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कोर्ट ने वाहनों पर एकमुश्त कर को चुनौती देनी वाली याचिका को किया खारिज - कोर्ट ने याचिका खारिज की

राजस्थान हाईकोर्ट ने व्यावसायिक वाहनों पर एक मुश्त कर लेने के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने यह आदेश राजेश कुमार और 388 अन्य याचिकाओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई करते हुए दिए.

Court rejects plea, कोर्ट ने याचिका खारिज की
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Published : Aug 22, 2019, 10:16 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने व्यावसायिक वाहनों पर एक मुश्त कर लेने के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश एस. रविन्द्र भट्ट और न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई की. यह आदेश राजेश कुमार व 388 अन्य याचिकाओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दिया.

याचिकाओं में कहा गया है कि पूर्व में परिवहन विभाग की ओर से व्यावसायिक वाहनों पर वार्षिक कर लिया जाता था. वहीं वर्ष 2017 में विभाग ने आदेश जारी कर वार्षिक के बजाए एक मुश्त कर लेने का प्रावधान कर दिया.

ये भी पढ़ें:विधानसभा-लोकसभा के बाद अब महापौर चुनाव में भी वंशवाद का साया, कोई रिश्तेदार के लिए तो कोई बेटे के लिए मांग रहा टिकट

याचिका में कहा गया कि यह प्रावधान न केवल अव्यवहारिक है, बल्कि इससे वाहन मालिकों पर अनावश्यक भार भी पड़ रहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने व्यावसायिक वाहनों पर एक मुश्त कर लेने के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश एस. रविन्द्र भट्ट और न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई की. यह आदेश राजेश कुमार व 388 अन्य याचिकाओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दिया.

याचिकाओं में कहा गया है कि पूर्व में परिवहन विभाग की ओर से व्यावसायिक वाहनों पर वार्षिक कर लिया जाता था. वहीं वर्ष 2017 में विभाग ने आदेश जारी कर वार्षिक के बजाए एक मुश्त कर लेने का प्रावधान कर दिया.

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याचिका में कहा गया कि यह प्रावधान न केवल अव्यवहारिक है, बल्कि इससे वाहन मालिकों पर अनावश्यक भार भी पड़ रहा है.

Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने व्यावसायिक वाहनों पर एक मुश्त कर लेने के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया हैBody:मुख्य न्यायाधीश एस रविन्द्र भट्ट और न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश राजेश कुमार व 388 अन्य याचिकाओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई करते हुए दिए।
याचिकाओं में कहा गया कि पूर्व में परिवहन विभाग की ओर से व्यावसायिक वाहनों पर वार्षिक कर लिया जाता था। वहीं वर्ष 2017 में विभाग ने आदेश जारी कर वार्षिक के बजाए एक मुश्त कर लेने का प्रावधान कर दिया। याचिका में कहा गया कि यह प्रावधान न केवल अव्यवहारिक है, बल्कि इससे वाहन मालिकों पर अनावश्यक भार भी पड़ रहा है।
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