जयपुर. अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-2 महानगर प्रथम ने वर्ष 1984 में बेदखली से जुड़े वाद में कोर्ट की ऑर्डर शीट बदलने वाले तत्कालीन रीडर हरबंस खुराना को दो साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त पर 3500 रुपए का जुर्माना भी लगाया है.
अदालत ने कहा कि अभियुक्त ने प्रकरण में न्यायालय की ऑर्डर शीट को बदलकर रिकॉर्ड में कूटरचना कर एवं न्यायिक कार्यवाही में झूठी साक्ष्य देने और उसे पत्रावली में शामिल कर असल रूप में प्रयोग करने का गंभीर आरोप है. अभियुक्त के कृत्य से न्यायालय की कार्यवाही की विश्वसनीयता पर विपरीत प्रभाव पड़ा है. ऐसे में उसे परिवीक्षा का लाभ नहीं दिया जा सकता. वहीं अदालत ने ट्रायल के दौरान सह आरोपी सूरज नारायण की मौत होने के कारण उसके खिलाफ कार्रवाई ड्रॉप कर चुकी है.
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अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि वर्ष 1984 में एसीएमएम कोर्ट क्रम-4 में बेदखली से जुड़ा दावा लंबित चल रहा था. इस दौरान 5 जनवरी 1984 की ऑर्डर शीट के जरिए अभियुक्त प्रतिवादी सूरज नारायण का बेदखली के विरुद्ध अधिकार समाप्त किया गया था. वहीं तत्कालीन रीडर हरबंस ने मिलीभगत कर नई ऑर्डर शीट जारी कर सूरज के बेदखली के विरुद्ध प्रतिरखा के अधिकार को समाप्त होने की बात को हटा दिया.
मामला सामने आने पर वर्ष 1992 में एफआईआर दर्ज कराई गई. वहीं 25 जून, 1993 को हरबंस लाल खुराना ने कोर्ट में समर्पण कर दिया. इसके बाद उसे जेल भेज दिया गया. इसी दौरान उसकी पत्नी ने हाईकोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पेश कर दी. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने तकनीकी आधार पर हरबंस के खिलाफ लिए गए प्रसंज्ञान को गलत मानते हुए कहा कि मामला संबंधित मजिस्ट्रेट के परिवाद पर दर्ज नहीं हुआ है. इसके बाद अभियुक्त के खिलाफ नए सिरे से कार्रवाई की गई.