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Protest of RTH : निजी अस्पतालों के महाबंद में अगर शामिल हुए सरकारी चिकित्सक, तो होगी विभागीय कार्रवाई

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Published : Mar 28, 2023, 8:55 PM IST

निजी अस्पतालों की ओर से घोषित 29 मार्च के महाबंद को लेकर चिकित्सा विभाग ने सरकारी चिकित्सकों के लिए आदेश जारी किया है. इसके तहत यदि वे इस बंद में शामिल होते हैं, तो उन पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी.

Private hospitals Mahabandh on March 29
Protest of RTH : निजी अस्पतालों के महाबंद में अगर शामिल हुए सरकारी चिकित्सक, तो होगी विभागीय कार्रवाई

जयपुर. राइट टू हेल्थ बिल (RTH) के विरोध में निजी अस्पतालों की ओर से 29 मार्च को महाबंद का आह्वान किया गया है. बताया जा रहा है कि इस महाबंध में सरकारी अस्पतालों के चिकित्सक भी शामिल होने जा रहे हैं. लेकिन चिकित्सा विभाग ने सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों को लेकर एक आदेश जारी किया गया है. इसके तहत सरकारी चिकित्सक यदि इस बंद में शामिल होते हैं, तो उन पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी.

चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से जारी किए गए आदेश में मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य को निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी सूरत में चिकित्सकों के अवकाश स्वीकृत नहीं किए जाएं. आदेश में लिखा गया है कि राज्य में वर्तमान में निजी चिकित्सालयों का संचालन बंद होने के कारण मरीजों को अत्यधिक असुविधा का सामना करना पड़ रहा है. यह भी देखने में आया है कि राजकीय चिकित्सालयों में भी चिकित्सा सेवाएं बाधित हो रही हैं.

पढ़ेंः PIL in High Court: निजी चिकित्सकों की हड़ताल के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका, सुनवाई 31 को

इस संबंध में सभी चिकित्सा महाविद्यालयों को निम्न निर्देश जारी किए गए हैं:

  1. चिकित्सा महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य यह सुनिश्चित करें कि सभी आवश्यक सेवाएं विशेष रूप से ओपीडी, आईपीडी, आईसीयू आपातकालीन सेवाएं एवं स्त्री एवं प्रसूति रोग से संबंधित सेवाएं निर्बाध रूप से चलती रहे.
  2. चिकित्सा महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य दैनिक रूप से चिकित्सक शिक्षकों, चिकित्सकों, रेजिडेन्ट्स, पेरामेडिकल एवं नर्सिंग स्टाफ की उपस्थिति निर्धारित प्रपत्र में प्रातः 09ः30 बजे तक विभाग को भिजवायेंगे.
  3. समस्त चिकित्सक शिक्षकों, चिकित्सकों, रेजिडेन्ट्स, पेरामेडिकल एवं नर्सिंग स्टाफ को केवल विशेष परिस्थितियों में ही प्रधानाचार्य/अधीक्षक द्वारा ही अवकाश स्वीकृत किया जा सकेगा एवं इसकी सूचना भी विभाग की अविलम्ब उपलब्ध करायी जाए.
  4. अवकाश स्वीकृत कराये बिना कर्तव्य से अनुपस्थिति को स्वेच्छा से अनुपस्थिति मानते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल में लायी जायेगी.
  5. सभी विभागाध्यक्षों को निर्देशित किया जाता है कि रेजिडेन्ट चिकित्सकों द्वारा किसी भी प्रकार की कर्तव्य के प्रति लापरवाही राजकीय सम्पत्ति को नुकसान, मरीजों एवं परिजनों से दुर्व्यवहार किये जाने पर उनका पंजीयन रद्द करने की कार्रवाई प्रारंभ करें.
  6. राज्य सरकार के नियमित कार्मिकों के कार्य बहिष्कार करने पर उनके विरूद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रारम्भ करें. उक्त आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे.

जयपुर. राइट टू हेल्थ बिल (RTH) के विरोध में निजी अस्पतालों की ओर से 29 मार्च को महाबंद का आह्वान किया गया है. बताया जा रहा है कि इस महाबंध में सरकारी अस्पतालों के चिकित्सक भी शामिल होने जा रहे हैं. लेकिन चिकित्सा विभाग ने सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों को लेकर एक आदेश जारी किया गया है. इसके तहत सरकारी चिकित्सक यदि इस बंद में शामिल होते हैं, तो उन पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी.

चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से जारी किए गए आदेश में मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य को निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी सूरत में चिकित्सकों के अवकाश स्वीकृत नहीं किए जाएं. आदेश में लिखा गया है कि राज्य में वर्तमान में निजी चिकित्सालयों का संचालन बंद होने के कारण मरीजों को अत्यधिक असुविधा का सामना करना पड़ रहा है. यह भी देखने में आया है कि राजकीय चिकित्सालयों में भी चिकित्सा सेवाएं बाधित हो रही हैं.

पढ़ेंः PIL in High Court: निजी चिकित्सकों की हड़ताल के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका, सुनवाई 31 को

इस संबंध में सभी चिकित्सा महाविद्यालयों को निम्न निर्देश जारी किए गए हैं:

  1. चिकित्सा महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य यह सुनिश्चित करें कि सभी आवश्यक सेवाएं विशेष रूप से ओपीडी, आईपीडी, आईसीयू आपातकालीन सेवाएं एवं स्त्री एवं प्रसूति रोग से संबंधित सेवाएं निर्बाध रूप से चलती रहे.
  2. चिकित्सा महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य दैनिक रूप से चिकित्सक शिक्षकों, चिकित्सकों, रेजिडेन्ट्स, पेरामेडिकल एवं नर्सिंग स्टाफ की उपस्थिति निर्धारित प्रपत्र में प्रातः 09ः30 बजे तक विभाग को भिजवायेंगे.
  3. समस्त चिकित्सक शिक्षकों, चिकित्सकों, रेजिडेन्ट्स, पेरामेडिकल एवं नर्सिंग स्टाफ को केवल विशेष परिस्थितियों में ही प्रधानाचार्य/अधीक्षक द्वारा ही अवकाश स्वीकृत किया जा सकेगा एवं इसकी सूचना भी विभाग की अविलम्ब उपलब्ध करायी जाए.
  4. अवकाश स्वीकृत कराये बिना कर्तव्य से अनुपस्थिति को स्वेच्छा से अनुपस्थिति मानते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल में लायी जायेगी.
  5. सभी विभागाध्यक्षों को निर्देशित किया जाता है कि रेजिडेन्ट चिकित्सकों द्वारा किसी भी प्रकार की कर्तव्य के प्रति लापरवाही राजकीय सम्पत्ति को नुकसान, मरीजों एवं परिजनों से दुर्व्यवहार किये जाने पर उनका पंजीयन रद्द करने की कार्रवाई प्रारंभ करें.
  6. राज्य सरकार के नियमित कार्मिकों के कार्य बहिष्कार करने पर उनके विरूद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रारम्भ करें. उक्त आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे.
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