डूंगरपुर. सामाजिक कार्यकर्ता बीके भारतीय ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के महानिदेशक को पत्र लिखा है. उन्होंने (कोविड-19) की रोकथाम के लिए किए जा रहे चिकित्सकीय शोध एवं वैक्सीन बनाने के लिए खुद का शरीर उपलब्ध कराने की पेशकश की है.
बीके भारतीय ने बताया कि देश और दुनिया मे कोरोना वायरस एक वैश्विक महामारी बन चुका है, जिससे हर आम से लेकर खास जूझ रहा है. सरकार से लेकर प्रशासन और लोग कोरोना जैसी महामारी से लड़ रहे हैं तो कई लोग सेवा कार्य के लिए भी आगे आये हैं.
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इसी को देखते हुए समाजसेवी बीके भारतीय ने चिकित्सकीय शोध कार्यो में सहयोग की पेशकश की है. भारतीय ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद या सरकार को किसी भी रूप में मानव शरीर, मानव अंग, रक्त, प्लाज्मा आदि की जरूरत हो तो इसके लिए खुद का शरीर देने की बात कही है. भारतीय ने कहा कि शोध एवं चिकित्सकीय परीक्षण के दौरान मृत्यु भी हो जाती है तो इसे सौभाग्य बताया.
पत्नी बोली- देशहित में पति ने उठाया कदम...
बीके भारतीय की ओर से शोध कार्य के लिए शरीर देने की पेशकश पर उनकी पत्नी नीता भारतीय ने कहा कि यह किसी भी पत्नी के लिए दुःख की बात होगी कि उसका पति अपना शरीर ही दे रहा है. लेकिन नीता ने अपने पति की ओर से उठाए गए कदम की सराहना की और कहा कि देशहित और मानव कल्याण के लिए उनके पति ने जो कदम उठाया है यह सराहनीय है.
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आपको बता दें कि भारतीय दंपत्ति समाजसेवा के कई कार्यों से जुड़े हुए हैं. इससे पूर्व भारतीय दंपत्ति कन्या भ्रूण हत्या रोकने और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत पूरे प्रदेश में जागरूकता अभियान चला चुके हैं.