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हनुमानगढ़: आधार कार्ड नहीं होने रैन बसेरे में नहीं मिली पनाह, सड़कों पर सोने को मजबूर - राजस्थान न्यूज

हनुमानगढ़ में लाख रुपए की लागत से बने रैन बसेरे गरीबों को छत मुहैया भी नहीं करवा पा रहे हैं. जिले में आज भी 50 से अधिक जरूरतमंद इस कड़ाके की सर्दी में रोड पर सोते मिल जाएंगे. गरीबी से मजबूर इन लोगों को रैन बसेरे में भी आधार कार्ड न होने से इंट्री नहीं मिली. ऐसे में इन लोगों का कहना है कि आधी से ज्यादा जिंदगी सड़कों पर निकल गई. बाकी की भी ऐसे निकल जाएगी.

Hanumangarh news, night shelters of Hanumangarh
हनुमानगढ़ में सड़कों पर सोने को मजबूर
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Published : Jan 18, 2021, 3:24 PM IST

हनुमानगढ़. राजस्थान में कड़ाके की ठंडी पड़ रही है. वहीं हनुमानगढ़ भी शीतलहर और कड़ाके की चपेट में है. जिस कड़ाके की सर्दी में लोग का घरों में रहना भी मुश्किल हो रहा है. इसी कड़ाके की सर्दी में हनुमानगढ़ की सड़कों पर गई निराश्रित खुले आसमान के नीचे सोते मिल जाएंगे. ये हाड़कंपाती सर्दी में सड़कों पर सोने वाले ये गरीब और निराश्रित रैन बसेरों की पोल खोल रहे हैं.

हनुमानगढ़ में सड़कों पर सोने को मजबूर

हनुमानगढ़ में आश्रय विहीन लोगों के रहने के लिए लाखों की लागत से रैन बसेरों का निर्माण करवाया गया है. सोच और मकसद यही है कि जरूरतमंद, मुसाफिर और गरीब लोगों को छत मुहैया कराया जा सके लेकिन हनुमानगढ़ में जरूरतमंद गरीब लोग खुले आसमान में सड़कों पर सोने को मजबूर है. कुछ अकेले सड़कों पर पेपर बिछाकर सोते नजर आए तो कही पूरा परिवार सड़कों पर सोने को मजबूर नजर आया. इतनी ठंड में सड़कों पर सोए इन लोगों को देखकर किसी का भी दिल पसीज जाए लेकिन शायद रैन बसेरों के जिम्मेदारों का दिल नहीं पसीजा. इतनी भयंकर की ठंड ने इंसान और जानवर तक की दूरी मिटा दी है. हनुमानगढ़ की सड़कों पर एक जगह एक श्वान और इंसान साथ सोते मिले.

आधार कार्ड नहीं होने पर रैन बसेरे में नहीं मिली जगह

हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय के ह्रदय स्थल कहे जाने वाले मुख्य चौक भगत सिंह चौक और स्टेशन मार्ग पर पतली सी चादर का बिछौना बनाए एक वृद्ध व्यक्ति मिले. बाबा से जब पूछा गया कि वो खुले आसमान में क्यों सो रहे हैं, उनके जवाब ने रैनबसेरों के व्यवस्थाओं पर सवाल खड़ा कर दिया है. सावन बाबा ने कहा कि उनका घर नहीं है. दूसरी ओर आधार कार्ड नहीं होने से उन्हें रैन बसेरे में घुसने नहीं दिया गया. फिर वे फिर वापस नहीं गए.

एक बुजुर्ग ने कहा सरकार सिर्फ गरीब हितैषी होने का करती है दावा

व्यवस्था से परेशान इस बुजुर्ग व्यक्ति का कहना है कि सरकार बस गरीब हितैषी होने के दावे करती है. धरातल पर कोई पूछता तक नहीं है. वहीं सड़क पर सो रहे एक दूसरे बुजुर्ग ने कहा कि आधी से ज्यादा जिंदगी निकल गई. सड़क पर बाकी की भी निकल जाएगी.

रैन बसेरों में भी हालात खराब

Hanumangarh news, night shelters of Hanumangarh
कड़ाके की सर्दी में रोड पर सोने को मजबूर

जब इटीवी भारत की टीम मुख्य बस स्टैंड में स्थित रैन बसेरे पर पहुंची और बंद गेट खटखटाया तो केयर टेकर अंदर जगह नहीं है, कहकर गेट नहीं खोला. कई बार-बार बोलने पर उन्होंने गेट नहीं खोला. रेन बसैरे के भी हालात कुछ अच्छे नहीं थे. कुछ लोग जमीन पर तो कुछ चारपाई पर सो रहे थे. किसी के पास कंबल नहीं था तो किसी के पास वही महीन चादर थी.

केयर टेकर ने बसेरे में इंट्री देने को लेकर बताया बेतूका मापदंड

Hanumangarh news, night shelters of Hanumangarh
हनुमानगढ़ का रैन बसेरा

केयर टेकर ने बताया कि रैन बसेरे में 30 लोगों के लिए ही रजाई, बिस्तर उपलब्ध होने की बात कही लेकिन उसने कहा कि रैन बसेरे में रुकने के लिए आईडी जरुरी है. अगर आइडी नहीं हो तो वे रुकने आने वाले की सूरत, पहनावे, चाल-ढाल और उसके पास होने वाले समान इत्यादि से अंदाजा लगाते हैं कि वो कैसा इंसान है.

यह भी पढ़ें. Special: जिले के अस्पतालों की सुरक्षा राम भरोसे...मानक के अनुरूप नहीं अग्निशमन यंत्र, खतरे में मरीजों की जान

हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय पर कुल 3 रैन बसेरे थे लेकिन नगरपरिषद ने कुछ समय पहले जंक्शन रेलवे स्टेशन के बाहर स्थित रैन बसेरे को बंद कर दिया. वहां इंदिरा गांधी रसोई खोल दी गई. जिससे भी समस्या बढ़ गई. अब जिला मुख्यालय पर 2 ही रैन बसेरे हैं. हालांकि, प्रशासन की तरफ से रैन बसेरों का समय-समय पर निरीक्षण करने की बात कही गई है लेकिन सड़क पर सोते इन गरीबों की तरफ किसी का ध्यान नहीं गया. आज भी 50 से अधिक गरीब जिंदगी के साथ रोजाना ठंड से जंग लड़ रहे हैं लेकिन इन्हें देखने वाला तक कोई नहीं है.

हनुमानगढ़. राजस्थान में कड़ाके की ठंडी पड़ रही है. वहीं हनुमानगढ़ भी शीतलहर और कड़ाके की चपेट में है. जिस कड़ाके की सर्दी में लोग का घरों में रहना भी मुश्किल हो रहा है. इसी कड़ाके की सर्दी में हनुमानगढ़ की सड़कों पर गई निराश्रित खुले आसमान के नीचे सोते मिल जाएंगे. ये हाड़कंपाती सर्दी में सड़कों पर सोने वाले ये गरीब और निराश्रित रैन बसेरों की पोल खोल रहे हैं.

हनुमानगढ़ में सड़कों पर सोने को मजबूर

हनुमानगढ़ में आश्रय विहीन लोगों के रहने के लिए लाखों की लागत से रैन बसेरों का निर्माण करवाया गया है. सोच और मकसद यही है कि जरूरतमंद, मुसाफिर और गरीब लोगों को छत मुहैया कराया जा सके लेकिन हनुमानगढ़ में जरूरतमंद गरीब लोग खुले आसमान में सड़कों पर सोने को मजबूर है. कुछ अकेले सड़कों पर पेपर बिछाकर सोते नजर आए तो कही पूरा परिवार सड़कों पर सोने को मजबूर नजर आया. इतनी ठंड में सड़कों पर सोए इन लोगों को देखकर किसी का भी दिल पसीज जाए लेकिन शायद रैन बसेरों के जिम्मेदारों का दिल नहीं पसीजा. इतनी भयंकर की ठंड ने इंसान और जानवर तक की दूरी मिटा दी है. हनुमानगढ़ की सड़कों पर एक जगह एक श्वान और इंसान साथ सोते मिले.

आधार कार्ड नहीं होने पर रैन बसेरे में नहीं मिली जगह

हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय के ह्रदय स्थल कहे जाने वाले मुख्य चौक भगत सिंह चौक और स्टेशन मार्ग पर पतली सी चादर का बिछौना बनाए एक वृद्ध व्यक्ति मिले. बाबा से जब पूछा गया कि वो खुले आसमान में क्यों सो रहे हैं, उनके जवाब ने रैनबसेरों के व्यवस्थाओं पर सवाल खड़ा कर दिया है. सावन बाबा ने कहा कि उनका घर नहीं है. दूसरी ओर आधार कार्ड नहीं होने से उन्हें रैन बसेरे में घुसने नहीं दिया गया. फिर वे फिर वापस नहीं गए.

एक बुजुर्ग ने कहा सरकार सिर्फ गरीब हितैषी होने का करती है दावा

व्यवस्था से परेशान इस बुजुर्ग व्यक्ति का कहना है कि सरकार बस गरीब हितैषी होने के दावे करती है. धरातल पर कोई पूछता तक नहीं है. वहीं सड़क पर सो रहे एक दूसरे बुजुर्ग ने कहा कि आधी से ज्यादा जिंदगी निकल गई. सड़क पर बाकी की भी निकल जाएगी.

रैन बसेरों में भी हालात खराब

Hanumangarh news, night shelters of Hanumangarh
कड़ाके की सर्दी में रोड पर सोने को मजबूर

जब इटीवी भारत की टीम मुख्य बस स्टैंड में स्थित रैन बसेरे पर पहुंची और बंद गेट खटखटाया तो केयर टेकर अंदर जगह नहीं है, कहकर गेट नहीं खोला. कई बार-बार बोलने पर उन्होंने गेट नहीं खोला. रेन बसैरे के भी हालात कुछ अच्छे नहीं थे. कुछ लोग जमीन पर तो कुछ चारपाई पर सो रहे थे. किसी के पास कंबल नहीं था तो किसी के पास वही महीन चादर थी.

केयर टेकर ने बसेरे में इंट्री देने को लेकर बताया बेतूका मापदंड

Hanumangarh news, night shelters of Hanumangarh
हनुमानगढ़ का रैन बसेरा

केयर टेकर ने बताया कि रैन बसेरे में 30 लोगों के लिए ही रजाई, बिस्तर उपलब्ध होने की बात कही लेकिन उसने कहा कि रैन बसेरे में रुकने के लिए आईडी जरुरी है. अगर आइडी नहीं हो तो वे रुकने आने वाले की सूरत, पहनावे, चाल-ढाल और उसके पास होने वाले समान इत्यादि से अंदाजा लगाते हैं कि वो कैसा इंसान है.

यह भी पढ़ें. Special: जिले के अस्पतालों की सुरक्षा राम भरोसे...मानक के अनुरूप नहीं अग्निशमन यंत्र, खतरे में मरीजों की जान

हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय पर कुल 3 रैन बसेरे थे लेकिन नगरपरिषद ने कुछ समय पहले जंक्शन रेलवे स्टेशन के बाहर स्थित रैन बसेरे को बंद कर दिया. वहां इंदिरा गांधी रसोई खोल दी गई. जिससे भी समस्या बढ़ गई. अब जिला मुख्यालय पर 2 ही रैन बसेरे हैं. हालांकि, प्रशासन की तरफ से रैन बसेरों का समय-समय पर निरीक्षण करने की बात कही गई है लेकिन सड़क पर सोते इन गरीबों की तरफ किसी का ध्यान नहीं गया. आज भी 50 से अधिक गरीब जिंदगी के साथ रोजाना ठंड से जंग लड़ रहे हैं लेकिन इन्हें देखने वाला तक कोई नहीं है.

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