जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार का कार्यकाल समाप्त होने में अब महज सालभर का वक्त शेष बचा है. बावजूद इसके अभी भी सियासी नियुक्तियों का सिलसिला जारी है. लेकिन इन सब के बीच खास बात यह है कि सीएम गहलोत इन सियासी नियुक्तियों में ज्यादातर रिटायर्ड हो रहे आईएएस और आईपीएस पर अपना विश्वास जता रहे हैं. वहीं, फिलहाल तक अपने इस शासन में डेढ़ दर्जन से अधिक रिटायर्ड आईपीएस और आईएएस अफसरों को बड़ी सियासी जिम्मेदारियां सौंप चुके हैं. इधर, हाल ही में रिटायर्ड हुए पूर्व डीजीपी एमएल लाठर के बाद अब पूर्व आईपीएस बीएल सोनी को भी बड़ी सियासी नियुक्ति देने की तैयारी हो रही है.
रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स पर CM मेहरबान: अपने तीसरे कार्यकाल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत डेढ़ दर्जन से ज्यादा रिटायर्ड आईएएस-आईपीएस अफसरों को सियासी नियुक्तियों का तोहफा दे चुके हैं. लाठर से पहले बीते साल आईपीएस अधिकारी रहे संजय क्षोत्रिय को भी राजस्थान लोक सेवा आयोग का चेयरमैन बनाकर उन्हें सियासी नियुक्ति दी गई थी. क्षोत्रिय से पहले राजस्थान पुलिस महानिदेशक रहे भूपेंद्र यादव को भी आरपीएससी का चेयरमैन बनाया गया था. यादव का कार्यकाल पूरा होने के बाद क्षोत्रिय को आरपीएससी का चेयरमैन बनाया गया था. हालांकि हाल ही में पेपर आउट होने के मामले के बाद संजय क्षोत्रिय पर भी कई तरह के सवाल खड़े हुए थे.
इसे भी पढ़ें - Legislature vs Judiciary: धनखड़ की टिप्पणी पर बोले गहलोत, न्यायपालिका पर बयानबाजी गैरवाजिब
नौकरशाहों की सियासी नियुक्ति पर नाराजगी: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सत्ता संभालने के साथ ही अपनी सलाहकार टीम में आईएएस अफसरों को शामिल किया. इसके बाद आरपीएसी, सूचना आयुक्त, आयोग और बोर्ड जैसे अहम पदों पर भी पार्टी नेताओं की अनदेखी कर रिटायर्ड नौकरशाहों की नियुक्ति की गई. जिससे पार्टी के नेता खासा नाराज है और अब खुलकर इसका विरोध भी होने लगा है. कांग्रेस के कई विधायकों ने पार्टी आलाकमान और तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अजय माकन के समक्ष भी नौकरशाहों की नियुक्ति के मसले को उठाया था. हालांकि तमाम नाराजगियों के बावजूद भी सीएम गहलोत लगातार रिटायर्ड आईएएस-आईपीएस पर अपनी मेहरबानी बनाए हुए हैं.