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जयपुर: महात्मा गांधी के 72वें शहादत दिवस पर बनाई विशाल मानव श्रंखला

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Published : Jan 31, 2020, 3:35 AM IST

जयपुर में स्टैचू सर्किल पर गुरुवार को महात्मा गांधी के 72वें शहादत दिवस पर विशाल मानव श्रंखला बनाई गई. जिसमें महिला, पुरुष, बच्चे और बुजुर्ग सहित हर वर्ग के लोग शामिल हुए. जिन्होंने एक दूसरे का हाथ थाम कर एकता का संदेश देते हुए मानव श्रृंखला बनाई.

स्टैचू सर्किल पर मानव श्रंखला, Human chain on statue circle
स्टैचू सर्किल पर मानव श्रंखला

जयपुर. राजधानी में गुरुवार को महात्मा गांधी के 72वें शहादत दिवस पर कई कार्यक्रम आयोजित हुए. जिसके तहत स्टैचू सर्किल पर विशाल मानव श्रंखला बनाई गई. जिसमें महिला, पुरुष, बच्चे और बुजुर्ग सहित हर वर्ग के लोग शामिल हुए. जिन्होंने एक दूसरे का हाथ थाम कर एकता का संदेश देते हुए मानव श्रृंखला बनाई. वहीं, इस दौरान सभी ने 2 मिनट का मौन रखकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी.

स्टैचू सर्किल पर मानव श्रंखला

स्टेचू सर्किल के चारों ओर देश के नागरिकों के बीच बंधुता और सौहार्द के प्रतीक स्वरूप यह मानव श्रृंखला बनाई गई. सभी ने अपने अपने गले में महात्मा गांधी की तस्वीर टांग कर 2 मिनट का मौन रखा. इससे पहले महात्मा गांधी के बलिदान पर जयकारों की गूंज भी सुनाई दी. इस मौके पर सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान के सदस्य निखिल ने बताया कि, गांधी जी का ही विश्वास था कि सच्ची आस्था धर्म में भेद नहीं सिखाती.

पढ़ें- ...जब बिन दुल्हन बैरंग लौटी बारात

भारतीय संविधान और उसकी प्रस्तावना गांधी जी के सत्य और अहिंसा पर आधारित हैं और यही हमारी राजनीति का आधार भी. इन्हीं सिद्धांतों पर उनकी अडिग आस्था के कारण ही 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई. यह शहीद दिवस भी हमें अपने देश के ऐसे संकट काल में मना रहे हैं जहां हमारी बंधुता, सौहार्द और एकजुटता खतरे में है. उन्होंने कहा कि यह समय है कि हम अपने मिली-जुली संस्कृति विरासत को और गहराई से समझें और अपनाएं.

मानव श्रंखला के बाद सेंट्रल पार्क में सर्वधर्म संगीत संध्या का आयोजन किया गया. जिसमें भजन, कव्वाली, गुरबाणी और उत्तर-दक्षिण भारतीय शास्त्रीय संगीत और आंदोलन के गीत जैसी विविध परंपराएं पेश की गई. साथ ही कुछ कविताएं और गांधीजी के महत्वपूर्ण संदेशों का वचन भी किया गया.

जयपुर. राजधानी में गुरुवार को महात्मा गांधी के 72वें शहादत दिवस पर कई कार्यक्रम आयोजित हुए. जिसके तहत स्टैचू सर्किल पर विशाल मानव श्रंखला बनाई गई. जिसमें महिला, पुरुष, बच्चे और बुजुर्ग सहित हर वर्ग के लोग शामिल हुए. जिन्होंने एक दूसरे का हाथ थाम कर एकता का संदेश देते हुए मानव श्रृंखला बनाई. वहीं, इस दौरान सभी ने 2 मिनट का मौन रखकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी.

स्टैचू सर्किल पर मानव श्रंखला

स्टेचू सर्किल के चारों ओर देश के नागरिकों के बीच बंधुता और सौहार्द के प्रतीक स्वरूप यह मानव श्रृंखला बनाई गई. सभी ने अपने अपने गले में महात्मा गांधी की तस्वीर टांग कर 2 मिनट का मौन रखा. इससे पहले महात्मा गांधी के बलिदान पर जयकारों की गूंज भी सुनाई दी. इस मौके पर सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान के सदस्य निखिल ने बताया कि, गांधी जी का ही विश्वास था कि सच्ची आस्था धर्म में भेद नहीं सिखाती.

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भारतीय संविधान और उसकी प्रस्तावना गांधी जी के सत्य और अहिंसा पर आधारित हैं और यही हमारी राजनीति का आधार भी. इन्हीं सिद्धांतों पर उनकी अडिग आस्था के कारण ही 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई. यह शहीद दिवस भी हमें अपने देश के ऐसे संकट काल में मना रहे हैं जहां हमारी बंधुता, सौहार्द और एकजुटता खतरे में है. उन्होंने कहा कि यह समय है कि हम अपने मिली-जुली संस्कृति विरासत को और गहराई से समझें और अपनाएं.

मानव श्रंखला के बाद सेंट्रल पार्क में सर्वधर्म संगीत संध्या का आयोजन किया गया. जिसमें भजन, कव्वाली, गुरबाणी और उत्तर-दक्षिण भारतीय शास्त्रीय संगीत और आंदोलन के गीत जैसी विविध परंपराएं पेश की गई. साथ ही कुछ कविताएं और गांधीजी के महत्वपूर्ण संदेशों का वचन भी किया गया.

Intro:जयपुर. राजधानी में गुरुवार को महात्मा गांधी के 72 वें शहादत दिवस पर कई कार्यक्रम आयोजित हुए. इसीको लेकर स्टैचू सर्किल पर विशाल मानव श्रंखला बनाई गई. जिसमें हर वर्ग की महिला पुरुष बच्चे और बुजुर्ग शामिल हुए. जिन्होंने एक दूसरे का हाथ थाम कर एकता का संदेश देते हुए मानव श्रृंखला बनाई. वही सभी ने 2 मिनट का मौन रखकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी.


Body:स्टेचू सर्किल के चारों ओर देश के नागरिकों के बीच बंधुता और सौहार्द के प्रतीक स्वरूप यह मानव श्रृंखला बनाई थी. सभी ने अपने अपने गले में महात्मा गांधी की तस्वीर टांग कर 2 मिनट का मौन रखा. वहीं इससे पहले महात्मा गांधी के बलिदान पर जयकारों की गूंज भी सुनाई दी. इस मौके पर सूचना एंव रोजगार अधिकार अभियान के सदस्य निखिल ने बताया कि, गांधी जी का ही विश्वास था कि सच्ची आस्था धर्म में भेद नहीं सिखाती. भारतीय संविधान और उसकी प्रस्तावना गांधी जी के सत्य और अहिंसा पर आधारित हैं और यही हमारी राजनीति का आधार भी. इन्हीं सिद्धांतों पर उनकी अडिग आस्था के कारण ही 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई.

यह शहीद दिवस भी हमें अपने देश के ऐसे संकट काल में मना रहे हैं जहां हमारी बंधुता, सौहार्द और एकजुटता खतरे में है. यह समय है कि हम अपने मिली-जुली संस्कृति विरासत को और गहराई से समझें और अपनाएं. मानव श्रंखला के बाद सेंट्रल पार्क में सर्वधर्म संगीत संध्या का आयोजन किया गया. जिसमें भजन, कव्वाली, गुरबाणी और उत्तर-दक्षिण भारतीय शास्त्रीय संगीत और आंदोलन के गीत जैसी विविध परम्पराएं पेश की गई. साथ ही कुछ कविताएं और गांधीजी के महत्वपूर्ण संदेशों का वचन भी किया गया.

बाइट- निखिल, सदस्य, सूचना एंव रोजगार अधिकार अभियान


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