गंगासागर: पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के सागरद्वीप पर आयोजित होने वाले गंगासागर मेले के लिए देश भर से तीर्थयात्री और आध्यात्मिक धर्मगुरु पहुंच रहे हैं. यह मेला नागा साधुओं के दिव्य मिलन का प्रतीक है, जो वर्षों की तपस्या के बाद गंगा और बंगाल की खाड़ी के संगम पर पवित्र स्नान करने के लिए निकलते हैं.
नागा साधु मुख्य मंदिर के पास ही रह रहे हैं. यहां एक नागा साधु शिविर में 19 वर्षीय राजेश्वरी भी रह रही हैं, जो आईएएस अधिकारी बनने का सपना देख रही हैं. 13 महीने की उम्र से ही नागा साधुओं के साथ रह रही राजेश्वरी को एक सड़क दुर्घटना में रीढ़ की हड्डी में चोट लग गई थी. साधुओं और साध्वियों की तरह वह भी ध्यान और तपस्या करती हैं, लेकिन उसका सपना नौकरशाह बनकर देश की सेवा करना है.
नागा साधु महादेव भारती ने किया पालन-पोषण
जब वह कुछ महीने की थीं, तब उनके माता-पिता उन्हें सड़क किनारे छोड़ गए थे. नागा साधु महादेव भारती उन्हें अपने साथ ले आए और उनका पालन-पोषण किया. राजेश्वरी को बचपन से ही पढ़ाई का शौक था. हालांकि, एक सड़क दुर्घटना ने उनकी जिंदगी बदल दी और वह बिस्तर पर पड़े रहने को मजबूर हो गईं. रीढ़ की हड्डी में चोट के कारण वह सीधे बैठ भी नहीं पातीं. हालांकि, उनकी शारीरिक अक्षमता ने उन्हें सपने देखने से कभी नहीं रोका.
तमाम दुश्वारियों के बावजूद, राजेश्वरी दो काम नियमित रूप से करती हैं. पहला ध्यान और भजन गाना और दूसरा पढ़ाई.
नागा साधु महादेव भारती कहते हैं कि वह भक्तों द्वारा दिए गए दान से अपना गुजारा करते हैं. वह चाहते हैं कि राजेश्वरी स्वस्थ हो जाए. उन्होंने कहा कि उसके सपने को जीवित रखना बड़ी चुनौती है.
स्नातक की पढ़ाई कर रहीं राजेश्वरी
नागा साधु के शिविर में अस्थायी बिस्तर पर लेटी राजेश्वरी ने कहा कि वह स्नातक की पढ़ाई कर रही है और आईएएस अधिकारी बनना चाहती है. हालांकि वह जानती हैं कि इस सपने को पूरा करना कठिन काम है. उन्होंने कहा, "मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगी और परीक्षा पास करने के लिए जो भी करना होगा, करूंगी."
महादेव भारती ने कहा, "राजेश्वरी 13 महीने की उम्र से मेरे साथ है. उसने अपने जीवन में कई मुश्किलों का सामना किया है, लेकिन मैं कपिल मुनि से प्रार्थना करता हूं कि वह सफल हो. उसके सपने पूरे हों."
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