जयपुर. प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के अनुमोदन से राजस्थान में जिन 85 सचिवों की नियुक्ति की गई थी उनकी नियुक्ति पर 21 दिन बाद अर्थात गुरूवार को ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी ने रोक लगा दिया. बता दें कि 27 मई को 85 नए सचिव बनाए गए थे. उन सभी नियुक्ति पर काग्रेस आलाकमान ने रोक लगा दी है. इसके साथ ही कयास लगाए जा रहे हैं कि आलाकमान कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के मद्देनजर ही यह फैसला लिया है. अब देखना ये है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस आलाकमान क्या फैसला करती है.
क्या कोई बड़े बदलाव के संकेत हैं राजस्थान कांग्रेस में : 27 मई को जब प्रदेश कांग्रेस के सचिवों की नियुक्ति की सूची सामने आई थी उस समय भी यह सवाल खड़े हुए थे. क्या प्रदेश कांग्रेस के सचिवों की नियुक्ति प्रदेश प्रभारी के अनुमोदन पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कर सकते हैं ? जबकि प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारियों की नियुक्ति ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के संगठन महामंत्री के हस्ताक्षर पर होती है. ऐसे में अब सवाल ये है कि क्या कांग्रेस आलाकमान ने इन नियुक्तियों पर रोक लगाकर प्रदेश कांग्रेस में किसी बड़े बदलाव के संकेत दिए हैं.
नियुक्तियों पर रोक का मतलब रंधावा और डोटासरा से आलाकमान है नाराज : जिस तरीके से प्रदेश कांग्रेस की ओर से 85 सचिवों की नियुक्ति की गई. उसे एआईसीसी ने 21 दिन के बाद होल्ड पर डाल दिया है. उससे लगता है कि कांग्रेस आलाकमान को यह पसंद नहीं आया कि प्रदेश प्रभारी एसएस रंधावा और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने उनके क्षेत्राधिकार में छेड़छाड़ की. ऐसे में ये नाराजगी इन दोनों नेताओं पर भारी भी पड़ सकती है.
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क्या पायलट के लिए खुलेगा रास्ता : प्रदेश में लगातार इस बात की चर्चा हो रही है कि सचिन पायलट जिस तरह से शांत बैठे हैं लगता है कि उन्हें कांग्रेस आलाकमान की ओर से कोई आश्वासन मिला है. इन नियुक्तियों पर लगी रोक से आलाकमान की नाराजगी के साथ ही, यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या अब संगठन में सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष या किसी अन्य भूमिका में स्थापित करने की कांग्रेस आलाकमान ने तैयारी कर ली है.