जयपुर. कोरोना संक्रमण की पहली लहर में फंड की कमी की वजह से बड़ी संख्या में स्टार्टअप बंद हुए. सरकार ने इस दौरान राहत पैकेज की घोषणा भी की, बैंक से सस्ते लोन का भी प्रावधान किया गया लेकिन संक्रमण की दूसरी लहर में भी यही हालात दोबारा बन गए. इस बार प्रदेश के 70 फीसदी स्टार्टअप की हालात खराब है और ट्रेडिशनल फॉर्मेट के लगभग 20 फीसदी स्टार्टअप पूरी तरह खत्म हो चुके हैं. हालांकि जिन स्टार्टअप ने खुद को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाकर खड़ा किया वो आज भी बाजार में खड़े हैं.
राजसमंद के विजय सालवी कहते हैं- 2017 में बैंक से लोन लेकर लाइट्स मैन्युफैक्चरिंग और ट्रेडिंग का बिजनेस (Lights Manufacturing and Trading Business) स्टार्ट किया. इसकी सप्लाई दुकानदारों और इंडस्ट्रीज को की जाती थी. लेकिन जब कोरोना संक्रमण से बचने के लिए लॉकडाउन लगाया गया तो दुकानें और इंडस्ट्री भी बंद हुई. ऐसे में ना तो लाइट की सप्लाई की जा सकी यहां तक की खुद की फर्म को भी बंद रखना पड़ा. ऊपर से हर महीने बैंक लोन की किस्त भी चुकानी पड़ रही है. बावजूद इसके सरकार की तरफ से कोई राहत नहीं मिल रही. आलम ये है कि अब लॉकडाउन खुला है लेकिन मैन पावर पलायन कर चुकी है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट-
कोरोना काल में स्टार्टअप के बिगड़े हालातों पर ईटीवी भारत ने स्टार्टअप कंसलटेंट (startup consultant) गजेंद्र आदित्य से खास बातचीत की. इसे लेकर गजेंद्र आदित्य कहते हैं- स्टार्टअप्स को 2 कैटेगरी में बांटा जा सकता है. एक वो जो टेक बेस्ड हैं और दूसरे वो जो ट्रेडिशनल फॉर्मेट पर काम कर रहे हैं.
उदाहरण के लिए किसी ने नए आइडिया के साथ रेस्टोरेंट या हैंडमेड प्रोडक्शन के साथ स्टार्टअप किया. इनका बिना टेक्नोलॉजी क्लाइंट से डायरेक्ट इंटरेक्शन था. वो स्टार्टअप लगभग खत्म होने की कगार पर हैं. लेकिन ऐसे स्टार्टअप जो टेक बेस्ड है जिन्होंने अपने आइडिया को अपग्रेड किया और आईटी रिलेटेड सर्विसेज के साथ खुद को जोड़ा. चाहे ऑनलाइन एजुकेशन हो, डिजिटल रेवेन्यू बेस्ड स्टार्टअप हो, ऑनलाइन डिलीवरी सर्विस या सोशल मीडिया बेस्ड स्टार्टअप, ऐसे स्टार्टअप वर्तमान समय में बढ़ रहे हैं.
जब तक आइडिया के साथ में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कुछ शुरुआत नहीं की तब तक सरकार आप को फंडिंग नहीं करती. फंडिंग प्रोसेस के तहत पायलट प्रोजेक्ट की रिपोर्ट सबमिट करने के बाद एंजल इन्वेस्टर के सामने स्टार्टअप इंडिया मिशन और सरकार एजेंसी स्टार्टअप को रिप्रजेंट करवाते हैं. जब इन्वेस्टर उसमें कोई रुचि दिखाते हैं तब जाकर सरकार डीआईपीपी (डिप रजिस्ट्रेशन) उपलब्ध कराती है. उसके बाद सरकार फंडिंग शुरू करती है.
जहां तक बात रिपेमेंट की है तो जब सरकार आपको पेमेंट करती है वो आपसे पूरा पेमेंट लॉकडाउन से पहले, लॉकडाउन के दौरान और लॉकडाउन के बाद भी लेगी. वो इंटरेस्ट बेस्ड फंडिंग करती है. क्योंकि सरकार स्टार्टअप को रिकमेंडेशन लेटर देती है जिसमें ये मेंशन होता है कि ये सरकार से सर्टिफाइड स्टार्टअप है और सरकार स्टार्टअप को इंटरेस्ट सब्सिडी के आधार पर बैंक को रिकमेंड करती है.
स्टार्टअप या तो सर्विस बेस्ड होंगे या प्रोडक्ट बेस्ड-
स्टार्टअप कंसलटेंट गजेंद्र आदित्य आगे कहते हैं- अगर बैंक पैसा दे रहा है तो जाहिर है वो स्टार्टअप से इंटरेस्ट भी लेगा. लेकिन यदि कोई स्टार्टअप के आइडिया (startup ideas) पर इन्वेस्ट कर रहा है तो उसे एंजल इन्वेस्टर कहते हैं. आइडिया समझ कर उसके आधार पर फंडिंग करेगा.
यदि स्टार्टअप अपने बिजनेस में रेवेन्यू जनरेट करता हैं तो ऐसी कंडीशन में इन्वेस्टर को पैसा मिलेगा. वहीं अगर प्रॉफिट नहीं होगी तो इन्वेस्टर पैसा रिटर्न करने के लिए फोर्स नहीं करेगा.
बहरहाल, जो भी स्टार्टअप टेक्नोलॉजी से जुड़े बिना काम कर रहे हैं वो लगभग खत्म हो चुके हैं. अगर हालत ऐसे ही रहे तो आगे बचे हुए 10-20% जो है वो भी खत्म हो जाएंगे. ये मान लेना चाहिए कि आने वाले कुछ और वर्षों तक ऐसे ही जीवन यापन करना होगा. ऐसे ही मार्केट चलेगा.
क्या इससे हम ये सोच सकते हैं कि आने वाले समय में स्टार्टअप या तो सर्विस बेस्ड होंगे या प्रोडक्ट बेस्ड. ऐसे में सर्विस भी डिजिटल मीडिया के जरिए ही देनी होगी और प्रोडक्ट सप्लाई जनरेटर और मैनेजमेंट का माध्यम भी डिजिटल चैनल ही होगा.
उम्मीद स्टार्टअप से जगी थी-
स्टार्टअप एक्सपर्ट (Startup Expert) भी मानते हैं कि जो उम्मीद स्टार्टअप से जगी थी की रोजगार की आवश्यकता पूरी होगी लेकिन फिलहाल के हालातों को देखते हुए लग रहा है कि आने वाले समय में टेक्नोलॉजी से जुटे स्टार्टअप ही सर्वाइव कर सकेंगे. अब ऐसे में सवाल ये है कि फिर उन लोगों का क्या होगा जो फिलहाल बेरोजगार हो चुके हैं. इन लोगों को सरकार से राहत की उम्मीद अभी भी है. आने वाले समय में अगर इन लोगों के लिए कोई नई रणनीति सरकार लेकर आती है तो वही कारगर साबित होगी.