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जयपुर: आशा सहयोगनियों ने किया कार्य बहिष्कार, चाकसू विधायक को सौंपा ज्ञापन

जयपुर के चाकसू उपखण्ड में कार्यरत आशा सहयोगिनियों ने कार्य का बहिष्कार करते हुए अपनी मांगों का समर्थन किया है. वहूीं अपनी मांगों के समर्थन में चाकसू विधायक वेदप्रकाश सोलंकी को भी ज्ञापन सौंपकर सरकार से स्थायीकरण की गुहार लगाई है.

rajasthan news in hindi , jaipur latest news
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Published : Oct 29, 2020, 10:49 AM IST

चाकसू (जयपुर): चाकसू उपखण्ड में कार्यरत आशा सहयोगिनियों ने गुरुवार को कार्य का बहिष्कार किया. साथ ही अपनी मांगों के समर्थन में चाकसू विधायक वेदप्रकाश सोलंकी को भी ज्ञापन सौंपकर सरकार से स्थायीकरण की गुहार लगाई है. उनकी मांग है कि उन्हें भी सरकारी कर्मचारी का दर्जा मिलना चाहिए.

राजस्थान सरकार की ओर से महिला एवं बाल विकास कल्याण विभाग में कार्यरत सिर्फ कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को ही सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया गया है. जबकि इसी विभाग में आशा सहयोगिनियां भी कई सालों से कार्य कर रही हैं. आशा सहयोगिनी का कहना है कि कोरोना काल में उन पर कार्य का भार अधिक है और मानदेय बहुत कम है. चिकित्सा विभाग का पूरा काम कराने के बावजूद न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिल रही है. वहीं आशाओं के कार्य का कोई समय भी निर्धारण नहीं है.

यह भी पढ़ें: धारीवाल के रोड शो पर निर्वाचन आयोग ने लिया प्रसंज्ञान, मंत्री को भेजा नोटिस

आशाओं का कहना है कि वे मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने और कुपोषण के शिकार बच्चों की देखभाल जैसे कार्य भी कर रही हैं. इन सभी कार्यों को अनदेखा किया जा रहा है. लेकिन उन्हें अब यह कहकर अलग कर दिया गया है कि आशा सहयोगिनों का मानदेय राज्य सरकार देती है. ऐसे में आशा के साथ सौतेले व्यवहार से आशा सहयोगिनों में रोष व्याप्त है.

चाकसू (जयपुर): चाकसू उपखण्ड में कार्यरत आशा सहयोगिनियों ने गुरुवार को कार्य का बहिष्कार किया. साथ ही अपनी मांगों के समर्थन में चाकसू विधायक वेदप्रकाश सोलंकी को भी ज्ञापन सौंपकर सरकार से स्थायीकरण की गुहार लगाई है. उनकी मांग है कि उन्हें भी सरकारी कर्मचारी का दर्जा मिलना चाहिए.

राजस्थान सरकार की ओर से महिला एवं बाल विकास कल्याण विभाग में कार्यरत सिर्फ कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को ही सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया गया है. जबकि इसी विभाग में आशा सहयोगिनियां भी कई सालों से कार्य कर रही हैं. आशा सहयोगिनी का कहना है कि कोरोना काल में उन पर कार्य का भार अधिक है और मानदेय बहुत कम है. चिकित्सा विभाग का पूरा काम कराने के बावजूद न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिल रही है. वहीं आशाओं के कार्य का कोई समय भी निर्धारण नहीं है.

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आशाओं का कहना है कि वे मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने और कुपोषण के शिकार बच्चों की देखभाल जैसे कार्य भी कर रही हैं. इन सभी कार्यों को अनदेखा किया जा रहा है. लेकिन उन्हें अब यह कहकर अलग कर दिया गया है कि आशा सहयोगिनों का मानदेय राज्य सरकार देती है. ऐसे में आशा के साथ सौतेले व्यवहार से आशा सहयोगिनों में रोष व्याप्त है.

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