जयपुर. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को गद्दार कहकर राजस्थान की राजनीतिक तपिश को बढ़ा दी है. इस बीच कांग्रेस आलाकमान से लेकर पायलट कैंप तक विधायकों के इस्तीफे वापस करवाने के प्रयास में जुट (Congress want crackdown on MLAs resignations) गए हैं. सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी इस्तीफों को लेकर स्पीकर सीपी जोशी से लंबी बातचीत कर चुके हैं. बताया जा रहा है कि सीपी जोशी से राहुल गांधी ने इस्तीफों को लेकर चल रही असमंजस की स्थिति की जानकारी भी ली है.
पायलट कैंप की ओर से 25 सिंतबर की घटना के लिए जिम्मेदार ठहराए गए मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर कर दी गई है. पायलट कैंप चाहता है कि किसी तरह से जिन विधायकों ने इस्तीफा (MLAs resignationsn case) दे रखे हैं या तो स्पीकर सीपी जोशी उन इस्तीफा को रिजेक्ट कर दें या फिर विधायक खुद जाकर अपना इस्तीफा वापस ले लें.
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इस्तीफे ही सबसे बड़ा राजनीतिक दबावः जिस तरह से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सचिन पायलट को लेकर आक्रामक भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं. उसके पीछे माना जा रहा है कि गहलोत 92 विधायकों के इस्तीफों के चलते ही ताकतवर हो गए हैं. इन इस्तीफों का ही असर है कि वह सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के लिए साफ इनकार भी कर रहे हैं. यह भी दावा कर रहे हैं कि पायलट के पास 10 विधायकों का भी समर्थन नहीं है. ऐसे में अब पायलट कैंप ने कारण बताओ नोटिस पाने वाले नेताओं पर कार्रवाई की मांग कम कर दी है. कांग्रेस आलाकमान भी इस बात में जुट गया है की पहले जिन विधायकों ने इस्तीफे दिए हैं इस्तीफा पर स्थिति साफ की जाए.
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...तो महेश जोशी बोले स्पीकर के हाथ में निर्णय
कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे को लेकर लगातार यह चर्चा चल रही है कि क्या इस्तीफे उसी फॉर्मेट में दिए गए हैं. जिसे सही माना जाता है या फिर यह केवल दबाव बनाने के लिए गलत प्रक्रिया से दिए गए इस्तीफे हैं. अब तक विधायकों के इस्तीफे सामने भी नहीं आए हैं तो ऐसे में जानकार इसे गहलोत के प्रेशर पॉलिटिक्स मान रहे हैं. यहां तक की कांग्रेस की वर्तमान में सबसे ताकतवर स्टीयरिंग कमेटी के सदस्य हरीश चौधरी ने कहा कि न तो किसी ने इस्तीफे देखे हैं और न ही किसी को पता है कि वह इस्तीफे सही फॉर्मेट में दिए गए हैं या नहीं.
हरीश चौधरी ने कहा कि वैसे भी विधायकों ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में हुई अपनी पहली विधायक दल की बैठक में ही आलाकमान को अपने अधिकार सौंप दिए थे. ऐसे में कोई विधायक आलाकमान से अलग नहीं जा सकता. वहीं इस्तीफा प्रकरण में कारण बताओ नोटिस पा चुके महेश जोशी भी अब इस मामले में कुछ बोलने की जगह स्पीकर के ऊपर बात डालते हुए दिखाई दे रहे हैं.