जयपुर. राजधानी की सोडाला थाना पुलिस ने जाली दस्तावेजों से फर्जी कंपनी बनाकर बैंकों को करोड़ों रुपए का फटका लगाने वाले शातिर दंपती को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है. शनिवार को पुलिस ने आरोपी सुरेश नागर और संजू उर्फ अंजू सिंह उर्फ रेखा को गिरफ्तार किया (Fraud accused couple arrested in Jaipur) है. मास्टरमाइंड दंपती पहले फर्जी तरीके से आईडी तैयार करते थे. उस आईडी से कंपनी बना खाता खोलते और करोड़ों का टर्नओवर दिखाते थे. इसके बाद बैंक को क्रेडिट कार्ड और फाइनेंस करवाए गए वाहनों को खुर्द बुर्द कर चूना लगा देते थे.
डीसीपी साउथ योगेश गोयल के मुताबिक आरोपी दंपती महंगी कारों और लग्जरी लाइफ के शौकीन हैं. आरोपियों ने खुद के फोटो लगाकर छद्म नाम से दस्तावेज तैयार किए थे. आरोपियों के कब्जे से फर्जी दस्तावेज बरामद किए गए हैं. पूछताछ में सामने आया है कि आरोपियों ने अलग-अलग राज्यों में बैंकों से ठगी की वारदातों को अंजाम दिया है. करीब 15 से 20 साल से अलग-अलग राज्यों में अपराध कर रहे थे, लेकिन किसी भी राज्य की पुलिस पकड़ नहीं पाई. पकडे नहीं जाने पर आरोपियों का हौसला बढ़ता गया.
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आरोपियों के पास 40 बैंकों की चेक बुक, 21 हाई वैल्यू क्रेडिट कार्ड (जिनकी लिमिट 3 लाख से 25 लाख रुपए तक है), 40 डेबिट कार्ड और फर्जी फर्मो की रबड़ मोहरें बरामद की गई हैं. 15 दिसंबर, 2022 को एक्सिस बैंक के जनरल मैनेजर रितेश शर्मा ने रिपोर्ट दर्ज करवाई थी कि एक ही व्यक्ति ने अलग-अलग आईडी से अलग-अलग राज्यों में एक्सिस बैंक की शाखाओं से चार लग्जरी कार, दो हाईएन कार्ड (जिनकी लिमिट एक्सिस बैंक से 10- 10 लाख की है) को लेकर ठगी की है. पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी दंपती को गिरफ्तार कर लिया गया है.
जांच में सामने आया कि आरोपी दंपती अलग-अलग राज्यों में अपनी असली पहचान छुपाकर वारदातों को अंजाम दे रहे थे. अन्य लोगों की आईडी पर खुद की फोटो लगा फर्जी सिम प्राप्त करते थे. फर्जी दस्तावेज तैयार करके दूध डेयरी और अन्य नाम से फर्जी कंपनी खोलते थे. अपनी एक कंपनी से दूसरी कंपनी में स्वयं ही लाखों का टर्नओवर दिखाकर बैंक वैल्यू बढ़ाते थे. ताकि बैंकों को उन पर विश्वास हो जाए.
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इसके बाद महंगे क्रेडिट कार्ड ले लेते थे. साथ ही लग्जरी वाहन भी फाइनेंस करवा लेते थे. लग्जरी वाहनों का शौक होने के चलते फर्जी आईडी से बैंकों से अपनी वैल्यू के आधार पर वाहन खरीदते थे. शुरू में किस्त समय पर चुकाते, फिर गाड़ी से मन भर जाता, तो किस्तें चुकाना बंद कर देते थे. क्रेडिट कार्ड से भी राशि निकलवा कर हड़प लेते थे. फिर अलग-अलग राज्यों में जाकर नई वारदात को अंजाम देते थे. जब बैंक कर्मचारी वाहन और लोन की रिकवरी के लिए जाते थे, तो फर्जी नाम पता पाया जाता था.