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6 साल से पेड़ में बंधे थे 3 मंदबुद्धि भाई-बहन, अब तहसीलदार ने उनको इलाज के लिए अस्पताल भेजा

डूंगरपुर के गड़ा मेड़तिया गांव में करीब 6 साल से एक पेड़ में लोहे की जंजीर से बंधे तीन मंदबुद्धि भाई-बहनों को तहसीलदार रमेश चंद्र वडेरा ने मुक्त कराया है. साथ ही उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में पहुंचाया.

tehsildar rescued 3 retarded siblings and reached hospital
3 मंदबुद्धि भाई और बहनों को तहसीलदार ने छुड़वाकर अस्पताल पंहुचाया
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Published : Dec 31, 2019, 5:32 PM IST

डूंगरपुर. जिले के गड़ा मेड़तिया गांव में मंगलवार को एक पेड़ से लोहे की जंजीरों से बंधे तीन मंदबुद्धि भाई-बहनों को तहसीलदार रमेश चंद्र वडेरा ने मुक्त कराया है. बता दें कि तीनों मंदबुद्धि भाई-बहन करीब 6 साल से लोहे की जंजीर से बंधे थे.

3 मंदबुद्धि भाई और बहनों को तहसीलदार ने छुड़वाकर अस्पताल पंहुचाया

वहीं गलियाकोट तहसीलदार रमेशचंद्र वडेरा को जब इसकी जानकारी मिली तो, गडा मेड़तिया गांव में कालूराम डिंडोर के घर पहुंचे. जहां उन्होंने तीन बच्चों को एक पेड़ से बेड़ियों से बंधा हुआ देखकर चौंक गए. तहसीलदार ने मामले में बच्चों के पिता कालूराम और उसकी पत्नी बबली से जानकारी ली. तहसीलदार ने तीनों मंदबुद्धि बच्चों बसंती, कचरू और दिनेश को जंजीरों से मुक्त करवाया.

पढ़ेंः सीकर: मंदबुद्धि युवक की भीड़ ने की जमकर पिटाई

वहीं तहसीलदार ने इस मामले की जानकारी जिला कलेक्टर आलोक रंजन को भी बताई. इसके बाद तीनों ही बच्चों को 108 एंबुलेंस की मदद से अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचाया. तहसीलदार ने परिवार को अब तक सरकारी योजनाओं के मिलने वाले लाभ के बारे में जानकारी ली तो परिवार ने बताया कि उन्हें अब तक किसी भी तरह सरकारी सहायता नहीं मिल रही है. तहसीलदार ने पीड़ित परिवार को प्रधानमंत्री आवास और बच्चों को दिव्यांग पेंशन दिलवाने के लिए आश्वस्त किया.

पढ़ेंः बच्चा चोर समझकर ग्रामीणों ने मंदबुद्धि युवक को पकड़कर पुलिस के हवाले किया

बता दें कि परिजनों ने तहसीलदार को बताया कि तीनों बच्चे जन्म से मंदबुद्धि में है और आए दिन वह भाग जाते हैं. इससे मजबूरी के कारण तीनों बच्चों को पेड़ से जंजीरों से बांधकर रखना पड़ रहा है. पिता कालूराम ने बताया कि आर्थिक तंगी की वजह से वह मंदबुद्धि बच्चों का इलाज भी नहीं करा पा रहे थे. तहसीलदार ने मामले को देखने के बाद तीनों बच्चों का इलाज करवाने के साथ ही पूरी मदद का भरोसा भी दिलाया.

डूंगरपुर. जिले के गड़ा मेड़तिया गांव में मंगलवार को एक पेड़ से लोहे की जंजीरों से बंधे तीन मंदबुद्धि भाई-बहनों को तहसीलदार रमेश चंद्र वडेरा ने मुक्त कराया है. बता दें कि तीनों मंदबुद्धि भाई-बहन करीब 6 साल से लोहे की जंजीर से बंधे थे.

3 मंदबुद्धि भाई और बहनों को तहसीलदार ने छुड़वाकर अस्पताल पंहुचाया

वहीं गलियाकोट तहसीलदार रमेशचंद्र वडेरा को जब इसकी जानकारी मिली तो, गडा मेड़तिया गांव में कालूराम डिंडोर के घर पहुंचे. जहां उन्होंने तीन बच्चों को एक पेड़ से बेड़ियों से बंधा हुआ देखकर चौंक गए. तहसीलदार ने मामले में बच्चों के पिता कालूराम और उसकी पत्नी बबली से जानकारी ली. तहसीलदार ने तीनों मंदबुद्धि बच्चों बसंती, कचरू और दिनेश को जंजीरों से मुक्त करवाया.

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वहीं तहसीलदार ने इस मामले की जानकारी जिला कलेक्टर आलोक रंजन को भी बताई. इसके बाद तीनों ही बच्चों को 108 एंबुलेंस की मदद से अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचाया. तहसीलदार ने परिवार को अब तक सरकारी योजनाओं के मिलने वाले लाभ के बारे में जानकारी ली तो परिवार ने बताया कि उन्हें अब तक किसी भी तरह सरकारी सहायता नहीं मिल रही है. तहसीलदार ने पीड़ित परिवार को प्रधानमंत्री आवास और बच्चों को दिव्यांग पेंशन दिलवाने के लिए आश्वस्त किया.

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बता दें कि परिजनों ने तहसीलदार को बताया कि तीनों बच्चे जन्म से मंदबुद्धि में है और आए दिन वह भाग जाते हैं. इससे मजबूरी के कारण तीनों बच्चों को पेड़ से जंजीरों से बांधकर रखना पड़ रहा है. पिता कालूराम ने बताया कि आर्थिक तंगी की वजह से वह मंदबुद्धि बच्चों का इलाज भी नहीं करा पा रहे थे. तहसीलदार ने मामले को देखने के बाद तीनों बच्चों का इलाज करवाने के साथ ही पूरी मदद का भरोसा भी दिलाया.

Intro:डूंगरपुर। जिले के गड़ा मेड़तिया गांव में करीब 6 सालों से एक पेड़ से लोहे की जंजीरों से बंधे तीन मंदबुद्धि भाई-बहनों को तहसीलदार रमेशचंद्र वडेरा ने मुक्त कराया है और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में पहुंचाया।Body:गलियाकोट तहसीलदार रमेशचंद्र वडेरा को जब इसकी जानकारी मिली तो गडा मेड़तिया गांव में कालूराम डिंडोर के घर पहुंचे, जहां उन्होंने तीन बच्चों को एक पेड़ से बेड़ियों से बंधा हुआ देखकर चौक गए। तहसीलदार ने मामले में बच्चों के पिता कालूराम और उसकी पत्नी बबली से जानकारी ली। तहसीलदार ने तीनों मंदबुद्धि बच्चों बसंती, कचरू व दिनेश को जंजीरों से मुक्त करवाया।
तहसीलदार ने इस मामले की जानकारी जिला कलेक्टर आलोक रंजन को भी बताई। इसके बाद तीनों ही बच्चों को 108 एंबुलेंस की मदद से अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचाया। तहसीलदार ने परिवार को अब तक सरकारी योजनाओं के मिलने वाले लाभ के बारे में जानकारी ली तो परिवार ने बताया कि उन्हें अब तक किसी भी तरह सरकारी सहायता नहीं मिल रही है। तहसीलदार ने पीड़ित परिवार को प्रधानमंत्री आवास एवं बच्चों को दिव्यांग पेंशन दिलवाने के लिए आश्वस्त किया। परिजनों ने तहसीलदार को बताया कि तीनों बच्चे जन्म से मंदबुद्धि में है और आये दिन वह भाग जाते है इससे मजबूरी के कारण तीनों बच्चों को पेड़ से जंजीरों से बांधकर रखना पड़ रहा है। पिता कालूराम ने बताया कि आर्थिक तंगी की वजह से वह मंदबुद्धि बच्चो का इलाज भी नहीं करा पा रहे थे। तहसीलदार ने मामले को देखने के बाद तीनों बच्चों का इलाज करवाने के साथ ही पूरी मदद का भरोसा भी दिलाया।

बाईट- रमेशचंद्र वडेरा, तहसीलदार गलियाकोट।Conclusion:
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