जयपुर. लिटरेचर फेस्टिवल के चौथे दिन रविवार को लेखिका सुधा मूर्ति पहुंचीं. यहां उन्होंने कहा कि एक लेखक के तौर पर जेएलएफ एक बड़ा प्लेटफॉर्म है. इस दौरान उन्होंने अलग-अलग विषयों पर की गई चर्चा का भी जिक्र किया. साथ ही उन्होंने बच्चों और युवाओं को किताबें पढ़ने के लिए प्ररित किया. सुधा मूर्ति ने कहा कि बच्चों को 14 साल तक गैजेट्स से दूर रखें, उन्हें किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित करें. इसके बाद उन पर छोड़ दें कि वो किताबें पढ़ता चाहते हैं या नहीं.
लेखिका और ब्रिटेन पीएम की मदर इन लॉ : सुधा मूर्ति ने दामाद (ऋषि सुनक) के प्रधानमंत्री बनने पर कहा कि इससे उनके जीवन पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है. ये जरूर है कि लोग अब उन्हें ब्रिटेन पीएम की सास के नाम से भी जानते हैं. उनका नजरिया भी बदला है. लेकिन उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. पीएम होने के नाते ऋषि सुनक के पास भले ही बाउंसर हों, लेकिन उनके पास तो जरूर हैं. हालांकि सुधा मूर्ति ब्रिटेन की पॉलिटिक्स पर कुछ भी बोलने से बचती नजर आईं.
बच्चों को कमाने के लिए विदेश भेजने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ये परिवार की परिस्थितियों पर निर्भर करता है. उनके खुद के बच्चे बाहर पढ़े, बाहर रहे हैं. लेकिन बच्चों को अपने देश और यहां की संस्कृति से जोड़े रखने का प्रयास जरूर करना चाहिए. उन्होंने कहा कि एक कल्चर एक नेशन होने की वजह से मेरी जड़ें गहरी हैं.
45 साल से लिख रही हैं : उन्होंने बताया कि 2002 में पहली इंग्लिश की बुक आई तब से इंग्लिश में लिख रही हैं. इससे पहले कन्नड में ही लिखा करती थी. किताबें लिखने की सीमा और सोच बहुत ज्यादा है. साथ ही कहा कि लिटरेचर स्टूडेंट्स के लिए यहां साहित्य की काफी वैरायटी है. जब उनसे लंदन में होने वाले जेएलएफ में जाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जब ऑरिजनल जेएलएफ यहां है तो वो वहां क्यों जाएंगी.