आसपुर (डूंगरपुर). जिले के दांतली खेड़ा के आदिवासी बस्ती से मंगलवार देर शाम को एक 10 साल के बच्चे को पैंथर उठा ले गया. जिसके बाद ग्रामीणों ने जंगल में बच्चे की तलाश की लेकिन अंधेरा होने के डर से ग्रामीण जंगल में आगे नहीं बढ़ सके. वहीं बुधवार को ग्रामीण जंगल गए. जहां बच्चे का शव क्षत-विक्षत हालत में मिला.
दांतली खेड़ा के आदिवासी बस्ती से मंगलवार देर शाम को एक 10 साल के मासूम बालक को पैंथर उठा ले गया. ग्रामीणों ने बच्चे को जंगल में ढूंढ़ा पर अंधेरा होने पर ग्रामीण डर के मारे जंगल के अंदर नहीं गए. वहीं सुबह होने पर ग्रामीण जंगल में बच्चे को ढूंढने गए तो झाड़ियों के पीछे बच्चे का शव मिला. इस नजारे को जो भी देखा, उसका कलेजा फट गया. जंगल में बच्चे का आधा अधूरा धड़ पड़ा हुआ था. वहीं तलाश करने पर करीब धड़ से एक किमी दूर पर सिर के अवशेष मिले, तो उसके हाथ भी दूसरी जगह पर पड़ा मिला.
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जानकारी के अनुसार दांतली खेड़ा निवासी उदिया मीणा और उसकी पत्नी मंगलवार को खेतों में गेहूं की कटाई के लिए गए थे. वहीं उसका 10 साल का पुत्र शंकर घर पर अकेला था. वहीं दंपति देर शाम को घर लौटे तो घर पर बच्चा नहीं मिला. जिसके बाद पड़ोसियों के घर पर भी तलाश की गई. इस पर सब लोग तलाश को निकले. साथ ही मकान के पास जंगल होने से वहां भी तलाश की गई. जहां बच्चे का शव जंगल में मिला. घटना की सूचना पर निठाउवा थानाधिकारी लालसिंह, क्षेत्रीय वन अधिकारी सेवुलाल निनामा सहित लोग मौके पर पहुंचे.
वहीं शव की स्थिति देखकर अधिकारियों ने भी माना कि संभवतया पैंथर ने ही बच्चे का शिकार किया है. हालांकि जंगल में बड़ी संख्या में सूखी पत्तियां बिखरी होने के कारण कहीं पर भी पैरों के निशान नहीं दिखे. विभागीय अधिकारियों ने शव का पोस्टमार्टम करवाकर परिजनों को सुपुर्द किया.
वन विभाग ने लगाया पिंजरा
इधर हादसे के बाद वन विभाग ने घटनास्थल पर पिंजरा लगाया है. जिससे वन्यजीव पकड़ में आ सके. क्षेत्रीय वन अधिकारी सेवुलाल ने लोगों से अपील की है कि कोई भी अकेला जंगल की ओर नहीं जाएं. वहीं खेतों में जाए तो भी सभी एक साथ जाएं. जिससे इस तरह की अनहोनी न हो.
पहले भी हो चुके है पैंथर के हमले
वन्यजीव की ओर से बच्चों के शिकार की जिले में पहले भी कई घटनाएं घट चुकी है. इससे पूर्व भी सरकण क्षेत्र के चक महूड़ी में पैंथर ने एक महिला और तीन बच्चों को शिकार बनाया था.