जयपुर. गहलोत सरकार ने बुधवार को अपने बजट में उच्च तकनीकी शिक्षा में दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा छात्रवृति योजना शुरू करने की घोषणा की. इसके अलावा 8 डीनोटिफाइड महाविद्यालय को पुनः राज्यकिय क्षेत्र में प्रारंभ करने की घोषणा की.
इसके अलावा मुख्यमंत्री गहलोत ने राजकीय महाविद्यालय सूरतगढ-श्रीगंगानगर का नामकरण स्वर्गीय श्री गुरुशरण छाबड़ा राजकीय महाविद्यालय सूरतगढ़ की जाने की घोषणा की. वहीं, भवन विहीन 18 राजकीय महाविद्यालय के भवन निर्माण की भी घोषणा अपने बजट में की. वहीं, इस घोषणा के बाद पक्ष-विपक्ष आमने-सामने आ गया है. उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने कहा कि आज जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट पेश किया है वह हर वर्ग को ध्यान में रखकर पेश किया.
मंत्री भंवर सिंह भाटी ने जयपुर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह बजट किसानों के लिए है. सीएम ने 100 करोड़ की लागत से किसान कल्याण कोष की स्थापना की घोषणा की. युवा, बेरोजगार, किसानों के लिए संतुलित बजट पेश किया गया. उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी सरकार ने बढ़ावा देने का काम किया है. 18 कॉलेज को पुनर्जीवित करने की घोषणा इस बजट में की गई है, इनमें से तीन कॉलेज ऐसे हैं जो 2013 में कांग्रेस सरकार ने खोले थे, लेकिन बीजेपी की सरकार ने उन्हें बंद कर दिया था. उन्हें दोबारा से शुरू करने की घोषणा इस बजट में की गई है. इसके अलावा 8 निजी कॉलेज जो 2013 में कांग्रेस सरकार ने अपने अधीन ले लिये थे, उन्हें पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार ने बंद कर दिया था. उन्हें भी राज्य के क्षेत्र में फिर से राजकीय क्षेत्र में शामिल कर लिया गया है.
उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 30 से ज्यादा उपखण्डों में कॉलेजों की स्थापना की जाएगी. लेकिन विपक्ष में बैठी बीजेपी को मुख्यमंत्री द्वारा की गई उच्च शिक्षा घोषणा रास नहीं आ रही है. वहीं, इस घोषणा पर पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी ने कहा कि सरकार ने जो उच्च शिक्षा के लिए कॉलेजों की घोषणा करी है वह पूर्वर्ती सरकार की योजना है. पिछली सरकार के वक्त से यह प्रोसेस में है. इस सरकार ने सिर्फ उन्हें आगे बढ़ाने का काम किया है. किरण माहेश्वरी ने कहा कि सरकार जिन निजी कॉलेजों को वापस अपने अधीन लेना चाह रही है उन कॉलेजों की सिर्फ लायबिलिटी ले रही है.
जबकि उनकी एसेट्स को भी सरकार को लेना चाहिए. सरकार सिर्फ निजी कॉलेजों के मालिकों को लाभ पहुंचाने के लिए अपने पिछले शासन में भी उन कॉलेजों को अपने अधीन किया था, जिन्हें बीजेपी सरकार ने बंद किया था. लेकिन गहलोत सरकार ने एक बार फिर इन कॉलेजों को अपने अधीन लेकर यह साबित कर दिया कि वह इन चुनिंदा निजी कॉलेजों को फायदा पहुंचाना चाह रही है.