जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस सरकार को अपने ही विधायकों और मंत्रियों के चलते दो बार (Political upheaval in Rajasthan) राजनीतिक उठापटक का शिकार होना पड़ा है. भले ही दो साल में दो राजनीतिक संकट झेलने के बावजूद सूबे में गहलोत सरकार चल रही हो, लेकिन अब भी संकट पूरी तरह से टला नहीं है और वर्तमान में इसकी जद में प्रदेश पार्टी संगठन है.
जुलाई 2020 में तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के सीएम गहलोत से नाराजगी के कारण सूबे में सरकार गिरने की नौबत आ गई थी. लेकिन 35 दिनों तक चले संघर्ष के बाद आखिरकार सीएम गहलोत (Political controversy in Rajasthan Congress) सरकार बचाने में सफल हो गए थे. बावजूद इसके उक्त घटनाक्रम का सीधा असर पार्टी संगठन पर पड़ा, जो आज पूरी तरह से नेस्तनाबूद होने के कगार पर है.
शायद कांग्रेस के इतिहास में भी ऐसा पहली बार ही हुआ होगा कि किसी प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष, यूथ कांग्रेस अध्यक्ष, सेवादल कांग्रेस अध्यक्ष को बगावत के आरोपों के चलते पदों से हटाया गया हो. साथ ही कार्यकारिणी तक भंग कर दी गई थी. हालात यह रहे कि जुलाई 2020 के बाद 6 महीने तक प्रदेश पार्टी संगठन के नाम पर केवल गोविंद डोटासरा ही पदाधिकारी के तौर पर शेष बचे रहे. वहीं, 6 महीने बाद उन्हें 40 पदाधिकारी और करीब 1 साल बाद 13 जिला अध्यक्ष मिले, लेकिन करीब सवा 2 साल गुजर जाने के बाद भी राजस्थान में कांग्रेस का संगठन तैयार नहीं हो सका है.
ऐसे में संगठनात्मक नेतृत्व के अभाव में पार्टी सरकार के भरोसे उपचुनाव, निगम व पंचायत चुनाव को ताल ठोकती नजर आई. ऐसे में यह माना जा रहा था कि अब दो साल से राजस्थान कांग्रेस के संगठन में जिन जिला अध्यक्षों, जिला कार्यकारिणी, ब्लॉक अध्यक्षों,ब्लाक कार्यकारिणी और पहली बार बीजेपी की तर्ज पर बनाए जाने वाले मंडल अध्यक्षों व मंडल कार्यकारिणियों की घोषणा कभी भी की जा सकती है. लेकिन 25 सितंबर के सियासी वाकया के बाद फिर से हालात वही ढाक के तीन पात वाली हो गई.
साथ ही संगठन में बनी नियुक्तियों के आसार पर फिर से ब्रेक लग गए. अब कहा जा रहा है कि पहले राजस्थान में सरकार को लेकर चल रही आलाकमान और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच अघोषित राजनीतिक उठापटक का पटाक्षेप होगा और फिर उसके बाद संगठन तैयार होगी. ऐसे में राजस्थान कांग्रेस के संगठन में नियुक्तियों के लिए अभी नेताओं को और इंतजार करना पड़ सकता है.
एक लाख से अधिक होनी है नियुक्तियां: राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के नेताओं को संगठन में नियुक्तियों का इंतजार है. लेकिन सूबे में पार्टी की सरकार होने के बावजूद व्याप्त सियासी संकटों ने सभी आसारों पर फिलहाल ब्रेक लगाने का काम किया है. ऐसे में अगर संख्या की बात की जाए तो प्रदेश में जिला, ब्लाक और मंडल स्तर पर करीब एक लाख के आसपास कांग्रेस पदाधिकारी बनाए जाने हैं. कांग्रेस संगठन ने बीजेपी की तर्ज पर इस बार प्रदेश में करीब 22 मंडल और उनकी कार्यकारिणी बनाने का निर्णय लिया है, लेकिन जिला और ब्लाक के बिना यह काम संभव नहीं है.
जानें कैसे होगी नियुक्तियां
जिलाध्यक्ष और जिला कार्यकारिणी: प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने 13 जिला अध्यक्षों की घोषणा कर दी थी, लेकिन उनमें से भी 5 जिला अध्यक्षों को कांग्रेस पार्टी के उदयपुर संकल्प के चलते इस्तीफा देना पड़ा था. संगठन के लिहाज से कांग्रेस को अब 42 जिलों की कार्यकारिणी और 37 जिलाध्यक्षों की घोषणा करनी होगी, क्योंकि अगले साल सूबे में विधानसभा चुनाव होना है. ऐसे में हर जिला कार्यकारिणी में कम से कम 100 पदाधिकारी होंगे. साथ ही जिल स्तर पर पार्टी की पकड़ मजबूत करने को अतिरिक्त 4300 पद बनाए जाएंगे.
400 ब्लॉक अध्यक्ष व उनकी कार्यकारिणी: कांग्रेस पार्टी में अगर सबसे मजबूत और ग्रास रूट लेवल का संगठन माना जाता है तो वह ब्लॉक अध्यक्ष और ब्लॉक पदाधिकारी होते हैं. लेकिन कांग्रेस में बीते सवा 2 साल से इनकी नियुक्ति ही नहीं हो सकी है. ऐसे में 400 ब्लॉक अध्यक्ष और हर ब्लॉक में 25 से 30 की कार्यकारिणी बनती है तो करीब 12,000 पदाधिकारी होंगे.
विभिन्न प्रकोष्ठ व उनकी कार्यकारिणी: राजस्थान में पिछले सवा 2 साल में 20 के करीब प्रकोष्ठ व संगठनात्मक विभागों में नियुक्तियां नहीं हो सकी है. हर विभाग और प्रकोष्ठ की प्रदेश कार्यकारिणी और जिला कार्यकारिणी बनती है. ऐसे में करीब 30 से 40,000 पदाधिकारी पूरे प्रदेश में विभिन्न प्रकोष्ठ और विभागों में बनाए जाने हैं.
बीजेपी की तर्ज पर बूथ व मंडल इकाई: बीजेपी की तरह ही कांग्रेस भी इस बार मंडल स्तर पर अपनी सक्रियता बढ़ाने की कोशिश में है. जिसको लेकर घोषणा भी की गई. जिसके तहत हर एक मंडल में 20 से 25 बूथ होंगे और पूरे प्रदेश में करीब 2200 मंडल बनाए जाएंगे. अब इन 2200 मंडलों और उनके पदाधिकारियों की संख्या को जोड़ा जाए तो यह भी करीब 50,000 के आसपास होगा. ऐसे में अगर कुल पदाधिकारियों की संख्या की बात की जाए तो करीब एक लाख से अधिक ही होगा.