हनुमानगढ़. देश और प्रदेश में चिट फंड कंपनियों के माध्यम से ठगी करने वाले गिरोह लगातार सक्रिय हैं. ऐसे ही एक गिरोह का जिले में पर्दाफाश हुआ है. जिन्होंने राशि निवेश के समय में अधिक ब्याज देने का भरोसा और लालच देकर एक किराना दुकानदार को करीब साढ़े चार लाख रुपए की चपत लगाकर फरार हो गए. मामले में हनुमानगढ़ टाउन पुलिस ने गुनज्ञान नाम की चिट फंड कंपनी के मालिक बलवंत सिंह को गिरफ्तार किया है.
18 दिसंबर 2020 को सुनील कुमार नई आबादी टाउन ने रिपोर्ट दर्ज कराते हुए बताया कि उसकी टाउन में सुभाष चौक पर किराना की दुकान है. उसकी दुकान पर ज्योति और उसका भाई महेन्द्र कुमार किराना का सामान लेने आते रहते थे. इस कारण उसकी पहचान ज्योति और महेन्द्र कुमार से थी. मई 2019 में एक दिन दोनों भाई-बहन उसकी दुकान पर आए और बताया कि,वे गुणज्ञान क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटी में एजेंट का काम करते हैं. सोसायटी में रुपए जमा करवाने पर उन्हें अच्छा रिटर्न मिलेगा.
उन्होंने बताया कि सोसायटी के मालिक बलवंत सिंह और बलवन्त सिंह हैं. सोसायटी का कार्यालय बाबा कपूर सिंह कॉलोनी में है. ज्योति और महेन्द्र की बातों में आकर उसने अलग-अलग समय में पांच जमा खाते खुलवा दिए और रुपए जमा करवाने प्रारंभ कर दिए. 25 फरवरी 2020 को एक खाते की समयावधि पूरी होने पर उसने ज्योति और महेन्द्र से रुपए मांगे तो उन्होंने एक-दो दिन में रुपयों का भुगतान करने की बात कही. शक होने पर उसने दूसरे खातों में रुपए जमा करवाने बंद कर दिए. उसने अपने पांचों खातों में कुल 4 लाख 43 हजार 200 रुपए जमा करवा दिए थे, लेकिन वे रुपए देने में आनाकानी करने लगे. बाद में रुपए देने से मुकर गए.
मामले की जांच कर रहे एएसआई जसकरण सिंह ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420,406 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की और आरोपियों की तलाश शुरू की तो, पता चला की फरार बलवंत सिंह बीकानेर इंड्रस्ट्री एरिए में कहीं छुपा हुआ है. जिस पर पुलिस टीम को बीकानेर भेजा गया और आरोपी बलवंत सिंह को गिरफ्तार किया गया.
प्रथम दृष्टया पूछताछ में सामने आया कि आरोपी बलवंत सिंह पहले पंजाब की एक चिट फंड कंपनी में एजेंट का काम करता था. वो कंपनी भी भाग गई. जिस पर बलवंत सिंह ने 2017 में हनुमानगढ़ आकर गुनज्ञान नाम की क्रेडिट कॉ-ऑपरेटिव सोसायटी खोली और जिले भर में बहुत लोगों के खाते खोले. अब बलवंत सिंह से ठगी गई रकम की बरामदगी के अलावा, यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि उसने किस-किस को ठगी का शिकार बनाया. साथ ही इस मामले में नामजद अन्य आरोपियों की संलिप्तता का पता लगा उनकी भी गिरफ्तारी की जाएगी.
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आरोपी ने पुलिस पूछताछ में बताया कि, उसने काफी पैसा कुछ लोगों के दबाव पर उन्हें वापस दे दिया और बाकि पैसा ऑफिस बनाने में व्यय हो गया. ऐसा ही एक चिटफंड घोटाला (Sacm) हनुमानगढ़ जिले के रावतसर क्षेत्र में 2019 में भी सामने आया था. जिसमे समय कॉ-ऑपरेटिव सोसायटी के नाम पर लोगों से लाखों रुपये हड़पने का मामला सामने आया था. जिसमे हनुमानगढ़ टाउन निवासी कमल, दीपक मिश्रा, अंजू पत्नि कमल, कोमल मिश्रा और रतनलाल ने समय नाम की क्रेडिट कॉऑपरेटिव सोसायटी का गठन कर रावतसर औ रआसपास के क्षेत्र से लाखों की ठगी कर सभी आरोपी रफूचक्कर हो गए थे, हालांकि शिकायत के बाद पुलिस ने 3 आरोपियों को गिरफ्तार भी किया था.
हमारे (Etv भारत) के दर्शकों के समझने के लिए कुछ टिप्स
क्या है चिट फंड कंप्पनी और इसका सदस्य बनने से पहले क्या सावधानियां जरूरी
चिट फंड सेविंग और क्रेडिट प्रोडक्ट है. आसान शब्दों में कहें तो चिट फंड एक तरह का अरेंजमेंट है. इसमें कुछ लोग मिलकर एक तय समय के लिए पैसों को एक जगह जुटाते हैं. यह अवधि दो से तीन साल हो सकती है. हर एक स्कीम में केवल कुछ लोगों को मासिक कॉन्ट्रिब्यूशन करने की इजाजत होती है. इन सदस्यों की संख्या तय होती है.
किन बातों को है देखने की जरूरत
- चिट फंड स्कीम से रिटर्न तभी निकाला जा सकता है,जब यह एक चक्र पूरा कर ले. इसका पहले अनुमान नहीं लगाया जा सकता है
- चिट फंडों को डिपॉजिट की अनुमति नहीं है. लिहाजा, ऐसी स्कीम जिसमें ठीकठाक रिटर्न मिल भी रहा है, उससे बचना चाहिए
- चिट फंडों को चलाने की अनुमति केवल उसी राज्य में है जहां यह पंजीकृत है
- नए मेंबरों को जोड़ने के आधार पर अतिरिक्त रिटर्न का वादा करने वाली स्कीम से बचना चाहिए
- कुछ चिट फंड बहुत अच्छे सदस्यों को भविष्य की किस्तों को देने से छूट देते हैं. यह गैर-कानूनी है.
- कुछ चिट फंड ऑनलाइन निवेश और खरीद-फरोख्त की सुविधा देते हैं. हालांकि,ऐसी कंपनियों के ब्योरे को सत्यापित करना मुश्किल होता है
सब्सक्राइबर के तौर पर आपके अधिकार
- किस्त के भुगतान की कॉपी पाने का आपको हक है
- नीलामी और बोली के दौरान उसमें उपस्थित रहने का अधिकार
- विवाद के मामले में मध्यस्थता का अधिकार
- चिट के रिकॉर्ड को देखने का अधिकार
- निवेशक कहा कर सकते है शिकायत
निवेशक सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) सेबी के स्कोर्स (SCORES) प्लेटफॉर्म के माध्यम से कंपनियों को सीधे शिकायत कर सकते हैं. RBI को ई-मेल लिखकर इसकी शिकायत की जा सकती हैं. पुलिस में लिखित शिकायत दर्ज कराई जा सकती है. इसके अलावा सीधे कंज्यूमर कोर्ट में भी शिकायत कर सकते हैं.