंभ- 24 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 27 मिनट से शुरू होकर 25 अक्टूबर शाम 4 बजकर 18 मिनट तक.
- दिवाली का पर्व 24 अक्टूबर, सोमवार को मनाया जाएगा क्योंकि 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण पड़ रहा है.
- पंचांग भेद से 25 अक्टूबर को भी अमावस्या रहेगी.
- भारत में ग्रहण की शुरुआत शाम 4.15 से 5.30 के मध्य होगी.