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खराब सिटी स्कैन बेचने पर 10 लाख का हर्जाना, ब्याज सहित लौटाने होंगे 1.24 करोड़ रुपए - खराब सिटी स्कैन बेचने पर 10 लाख का हर्जाना

खराब सिटी स्कैन मशीन बेचने पर राज्य उपभोक्ता आयोग ने विक्रेता पर 10 लाख रुपए का हर्जाना लगाया (Rs 10 lakh Compensation on faulty CT Scan machine) है. साथ ही अपने आदेश में कहा है कि विक्रेता परिवादी को मशीन की कीमत 1.24 करोड़ को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाए.

Consumer State Commission Rajasthan decision
खराब सिटी स्कैन बेचने पर 10 लाख का हर्जाना, ब्याज सहित लौटाने होंगे 1.24 करोड़ रुपए
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Published : Dec 5, 2022, 8:52 PM IST

जयपुर. राज्य उपभोक्ता आयोग ने खराब सिटी स्कैन मशीन बेचने को सेवा दोष मानते हुए विक्रेता मैसर्स रेड इमेज टेक्नोलॉजिज व फर्म के निदेशक दीपक रॉय पर 10 लाख रुपए का हर्जाना लगाया (Rs 10 lakh Compensation on faulty CT Scan machine) है. इसके साथ ही सिटी स्कैन मशीन के पेटे लिए गए 1.24 करोड़ रुपए 9 फीसदी ब्याज सहित लौटाने को कहा है. आयोग ने यह आदेश मैसर्स श्रद्धा इमेजिंग रिसर्च सेंटर के परिवाद पर दिए.

परिवाद में कहा गया कि वर्ष 2015 में परिवादी फर्म ने डायग्नोस्टिक सेंटर स्थापित करने के लिए सिटी मशीन की खरीद करने के लिए विपक्षी फर्म व उसके निदेशक दीपक रॉय से संपर्क किया था. निदेशक ने परिवादी फर्म को बताया कि वे जापान से सिटी स्कैन मशीन आयात कर मुहैया करा देंगे. इसके बाद मशीन की कीमत तय होने पर परिवादी ने समय-समय पर उसे 1.24 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया.

पढ़ें: 20 रुपए ज्यादा वसूलने पर रेलवे से 21 साल लड़ी कानूनी लड़ाई, मिली जीत...जानिए अब कितनी रकम मिलेगी?

विक्रेता की ओर से 6 माह की देरी से मशीन सप्लाई की गई और वह बार-बार खराब होने लगी. शिकायत करने पर विपक्षी फर्म ने उसे सही मशीन मुहैया कराने के लिए कहा, लेकिन नई मशीन नहीं दी गई. इसके चलते परिवादी को लोन लेकर नई मशीन खरीदनी पड़ी. परिवादी ने राज्य उपभोक्ता आयोग में परिवाद दायर कर उसे खराब मशीन की क्षतिपूर्ति करवाने और मशीन की राशि वापस दिलाने का आग्रह किया था.

पढ़ें: डॉक्टर की लापरवाही से काटनी पड़ी हथेली, देना होगा इतने लाख मुआवजा

कोर्ट में पेश हुए निगम आयुक्त: शहर की सफाई व्यवस्था को लेकर सोमवार को ग्रेटर और हैरिटेज निगम आयुक्त हाईकोर्ट में पेश हुए. दोनों अधिकारियों ने कोर्ट में शपथ पत्र पेश कर सफाईकर्मियों और सफाई की जानकारी दी. वहीं अदालत ने दोनों अधिकारियों को आगामी तारीख पर व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देते हुए न्यायमित्र को जवाब पेश करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है. न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव और न्यायाधीश विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ ने यह आदेश मामले में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.

पढ़ें: Fine imposed on Jodhpur Discom : फैक्ट्री का बकाया वसूलने के लिए घरेलू कनेक्शन काटने का अधिकार नहीं- जिला उपभोक्ता संरक्षण आयोग

सफाई के हाल बेहाल: सुनवाई के दौरान न्यायमित्र विमल चौधरी ने कहा कि शहर में 8000 से ज्यादा सफाई कर्मचारी हैं, लेकिन सफाई के हाल बेहाल हैं. वहीं नगर निगमों की ओर से कहा गया कि शहर में सफाई कराई जा रही है और हर जगह सफाईकर्मी तैनात है. इस पर अदालत ने दोनों अधिकारियों को व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देते हुए मामले की सुनवाई तीन सप्ताह बाद रखी है.

जयपुर. राज्य उपभोक्ता आयोग ने खराब सिटी स्कैन मशीन बेचने को सेवा दोष मानते हुए विक्रेता मैसर्स रेड इमेज टेक्नोलॉजिज व फर्म के निदेशक दीपक रॉय पर 10 लाख रुपए का हर्जाना लगाया (Rs 10 lakh Compensation on faulty CT Scan machine) है. इसके साथ ही सिटी स्कैन मशीन के पेटे लिए गए 1.24 करोड़ रुपए 9 फीसदी ब्याज सहित लौटाने को कहा है. आयोग ने यह आदेश मैसर्स श्रद्धा इमेजिंग रिसर्च सेंटर के परिवाद पर दिए.

परिवाद में कहा गया कि वर्ष 2015 में परिवादी फर्म ने डायग्नोस्टिक सेंटर स्थापित करने के लिए सिटी मशीन की खरीद करने के लिए विपक्षी फर्म व उसके निदेशक दीपक रॉय से संपर्क किया था. निदेशक ने परिवादी फर्म को बताया कि वे जापान से सिटी स्कैन मशीन आयात कर मुहैया करा देंगे. इसके बाद मशीन की कीमत तय होने पर परिवादी ने समय-समय पर उसे 1.24 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया.

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विक्रेता की ओर से 6 माह की देरी से मशीन सप्लाई की गई और वह बार-बार खराब होने लगी. शिकायत करने पर विपक्षी फर्म ने उसे सही मशीन मुहैया कराने के लिए कहा, लेकिन नई मशीन नहीं दी गई. इसके चलते परिवादी को लोन लेकर नई मशीन खरीदनी पड़ी. परिवादी ने राज्य उपभोक्ता आयोग में परिवाद दायर कर उसे खराब मशीन की क्षतिपूर्ति करवाने और मशीन की राशि वापस दिलाने का आग्रह किया था.

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कोर्ट में पेश हुए निगम आयुक्त: शहर की सफाई व्यवस्था को लेकर सोमवार को ग्रेटर और हैरिटेज निगम आयुक्त हाईकोर्ट में पेश हुए. दोनों अधिकारियों ने कोर्ट में शपथ पत्र पेश कर सफाईकर्मियों और सफाई की जानकारी दी. वहीं अदालत ने दोनों अधिकारियों को आगामी तारीख पर व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देते हुए न्यायमित्र को जवाब पेश करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है. न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव और न्यायाधीश विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ ने यह आदेश मामले में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.

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सफाई के हाल बेहाल: सुनवाई के दौरान न्यायमित्र विमल चौधरी ने कहा कि शहर में 8000 से ज्यादा सफाई कर्मचारी हैं, लेकिन सफाई के हाल बेहाल हैं. वहीं नगर निगमों की ओर से कहा गया कि शहर में सफाई कराई जा रही है और हर जगह सफाईकर्मी तैनात है. इस पर अदालत ने दोनों अधिकारियों को व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देते हुए मामले की सुनवाई तीन सप्ताह बाद रखी है.

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