हनुमानगढ़. कहते हैं पैसा ही सब कुछ नहीं होता. लेकिन कई बार वक्त ऐसा खेल खेल जाता है जब पैसे के बिना कुछ भी नही होता. कुछ ऐसी ही हालत से गुजर रहे हैं हनुमानगढ़ में पैदा हुए हनुमान और उनकी मां. मां अपने बेटे का दर्द मिटाने के लिए हर दर्द सहने को तैयार है. लेकिन पैसों के अभाव में वह ऐसा नहीं कर पा रही है. हनुमान 9वीं कक्षा में पढ़ता है. घर में खुशी थी. बेटे की हर जरूरत का ख्याल रखा जा रहा था. लेकिन क्या पता था कि आने वाला वक्त एक तूफान लेकर आएगा और इस परिवार की सारी खुशियां काफूर हो जाएंगी.
हनुमान की दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं. डॉक्टर्स का कहना है कि अगर समय रहते किडनी ट्रांसप्लांट नहीं हुईं तो हनुमान की मौत हो सकती है. परिवार गरीब है, उपचार का खर्च नहीं उठा सकता. भामाशाह कार्ड की वजह से हफ्ते में दो बार डायलिसिस हो रही है. बीमारी के इलाज के लिए चिकित्सकों ने किडनी ट्रांसप्लांट ही एक उपाय बताया है. मां अपने बेटे को एक किडनी देने के लिए तैयार भी है. लेकिन इस ट्रांसप्लांट में आने वाले खर्च के पैसे इनके पास नहीं हैं.
समाजसेवी डॉ. सुमन चावला हनुमान के इलाज के लिए जिला कलेक्टर और सीएमएचओ से भी गुहार लगा चुकी हैं. उनका कहना है कि जयपुर एसएमएस हॉस्पिटल में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए परिवार ने फाइल भी लगाई थी. लेकिन कोरोना का हवाला देकर पिछले 5 महीने से अटकी हुई है. वहीं ट्रॉसप्लांट के लिए करीब 7 से 10 लाख रुपए खर्च बताया जा रहा है. पीड़ित मां प्रशासन के चक्कर लगा रही है लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है.
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हनुमान और उसकी मां अभी भी उपचार शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं. इसके साथ ही इन्हें सरकारी मदद का भी इंतजार है, ताकि उपचार के दौरान आने वाला खर्च वहन किया जा सके.