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राजस्थान में निशुल्क दवा के लिए जन आधार कार्ड अनिवार्य, लाखों लोगों के सामने संकट

मुख्यमंत्री निशुल्क निरोगी राजस्थान योजना में पर्ची पर लगने वाला शुल्क खत्म कर दिया गया है. अब प्रदेश के सभी अस्पतालों में दवा लेने के लिए जन आधार कार्ड के आधार पर निशुल्क दवा और जांच का लाभ मिल सकता है. इस नियम के लागू होने के बाद लाखों लोगों के सामने समस्या उत्पन्न हो गई है. देखिए ये रिपोर्ट.

Jan Aadhar Card in Rajasthan
Jan Aadhar Card in Rajasthan
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Published : Aug 29, 2022, 8:56 AM IST

Updated : Aug 29, 2022, 2:26 PM IST

जयपुर. प्रदेश के सभी आम और खास को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिले इसको लेकर प्रदेश की गहलोत सरकार ने चिकित्सा सेवाओं को बेहतर किया है. निशुल्क दवा और जांच का अधिक से अधिक लाभ लेने के लिए ओपीडी और आईपीडी में पर्ची पर लगाने वाले 10 रुपए के शुल्क को भी खत्म कर दिया गया है. लेकिन इस सुविधा से उन लोगों के सामने दिक्कत खड़ी हो गई जिनके पास जन आधार कार्ड नहीं है. अब सामाजिक संगठनों ने सरकार से मांग की है कि जन आधार कार्ड की अनिवार्यता (Jan Aadhar Card in Rajasthan) को खत्म किया जाए.

ओपीडी और आईपीडी दोनों में जरूरी- जन स्वास्थ्य अभियान की सदस्य छाया पचौरी ने कहा कि मुख्यमंत्री निशुल्क निरोगी राजस्थान योजना को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सभी राजकीय चिकित्सालयों में आने वाले समस्त ओपीडी और आईपीडी मरीजों के लिए लगने वाली पर्ची शुल्क को खत्म कर राहत दी है. इसके साथ जन आधार कार्ड अनिवार्य (Jan Aadhar Card in Rajasthan) किया गया है. छाया ने कहा कि गहलोत सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करते हुए ओपीडी में निशुल्क पर्ची सिस्टम शुरू किया, लेकिन सरकार की यह लाभदायक योजना उन हजारों लोगों के लिए मुसीबत बन गई जो मूलतः राजस्थान के नहीं हैं, लेकिन लंबे समय से प्रदेश में अपना जीवन यापन कर रहे हैं. इसके साथ प्रदेश के घुमंतू समाज भी निशुल्क दवा और जांच योजना से बाहर हो गए.

लाखों लोगों के सामने संकट

पढ़ें- राजस्थान में चिकित्सा विभाग में भर्ती के वादे अधूरे, बेरोजगार लगा रहे चक्कर...

नकारात्मक प्रभावों पर किया जाएगा चिंतन- छाया ने कहा कि राजकीय चिकित्सालयों से OPD एवं IPD सेवाएं निःशुल्क प्राप्त करने के लिए समस्त रोगियों के लिए जन आधार कार्ड को अनिवार्य किया जाना अत्यंत ही चिंताजनक कदम है. इस निर्णय को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए. निःशुल्क स्वास्थ्य सेवाओं हेतु जन आधार कार्ड की अनिवार्यता को लागू करने की प्रमुख वजह राजकीय चिकित्सालयों में अन्य राज्यों से आने वाले रोगियों का भार कम करना बताया जा रहा है. लेकिन ऐसा लगता है कि इस नियम को लाने से पहले राज्य की जनसंख्या से जुड़ी विविधता और उसके विभिन्न आयाम के साथ इस निर्णय के चलते होने वाले संभावित नकारात्मक प्रभावों पर कोई विचार विमर्श नहीं किया गया.

इस आदेश के बाद प्रदेश के लाखों लोग जिनको की इसकी सबसे ज्यादा आवश्यकता थी, वे स्वास्थ्य लाभ से वंचित हो गए हैं. ऐसे में सरकार ने जिस मनसा से इस योजना को शुरू किया वह मंशा पूरी नहीं हो रही है. घुमंतू विकास परिषद के अध्यक्ष रतन लाल ने भी सरकार से मांग की है कि जन आधार की अनिवार्यता से प्रदेश के 30 लाख घुमंतू जाति के लोगों के सामने बड़ी दिक्कत है. रतन लाल ने बताया कि घुमंतू जाति के लोग एक स्थान से दूसरे स्थान घूमते हैं. ऐसे में ज्यादातर लोगों के पास जन आधार नहीं है.

ये दिए सुझाव

  • मुख्यमंत्री निशुल्क निरोगी राजस्थान योजना (Mukhyamantri Nishulk Nirogi Rajasthan Yojana) का दायरा बड़ा कर राज्य के सभी राजकीय चिकित्सालयों में किसी भी भेदभाव या मापदंडों के बिना सभी के लिए समस्त स्वास्थ्य सेवाओं को निःशुल्क किया जाना चाहिए.
  • निःशुल्क स्वास्थ्य सेवाओं के लिए राजकीय चिकित्सालयों में जन आधार कार्ड या किसी भी अन्य पहचान पत्र की अनिवार्यता तुरंत समाप्त की जाए. साथ ही इसके लिए सभी चिकित्सालयों को स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किया जाना चाहिए.

जयपुर. प्रदेश के सभी आम और खास को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिले इसको लेकर प्रदेश की गहलोत सरकार ने चिकित्सा सेवाओं को बेहतर किया है. निशुल्क दवा और जांच का अधिक से अधिक लाभ लेने के लिए ओपीडी और आईपीडी में पर्ची पर लगाने वाले 10 रुपए के शुल्क को भी खत्म कर दिया गया है. लेकिन इस सुविधा से उन लोगों के सामने दिक्कत खड़ी हो गई जिनके पास जन आधार कार्ड नहीं है. अब सामाजिक संगठनों ने सरकार से मांग की है कि जन आधार कार्ड की अनिवार्यता (Jan Aadhar Card in Rajasthan) को खत्म किया जाए.

ओपीडी और आईपीडी दोनों में जरूरी- जन स्वास्थ्य अभियान की सदस्य छाया पचौरी ने कहा कि मुख्यमंत्री निशुल्क निरोगी राजस्थान योजना को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सभी राजकीय चिकित्सालयों में आने वाले समस्त ओपीडी और आईपीडी मरीजों के लिए लगने वाली पर्ची शुल्क को खत्म कर राहत दी है. इसके साथ जन आधार कार्ड अनिवार्य (Jan Aadhar Card in Rajasthan) किया गया है. छाया ने कहा कि गहलोत सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करते हुए ओपीडी में निशुल्क पर्ची सिस्टम शुरू किया, लेकिन सरकार की यह लाभदायक योजना उन हजारों लोगों के लिए मुसीबत बन गई जो मूलतः राजस्थान के नहीं हैं, लेकिन लंबे समय से प्रदेश में अपना जीवन यापन कर रहे हैं. इसके साथ प्रदेश के घुमंतू समाज भी निशुल्क दवा और जांच योजना से बाहर हो गए.

लाखों लोगों के सामने संकट

पढ़ें- राजस्थान में चिकित्सा विभाग में भर्ती के वादे अधूरे, बेरोजगार लगा रहे चक्कर...

नकारात्मक प्रभावों पर किया जाएगा चिंतन- छाया ने कहा कि राजकीय चिकित्सालयों से OPD एवं IPD सेवाएं निःशुल्क प्राप्त करने के लिए समस्त रोगियों के लिए जन आधार कार्ड को अनिवार्य किया जाना अत्यंत ही चिंताजनक कदम है. इस निर्णय को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए. निःशुल्क स्वास्थ्य सेवाओं हेतु जन आधार कार्ड की अनिवार्यता को लागू करने की प्रमुख वजह राजकीय चिकित्सालयों में अन्य राज्यों से आने वाले रोगियों का भार कम करना बताया जा रहा है. लेकिन ऐसा लगता है कि इस नियम को लाने से पहले राज्य की जनसंख्या से जुड़ी विविधता और उसके विभिन्न आयाम के साथ इस निर्णय के चलते होने वाले संभावित नकारात्मक प्रभावों पर कोई विचार विमर्श नहीं किया गया.

इस आदेश के बाद प्रदेश के लाखों लोग जिनको की इसकी सबसे ज्यादा आवश्यकता थी, वे स्वास्थ्य लाभ से वंचित हो गए हैं. ऐसे में सरकार ने जिस मनसा से इस योजना को शुरू किया वह मंशा पूरी नहीं हो रही है. घुमंतू विकास परिषद के अध्यक्ष रतन लाल ने भी सरकार से मांग की है कि जन आधार की अनिवार्यता से प्रदेश के 30 लाख घुमंतू जाति के लोगों के सामने बड़ी दिक्कत है. रतन लाल ने बताया कि घुमंतू जाति के लोग एक स्थान से दूसरे स्थान घूमते हैं. ऐसे में ज्यादातर लोगों के पास जन आधार नहीं है.

ये दिए सुझाव

  • मुख्यमंत्री निशुल्क निरोगी राजस्थान योजना (Mukhyamantri Nishulk Nirogi Rajasthan Yojana) का दायरा बड़ा कर राज्य के सभी राजकीय चिकित्सालयों में किसी भी भेदभाव या मापदंडों के बिना सभी के लिए समस्त स्वास्थ्य सेवाओं को निःशुल्क किया जाना चाहिए.
  • निःशुल्क स्वास्थ्य सेवाओं के लिए राजकीय चिकित्सालयों में जन आधार कार्ड या किसी भी अन्य पहचान पत्र की अनिवार्यता तुरंत समाप्त की जाए. साथ ही इसके लिए सभी चिकित्सालयों को स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किया जाना चाहिए.
Last Updated : Aug 29, 2022, 2:26 PM IST
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