जयपुर: बीते डेढ़ साल से बच्चे भी घरों में कैद हैं. मार्च 2020 में राजधानी जयपुर में कोरोना का पहला केस (First Corona Case In Jaipur) सामने आया. उसके बाद कोरोना के मामले बढ़े तो सुरक्षा की दृष्टि से स्कूलों में लॉकडाउन लगा और बच्चे स्कूली शिक्षा से दूर होते चले गए.
हालांकि अब स्कूल दोबारा फुल स्ट्रैंथ के साथ खोल दिए गए हैं. लेकिन कई अभिभावक अभी भी अपने घर के चिरागों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं. आलम ये है कि कई बच्चे 5 साल के हो चुके हैं. लेकिन उन्होंने अब तक स्कूल की शक्ल तक नहीं देखी. ये अभिभावक अपने बच्चों को अभी एक साल और स्कूल नहीं भेजना चाहते और ऑनलाइन क्लास की भी (Online Options With Offline Classes) वकालत कर रहे हैं. सरकार भी यही कह रही है कि बच्चों पर स्कूल भेजने का दबाव न बनाया (Rajasthan Government On School Reopening) जाये.
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खतरा अभी टला नहींअभिभावक डरे हुए हैं. उनके डर का (Corona Fear In Jaipur) कारण भी साफ है. स्कूल खुलने के साथ ही बच्चों में कोरोना संक्रमण भी बढ़ता जा रहा है. अकेले राजधानी में 24 से ज्यादा स्कूली बच्चे पॉजिटिव (Corona Positive Students In Jaipur) आ चुके हैं. और प्रदेश में लगातार कोरोना की तीसरी लहर का खतरा (3rd Wave Threat In Rajasthan) बढ़ता जा रहा है. प्राइवेट और सरकारी दोनों स्कूल इससे अछूते नहीं है.
शिक्षा पर पड़ा रहा असर
हालांकि स्कूल संचालकों की माने तो कोरोना प्रोटोकॉल के साथ स्कूल संचालन (School Reopened With Corona Protocol) किया जा रहा है. और कब तक एजुकेशन से बच्चों को दूर रख पाएंगे. 3 साल के बच्चे जो एलकेजी और 4 साल के बच्चे यूकेजी में चले जाते थे, और 5 साल तक आते आते उनकी राइटिंग स्किल (Corona Effect On Kids Education) विकसित हो जाती थी. लेकिन अब 5 से 6 साल के बच्चों के एडमिशन हो रहे हैं, उन्हें एबीसीडी सिखानी पड़ रही है. स्कूल के बिना पेरेंट्स बेहतर एजुकेशन नहीं दे पाते. इससे क्वालिटी एजुकेशन का बड़ा लॉस (Loss Of Quality Education) हुआ है. जिस तरह रोटी, कपड़ा और मकान मूलभूत आवश्यकता है. उसके साथ अब एजुकेशन भी जुड़ गया है. जिससे दूर नहीं रहा जा सकता. और यदि छोटे बच्चे ऑनलाइन क्लासेज के दम पर पढ़ लेते, तो आज वो बुक रीडिंग कर पाते, लेकिन ऐसा नहीं है.
व्यक्तित्व के लिए Social Interaction जरूरी
मनोचिकित्सक की मानें तो अभिभावकों को अभी कोरोना का डर (Corona Fear In Jaipur) सता रहा है. लेकिन ये बात तय है कि जब तक बच्चों का आपस में इंटरेक्शन नहीं होगा, तब तक उनके सीखने- समझने की क्षमता विकसित (Importance Of School For Kids) नहीं होगी. यदि बच्चों को स्कूल से दूर रखा जाता है तो उन्हें अकेलापन और बेचैनी (Behavioral Impact Of Covid) होने लगती है. इससे गुस्सा आना, चिल्लाना, नियमित भोजन को पसंद नहीं करने जैसे लक्षण सामने आते हैं. और मानसिक तौर पर बीमार होने की संभावनाएं बनती है.