जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि आपसी सहमति से लिए जाने वाले तलाक के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी होल्डर के जरिए भी तलाक की अर्जी पेश की जा सकती है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में फैमिली कोर्ट की ओर से ऐसी अर्जी को अस्वीकार करने के आदेश को निरस्त कर दिया है. अदालत ने फैमिली कोर्ट को आदेश दिए हैं कि वह तलाक की अर्जी का जल्द निस्तारण करे. इसके साथ ही प्रकरण की सुनवाई में इस आधार पर देरी नहीं की जाए कि पक्षकार व्यक्तिगत रूप से पेश नहीं हो रहे हैं.
इसके अलावा अदालत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग वीसी के जरिए सुनवाई कर सकता है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस प्रवीर भटनागर की खंडपीठ ने यह आदेश पति की याचिका को स्वीकार करते हुए दिए है. एक याचिका में अधिवक्ता दीपक चौहान ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता का फरवरी, 2022 में विवाह हुआ था. वहीं दोनों ने आपसी सहमति से तलाक लेने के लिए फैमिली कोर्ट, जयपुर में संयुक्त रूप से आवेदन कर दिया.
याचिकाकर्ता के विदेश में रहने के चलते उसने अपने भाई को पावर ऑफ अटॉर्नी देते हुए यह आवेदन किया था. वहीं फैमिली कोर्ट ने पावर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर आवेदन पेश करना बताकर प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया. याचिका में कहा गया कि फैमिली कोर्ट का यह आदेश गलत और विधि विरूद्ध है. यदि दोनों पक्षकार आपसी सहमति से तलाक चाहते हैं, तो एक पक्षकार के विदेश में रहने मात्र से प्रार्थना पत्र को निरस्त नहीं किया जा सकता है. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए प्रकरण का जल्द निस्तारण करने के आदेश दिए हैं.