ETV Bharat / state

विधानसभा बजट सत्र : सदन में फिर सवाल-जवाब पर हंगामा, जूली बोले- सत्ता पक्ष आसन की व्यवस्था को चुनौती दे रहा - RAJASTHAN BUDGET SESSION

राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन भी सदन में जमकर बहस हुई.

राजस्थान विधानसभा
राजस्थान विधानसभा (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 6, 2025, 1:36 PM IST

Updated : Feb 6, 2025, 2:08 PM IST

जयपुर : 16 वीं विधानसभा के तीसरे सत्र की कार्यवाही गुरुवार को प्रश्नकाल के साथ शुरू हुई. प्रश्नकाल में दूसरे दिन भी लगातार मुख्य सवाल के जवाब को पढ़ा हुआ माना जाने को लेकर पक्ष-विपक्ष के जमकर बहस हुई. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने आसन की व्यवस्था का हवाला देते हुए बहस को शांत किया. इसके साथ ही प्रश्नकाल में साइबर अपराध, टूटी सड़कें, छात्रवृत्ति, भ्रष्टाचार, अवैध शराब सहित का मुद्दा उठाया.

आसन को चुनौती : दरअसल, प्रश्न कल के दौरान विधायक ललित मीणा ने राशन डीलरों के विरुद्ध शिकायतों पर कार्रवाई को लेकर सवाल किया. मीणा के सवाल का खाद्यमंत्री सुमित गोदारा ने जैसे ही जवाब देना शुरू किया तो अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि सवाल का लिखित उत्तर को पढ़ा हुआ मान कर पूरक प्रश्न किया जाए. इसको लेकर पक्ष-विपक्ष के बीच बहस शुरू हो गई. सत्ता पक्ष की ओर जवाब पढ़ने की बात को गई तो नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली खड़े हुए कहा कि सत्ता पक्ष आसन की व्यवस्था को चुनौती दे रहा है. इस पर कुछ समय के लिए सदन में हंगामा हो गया. बढ़ते हंगामे को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी खड़े हुए और कहा कि मैंने राज्यसभा, लोकसभा की कार्रवाई का आंकलन किया, राज्यसभा सचिवालय से भी पता किया. वहां पर भी ऐसा ही होता है. प्रश्न पुकारने के बाद अगर प्रश्न का उत्तर मिल गया तो फिर सीधा पूरक प्रश्न पूछा जाता है. आसन से दी गई व्यवस्था का पालन सभी सदन के सदस्यों को करना होगा. बता दें कि सदन में डिजिटल व्यवस्था के तहत सवाल का जवाब आईपैड पर सामने होने के बाद सदस्य के पास प्रश्न का उत्तर पहुंच रहा है, ऐसे में सवाल के जवाब को पढ़ा हुआ मानने की व्यवस्था डोली गई थी, ताकि समय की बचत हो सके.

पढे़ं. विधानसभा बजट सत्र: इंदिरा मीणा का आरोप: राइजिंग राजस्थान में सीएम के बेटे को शामिल कर कितनी फर्मों को दिया टेंडर?

साइबर अपराध की गूंज : प्रश्नकाल में विधायक चंद्रभान सिंह चौहान ने चित्तौड़गढ़ विधानसभा क्षेत्र में दर्ज साइबर प्रकरण पर कार्रवाई को लेकर सवाल किया कि जब व्यक्ति थाने में जाता है तब कहा जाता है कि 2 लाख से ज्यादा का अगर मामला है तो आप साइबर थाने में जाएं. क्या यह भेदभाव उचित है? क्या रिपोर्ट थाने में दर्ज नहीं हो सकती? चंद्रभान के सवाल का जवाब देते हुए मंत्री गजेंद्र सिंह ने कहा कि कुल 3 दर्ज मामले हैं, जिसमें 10 में चालान हुआ 17 में एफआर लगी. 2 करोड़ से ज्यादा का मामला है, उसमें एक करोड़ के करीब रिकवरी हुई. मंत्री ने कहा कि 3 लाख की लिमिट है, अगर 3 लाख से ज्यादा का मामला है तो फिर साइबर थाने में दर्ज होगा. इसके बाद पूरक प्रश्न में चंद्रभान कहा कि 2 लाख से कम है तो उसका भी मामला दर्ज होना चाहिए. इसके बाद अध्यक्ष ने कहा कि ये सदन के सदस्य का आग्रह से सरकार विचार करें.

टूटी सड़कें विरासत में मिली : बस्सी विधानसभा क्षेत्र में गारंटी अवधि की क्षतिग्रस्त सड़कों को लेकर विधायक लक्ष्मण ने प्रश्न किया तो उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने जवाब दिया कि हमें गड्ढे और टूटी सड़के विरासत में मिली हैं, सड़के तो मिली ही नहीं. निश्चित तौर पर यह सड़के पूर्ववर्ती सरकार के वक्त बनी थी, दुर्भाग्यपूर्ण यह सड़कें टूटी हैं. हम इनको दुरुस्त कर रहे हैं. इसके बाद आहोर उपखंड मुख्यालय के न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय के क्रमोन्नयन का सवाल विधायक छगन सिंह राजपुरोहित का लगाया, जिस पर संसदीय मंत्री जोगाराम पटेल का जवाब दिया कि 'न्यायालय को क्रमोन्नत करने के संबंध में राजस्थान उच्च न्यायालय की सहमति भी आवश्यक है. वहां की कमेटी का अप्रूवल लेना जरूरी, अभी यह मामला कमेटी के पास विचाराधीन है. जैसे ही कमेटी अप्रूवल देगी आहोर के न्यायालय को क्रमोन्नत जाएगा'.

बजट सत्र के दूसरे दिन भी हंगामा (ETV Bharat)

पढ़ें. जैसलमेर विधायक छोटूसिंह भाटी ने सड़क विकास के लिए विशेष पैकेज की रखी मांग

सदन में भ्रष्टाचार गूंजा : उधर, विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों की अभियोजन स्वीकृति में देरी का मामला गूंजा. विधायक कालीचरण ने प्रश्न लगाते हुए कहा कि भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति नहीं मिल रही है. इस पर मंत्री खींवसर ने जवाब दिया कि 1 जनवरी 2022 से 2024 तक 1592 प्रकरणों में से 1189 प्रकरणों में अभियोजन स्वीकृति दी गई. 403 बचें हैं, उसके लिए भी लगातार प्रयास किया जा रहे हैं. जल्द इनका निस्तारण हो. इसके लिए CM और सीएस के स्तर पर लगातार रिव्यू किया जा रहा है. इस पर पूरक प्रश्न करते हुए सराफ ने कहा कि क्या सरकार की मंशा है कि कोई उप समिति बनाकर टाइम-बाउंड समय में इनका निस्तारण हो, इस दौरान सराफ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं न खाऊंगा और ना ही खाने दूंगा, क्या सरकार इस मंशा पर काम करेगी ? इस पर मंत्री खींवसर ने कहा कि उप समिति नहीं बन सकती, फिर भी मैं सदन के सामने विधायक को कहना चाहता हूं कि जो 403 केस पेंडिंग है उनका समय पर निस्तारण किया जाएगा, प्रधानमंत्री मोदी की जिस बात का अनुसरण किया है, उस पर हम काम कर रहे हैं.

जयपुर : 16 वीं विधानसभा के तीसरे सत्र की कार्यवाही गुरुवार को प्रश्नकाल के साथ शुरू हुई. प्रश्नकाल में दूसरे दिन भी लगातार मुख्य सवाल के जवाब को पढ़ा हुआ माना जाने को लेकर पक्ष-विपक्ष के जमकर बहस हुई. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने आसन की व्यवस्था का हवाला देते हुए बहस को शांत किया. इसके साथ ही प्रश्नकाल में साइबर अपराध, टूटी सड़कें, छात्रवृत्ति, भ्रष्टाचार, अवैध शराब सहित का मुद्दा उठाया.

आसन को चुनौती : दरअसल, प्रश्न कल के दौरान विधायक ललित मीणा ने राशन डीलरों के विरुद्ध शिकायतों पर कार्रवाई को लेकर सवाल किया. मीणा के सवाल का खाद्यमंत्री सुमित गोदारा ने जैसे ही जवाब देना शुरू किया तो अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि सवाल का लिखित उत्तर को पढ़ा हुआ मान कर पूरक प्रश्न किया जाए. इसको लेकर पक्ष-विपक्ष के बीच बहस शुरू हो गई. सत्ता पक्ष की ओर जवाब पढ़ने की बात को गई तो नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली खड़े हुए कहा कि सत्ता पक्ष आसन की व्यवस्था को चुनौती दे रहा है. इस पर कुछ समय के लिए सदन में हंगामा हो गया. बढ़ते हंगामे को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी खड़े हुए और कहा कि मैंने राज्यसभा, लोकसभा की कार्रवाई का आंकलन किया, राज्यसभा सचिवालय से भी पता किया. वहां पर भी ऐसा ही होता है. प्रश्न पुकारने के बाद अगर प्रश्न का उत्तर मिल गया तो फिर सीधा पूरक प्रश्न पूछा जाता है. आसन से दी गई व्यवस्था का पालन सभी सदन के सदस्यों को करना होगा. बता दें कि सदन में डिजिटल व्यवस्था के तहत सवाल का जवाब आईपैड पर सामने होने के बाद सदस्य के पास प्रश्न का उत्तर पहुंच रहा है, ऐसे में सवाल के जवाब को पढ़ा हुआ मानने की व्यवस्था डोली गई थी, ताकि समय की बचत हो सके.

पढे़ं. विधानसभा बजट सत्र: इंदिरा मीणा का आरोप: राइजिंग राजस्थान में सीएम के बेटे को शामिल कर कितनी फर्मों को दिया टेंडर?

साइबर अपराध की गूंज : प्रश्नकाल में विधायक चंद्रभान सिंह चौहान ने चित्तौड़गढ़ विधानसभा क्षेत्र में दर्ज साइबर प्रकरण पर कार्रवाई को लेकर सवाल किया कि जब व्यक्ति थाने में जाता है तब कहा जाता है कि 2 लाख से ज्यादा का अगर मामला है तो आप साइबर थाने में जाएं. क्या यह भेदभाव उचित है? क्या रिपोर्ट थाने में दर्ज नहीं हो सकती? चंद्रभान के सवाल का जवाब देते हुए मंत्री गजेंद्र सिंह ने कहा कि कुल 3 दर्ज मामले हैं, जिसमें 10 में चालान हुआ 17 में एफआर लगी. 2 करोड़ से ज्यादा का मामला है, उसमें एक करोड़ के करीब रिकवरी हुई. मंत्री ने कहा कि 3 लाख की लिमिट है, अगर 3 लाख से ज्यादा का मामला है तो फिर साइबर थाने में दर्ज होगा. इसके बाद पूरक प्रश्न में चंद्रभान कहा कि 2 लाख से कम है तो उसका भी मामला दर्ज होना चाहिए. इसके बाद अध्यक्ष ने कहा कि ये सदन के सदस्य का आग्रह से सरकार विचार करें.

टूटी सड़कें विरासत में मिली : बस्सी विधानसभा क्षेत्र में गारंटी अवधि की क्षतिग्रस्त सड़कों को लेकर विधायक लक्ष्मण ने प्रश्न किया तो उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने जवाब दिया कि हमें गड्ढे और टूटी सड़के विरासत में मिली हैं, सड़के तो मिली ही नहीं. निश्चित तौर पर यह सड़के पूर्ववर्ती सरकार के वक्त बनी थी, दुर्भाग्यपूर्ण यह सड़कें टूटी हैं. हम इनको दुरुस्त कर रहे हैं. इसके बाद आहोर उपखंड मुख्यालय के न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय के क्रमोन्नयन का सवाल विधायक छगन सिंह राजपुरोहित का लगाया, जिस पर संसदीय मंत्री जोगाराम पटेल का जवाब दिया कि 'न्यायालय को क्रमोन्नत करने के संबंध में राजस्थान उच्च न्यायालय की सहमति भी आवश्यक है. वहां की कमेटी का अप्रूवल लेना जरूरी, अभी यह मामला कमेटी के पास विचाराधीन है. जैसे ही कमेटी अप्रूवल देगी आहोर के न्यायालय को क्रमोन्नत जाएगा'.

बजट सत्र के दूसरे दिन भी हंगामा (ETV Bharat)

पढ़ें. जैसलमेर विधायक छोटूसिंह भाटी ने सड़क विकास के लिए विशेष पैकेज की रखी मांग

सदन में भ्रष्टाचार गूंजा : उधर, विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों की अभियोजन स्वीकृति में देरी का मामला गूंजा. विधायक कालीचरण ने प्रश्न लगाते हुए कहा कि भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति नहीं मिल रही है. इस पर मंत्री खींवसर ने जवाब दिया कि 1 जनवरी 2022 से 2024 तक 1592 प्रकरणों में से 1189 प्रकरणों में अभियोजन स्वीकृति दी गई. 403 बचें हैं, उसके लिए भी लगातार प्रयास किया जा रहे हैं. जल्द इनका निस्तारण हो. इसके लिए CM और सीएस के स्तर पर लगातार रिव्यू किया जा रहा है. इस पर पूरक प्रश्न करते हुए सराफ ने कहा कि क्या सरकार की मंशा है कि कोई उप समिति बनाकर टाइम-बाउंड समय में इनका निस्तारण हो, इस दौरान सराफ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं न खाऊंगा और ना ही खाने दूंगा, क्या सरकार इस मंशा पर काम करेगी ? इस पर मंत्री खींवसर ने कहा कि उप समिति नहीं बन सकती, फिर भी मैं सदन के सामने विधायक को कहना चाहता हूं कि जो 403 केस पेंडिंग है उनका समय पर निस्तारण किया जाएगा, प्रधानमंत्री मोदी की जिस बात का अनुसरण किया है, उस पर हम काम कर रहे हैं.

Last Updated : Feb 6, 2025, 2:08 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.