जयपुर. बीजेपी का गढ़ कहे जाने वाले परकोटे की तीनों सीट हवामहल, आदर्श नगर और किशनपोल में 2018 में कांग्रेस प्रत्याशियों ने जीत का परचम फहराया, लेकिन बीजेपी अब इन तीनों ही सीटों पर दोबारा काबिज होने की जुगत में है. यही वजह है कि पहले हिंदुत्व का मैसेज देने के लिए हवामहल सीट से हाथोज धाम के महंत बालमुकुंद आचार्य को चुनावी मैदान में उतारा गया और अब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन तीनों विधानसभा क्षेत्र से गुजरेंगे. फोकस होगा बहुसंख्यक वोट बैंक पर, क्योंकि इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसी हवामहल विधानसभा सीट पर दखल देते हुए कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार पप्पू कुरैशी का समर्थन प्राप्त करने के लिए उनके घर पहुंचे थे. ऐसे में जहां बीजेपी कांग्रेस पर तुष्टिकरण की तो कांग्रेस बीजेपी पर ध्रुवीकरण की राजनीति का आरोप लगा रही है.
इस सीट पर जीतने वाली पार्टी की बनती है सरकार : जयपुर शहर के आराध्य गोविंददेवजी मंदिर से लेकर जयपुर की पहचान हवामहल तक हवामहल विधानसभा क्षेत्र है. ये सीट बरसों से बीजेपी का गढ़ रही है, लेकिन 2003 के बाद इस सीट पर एक बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस का प्रत्याशी जीत कर आ रहा है. खास बात यह है कि बीते चार चुनावों में इस सीट से जिस भी पार्टी का विधायक जीत कर आया है, प्रदेश में सरकार उसी पार्टी की बनी है. शायद इसीलिए इस बार दोनों ही राजनीतिक दलों के कद्दावर नेताओं का फोकस इस सीट पर है. इस विधानसभा सीट पर 2 लाख 54 हजार 373 मतदाताओं में से करीब 95 हजार वोटर अल्पसंख्यक है. बावजूद इसके दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल यहां ब्राह्मण कैंडिडेट पर दांव खेलते हैं. इस बार बीजेपी ने जहां बालमुकुंद आचार्य को जबकि कांग्रेस में आरआर तिवाड़ी को चुनावी मैदान में उतारा है.
भगवाधारी भारी पड़ रहा : हवामहल सीट को लेकर प्रत्याशी बालमुकुंद आचार्य ने कहा कि बहुसंख्यक ही नहीं अल्पसंख्यकों का भी उन्हें समर्थन है, लेकिन खास बात ये है कि सीएम अशोक गहलोत खुद आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी पप्पू कुरैशी के दर पर उनको मनाने गए. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि कांग्रेस कैंडिडेट की क्या स्थिति है और भगवाधारी कैसे भारी पड़ रहा है. सीएम अशोक गहलोत ने पप्पू कुरैशी को मदरसों और मस्जिदों के लिए जगह, वक्फ फंड, कब्रिस्तान के लिए जमीन और फंड देने का आश्वासन दिया है, तब जाकर पप्पू कुरैशी कांग्रेस के समर्थन में बैठे हैं. इससे स्पष्ट है कि किस तरह कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति करने में लगी है, इनकी क्या सोच है, क्या चरित्र है.
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आतंकियों को संरक्षण दे रही कांग्रेस : पीएम मोदी के दौरे पर उन्होंने कहा कि यहां कमल का फूल खिलेगा. पीएम मोदी देव दर्शन को आ रहे हैं, जो 3 साल से उनका प्रस्तावित कार्यक्रम था. समय व्यस्तता की वजह से अब तक नहीं आ पाए थे. इस दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि आतंकी और 2008 में जयपुर में हुए बम ब्लास्ट के गुनहगार गहलोत सरकार के संरक्षण में हैं. उनकी फांसी अभी तक नहीं हो पाई. जिहादियों को आज तक सजा नहीं हो पाई. महिलाओं के साथ दुष्कर्म हुए हैं. यहां सिर्फ तुष्टिकरण की राजनीति की गई है, जिससे लोग त्रस्त हैं और सरकार ने राजस्थान को कर्जे में दूसरे नंबर पर लाकर छोड़ दिया है. इसलिए अब जनता ने कांग्रेस मुक्त राजस्थान का संकल्प ले लिया है.
वहीं, भाजपा की ओर से खेले गए हिंदुत्व के कार्ड पर हवामहल से कांग्रेस प्रत्याशी आरआर तिवाड़ी ने कहा कि वो भी तो हिंदू हैं. करीब ढाई सौ साल पुराना श्याम बाबा के मंदिर के वो पुजारी हैं. देश में हिंदुत्व कार्ड का ठेका बीजेपी को किसने दे रखा है. देश में 80 फीसदी हिंदू है तो हिंदुत्व है. दूसरी पार्टी यदि हिंदू को उतारती है तो क्या वो विधर्मी या मुस्लिम है, जहां तक पप्पू कुरैशी का सवाल है तो वो पुराने कांग्रेस के साथी हैं. उनकी कांग्रेस से नाराजगी नहीं थी, किन्हीं मुद्दों पर तात्कालिक मंत्री महेश जोशी के साथ विवाद थे. इस विवाद को इतना बढ़ा दिया गया कि वो पार्टी छोड़कर उम्मीदवार बन गए. जब उन्हें समझाया गया कि व्यक्तिगत विवाद छोड़ने का समय है तो इसे तुष्टीकरण का नाम दिया जा रहा है.
रोड शो से फर्क नहीं पड़ेगा : तिवाड़ी ने हिंदुत्व के नाम पर पाखंड करने का आरोप लगाते हुए कहा कि बालमुकुंद आचार्य जयपुर के नहीं है. उन्होंने कभी राजनीति का क ख ग नहीं पढ़ा और ना ही भाजपा के कार्यकर्ता है. जबकि खुद उन्होंने चारदिवारी में कांग्रेस के कार्यकर्ता के तौर पर अपने 47 साल दिए हैं. उन्होंने कहा कि जहां तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परकोटे में रोड शो करने का सवाल है तो उससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. पूरा राजस्थान जान गया है कि वो केवल जुमला देते हैं. वो 2047 का एक सपना दिखाते हैं, लेकिन आज यहां के नौजवान को रोजगार चाहिए.
मोदी के दौरे के बाद कांग्रेस के आठों उम्मीदवार जयपुर में जीत कर आएंगे. जितनी बार प्रधानमंत्री आएंगे, उतनी बार कांग्रेस और ज्यादा ऊपर जाएगी. बहरहाल, बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दलों ने इस बार नए चेहरे पर दांव खेला है, जिनके लिए 25 नवंबर को हवामहल विधानसभा क्षेत्र के मतदाता वोट डालते हुए उनके भाग्य का फैसला करेंगे.