हनुमानगढ़. कोरोना महामारी ने देश-दुनिया में बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित किया है. कोविड-19 का ऐसा ही असर रूरल सेल्फ एंप्लॉयड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट यानी ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान पर भी देखने को मिल रहा है. ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी) भारत सरकार का वो उपक्रम है, जो ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से संचालित होता है. इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण इलाके के युवक-युवतियों को कौशल विकास के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण एवं मुफ्त आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान कर उन्हें सुलभता से रोजगार में लगने में मदद करते हुए आत्मनिर्भर बनाना है, जिससे सरकार पर सैलरी का भार भी ना पड़े और बेरोजगारी जैसी समस्या को काफी हद तक खत्म भी किया जा सके.
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ऐसे ही एक एसबीआई बैंक से योजित ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय पर भी की गई है. कारोना महामारी से पहले ये संस्थान सरकार की ओर से दिए गए वित्तीय वर्ष का लक्ष्य प्राप्त कर युवक-युवतियों को प्रशिक्षण देकर रोजगार के अवसर भी प्रदान कर रहा था, लेकिन कोरोना ने इसकी सारी गतिविधियों पर ब्रेक लगा दिया. साल भर तक इसका लाभ लाभर्थियों को नहीं मिला. हालांकि, 4 माह पहले ये संस्थान कोविड गाइडलाइन के मुताबिक दोबारा से शुरू तो हो गया है, लेकिन अब युवक-युवतियों को प्रशिक्षण का लक्ष्य घटा दिया गया है.
कोरोना काल से पहले ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से संस्थान को पूर्व वित्तीय वर्ष में 850 युवक-युवतियों को प्रशिक्षण का लक्ष्य दिया जाता था, जिसे घटाकर 500 कर दिया गया है. वहीं, बैंकों में भी कार्य गति नहीं पकड़ पा रहा है. इसके चलते संस्थान कम हुए. साथ ही लक्ष्य भी पूर्ण करने में सफलता नहीं मिल रही है. ये बात अधिकारी भी मानते हैं. उनका कहना है कि पहले 100 फीसदी बैंक सेटेलमेंट होता था. अब वो घटकर केवल 70 फीसदी रह गया. पहले प्रशिक्षुओं को वित्तीय सहायता 45 फीसदी प्रशिक्षुओं को मिलती रही है. वो भी घटकर 38 फीसदी रह गई है.
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जब संस्थान के प्रशिक्षणार्थियों से बातचीत की गई तो बड़ी समस्या सामने आई. उन्होंने बताया कि जिला मुख्यालय पर एक प्रशिक्षण संस्थान है. उनको करीब 140-50 किलोमीटर दूर प्रशिक्षण लेने आना पड़ता है. अगर उनके आस-पास के क्षेत्र में एक सब ट्रेनिंग सेंटर खुल जाए तो दूरी की वजह से परेशान हो रहे युवक-युवतियों को लाभ मिल सकता है. सरकार का उद्देश्य भी पूरा हो जाएगा. वहीं, संस्थान निदेशक का कहना है कि ये विभाग और सरकार के स्तर का मामला है. उनके अधिकार क्षेत्र में नही आता है.
ये है सरकार की योजना
सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता व कौशल विकास के लिए 2009 में आरसेटी यानी सेल्फ एंप्लॉयड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना) की थी. इसके चलते केन्द्र सरकार की ओर से राज्य सरकार के सहयोग से प्रदेशों में 585 गैर-लाभर्जन 'ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान' स्थापित की गई है. इन संस्थानों का संचालन और प्रबंधन 23 विभिन्न बैंकों की ओर से किया जा रहा है. इसमें प्रधानमंत्री मुद्रा ऋण के तहत तीन प्रकार के ऋण दिए जाते हैं. पहला शिशु ऋण, जिसमें 25 से 50 हजार रुपये तक की राशि, दूसरा किशोर ऋण, इसके तहत 50 हजार से 5 लाख रुपये तक की राशि और तीसरे तरूण ऋण के माध्यम से 5 लाख से 10 लाख रुपये तक का ऋण बैंक उन युवकों को देता है, जो स्व-रोजगार या पूर्व में चल रहे रोजगार को आगे बढ़ाना चाहते है. लेकिन, इससे पहले युवक-युवतियों को आरसेटी से प्रशिक्षण लेना अनिवार्य है. इन संस्थाओं में प्रशिक्षित 60 फीसदी अभ्यर्थी गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) की श्रेणी के होते हैं. ऐसे में प्रशिक्षित अभ्यर्थियों का 2 वर्ष की अवधि तक रोजगार प्राप्त करने में सहयोग किया जाता है.