जयपुर. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद वर्षभर राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन, भारतीय भाषा में शिक्षा, प्रवेश, परीक्षा और परिणाम में अनियमितता दूर करने और देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए कट्टरपंथी संगठन पीएफआई का प्रतिकार करने का काम करेगी. जयपुर में हुए 68वें राष्ट्रीय अधिवेशन में ये 5 प्रस्ताव पास (5 proposals passed in ABVP National convention) हुए. साथ ही वैश्विक पटल पर भारत की भूमिका को लेकर मंथन करते हुए युवाओं को भारत के व्यापार विचार के दूत के रूप में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विस्तार, G20 की अध्यक्षता में सार्थक और प्रभावी भागीदारी का आह्वान किया गया.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 68वें राष्ट्रीय अधिवेशन में हिस्सा लेने के लिए देश के सभी प्रांतों से कुल 1485 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. तो वहीं राजस्थान के भी करीब एक हजार से ज्यादा प्रतिभागियों ने इस राष्ट्रीय अधिवेशन में शिरकत की. राष्ट्रीय अधिवेशन में एबीवीपी ने शिक्षा और समाज संबंधी 5 प्रस्ताव पारित किए. जिन पर साल भर तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं की ओर से काम किया जाएगा.
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एबीवीपी के राष्ट्रीय अधिवेशन में ये 5 प्रस्ताव किए गए पारित:
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए केन्द्र और राज्य सरकारें करें विशेष नीति का आवंटन
- भारतीय भाषा में हो शिक्षा
- प्रवेश, परीक्षा और परिणाम में अनियमितताएं हों शीघ्र दूर
- आंतरिक सुरक्षा के लिए कट्टरपंथी संगठन पीएफआई का प्रतिकार आवश्यक
- वैश्विक पटल पर भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है. ऐसे में एबीवीपी के कार्यकर्ता वर्षभर अपने-अपने प्रांतों में इस पर काम करेंगे
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने बताया कि तीन दिवसीय इस राष्ट्रीय अधिवेशन में 986 छात्र और 344 छात्राएं मौजूद रहीं. इसके साथ ही 129 प्राध्यापक कार्यकर्ता और 4 अन्य कार्यकर्ता भी राष्ट्रीय अधिवेशन में हिस्सा लेने जयपुर पहुंचे. इसके साथ ही मित्र देश नेपाल से भी 22 अतिथि प्रतिभागियों ने राष्ट्रीय अधिवेशन में हिस्सा लिया. उन्होंने बताया कि अधिवेशन में जिन प्रस्तावों को पास किया गया है, उस पर विद्यार्थी परिषद की ओर से पहले मंथन किया गया और फिर सहमति बनने पर इस काम को जमीनी स्तर पर किस तरह से उतारना है, इस सम्बंध में दिशा-निर्देश भी दिए गए.
आपको बता दें कि 18 साल बाद राजस्थान को एबीवीपी के राष्ट्रीय अधिवेशन की मेजबानी मिली थी. इससे पहले 2004 में राजस्थान ने राष्ट्रीय अधिवेशन की मेजबानी की थी. 25 नवम्बर को योग गुरु बाबा रामदेव ने राष्ट्रीय अधिवेशन का उद्घाटन किया था. तो वहीं 26 नवम्बर को गुलाबी नगर की चारदीवारी में भव्य शोभायात्रा निकाली गई थी. साथ ही 27 नवम्बर को प्राध्यापक यशवंतराव केलकर पुरस्कार के साथ ही राष्ट्रीय अधिवेशन का समापन किया गया था. इस दौरान विभिन्न सत्रों का भी आयोजन किया गया. वहीं अधिवेशन के अंतिम दिन परिषद की नवीन राष्ट्रीय कार्यकारिणी की भी घोषणा की गई.