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डूंगरपुर में श्रमिकों के लिए मनरेगा बनी वरदान, अनलॉक के बाद 1.15 लाख लोगों को मिला रोजगार

डूंगरपुर में कोरोना काल (corona period) में श्रमिकों के लिए मनरेगा योजान (MGNREGA Scheme) वरदान साबित हो रही है. इस योजना के तहत डूंगरपुर में अनलॉक (unlock) के बाद अब तक 1 लाख 15 हजार लोगों को रोजगार दिया गया है. वहीं कार्यस्थल पर कोरोना गाइडलाइन (covid guideline) का भी पालन किया जा रहा है.

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डूंगरपुर में श्रमिकों के लिए मनरेगा बनी वरदान
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Published : Jun 19, 2021, 10:47 AM IST

डूंगरपुर. कोरोना काल (corona period) में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (Mahatma Gandhi Employment Guarantee Scheme) वरदान साबित हो रही है. अनलॉक (unlock) के बाद एक बार फिर मनरेगा में कार्य (work under MGNREGA) गति पकड़ रहे हैं. इससे जिले में अब तक एक लाख से ज्यादा श्रमिकों को रोजगार (Employment) मिला है. कोरोना काल के बाद से कई काम धंधे ठप्प हो गए हैं तो कई लोगों की नौकरिया छूट गई है. ऐसे में कई लोग बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं. ऐसे लोगों के लिए मनरेगा, रोजगार का सबसे बड़ा सहारा बन रहा है. हालांकि अप्रैल और मई महीने में कोरोना के बढ़ते केस को देखते हुए सरकार ने मनरेगा कार्यों को भी बंद कर दिया था, जिससे जिले के लाखों श्रमिक बेरोजगार हो गए, लेकिन जिले में एक बार फिर मनरेगा कार्य शुरू हुए, तो इससे लाखों श्रमिकों को रोजगार मिल रहा है.

डूंगरपुर में श्रमिकों के लिए मनरेगा बनी वरदान

यह भी पढ़ें- महिला से छेड़छाड़ के बाद युवक की बीच सड़क चप्पलों से पिटाई...देखिए Video

जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी अंजली राजोरिया ने बताया कि जिले में मार्च महीने में 2.50 लाख से ज्यादा श्रमिक नियोजित थे, लेकिन इस बीच कोरोना के बढ़ते संक्रमण से कार्य बंद कर दिए थे. सरकार के आदेश के बाद एक बार फिर मनरेगा को शुरू किया गया है. जिले में 351 पंचायतों में मनरेगा के तहत अलग-अलग कार्य करवाए जा रहे हैं. इसमें 1 लाख 15 हजार 75 श्रमिक कार्य कर रहे हैं. इसमें व्यक्तिगत कार्य, सड़क और चेक डेम जैसे कार्य प्राथमिकता से करवाये जा रहे हैं. सीईओ ने बताया कि मनरेगा में पूर्व की तरह ही एक बार फिर श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध करवाया जाएगा. इसके लिए प्रत्येक पंचायत स्तर पर कार्य चल रहा है.

कार्य के दौरान कोविड गाइडलाइन का पालन

सीईओ ने बताया कि मनरेगा कार्य स्थल पर भी कोविड गाइडलाइन (covid guideline) का पूरा पालन करवाया जा रहा है. इस कारण एक कार्यस्थल पर केवल 30 श्रमिक ही लगाए जा रहे हैं, ताकि श्रमिकों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे. वहीं कार्यस्थल पर श्रमिकों को मास्क लगाकर आना अनिवार्य है. जिले में सबसे ज्यादा 20 हजार 897 श्रमिक सागवाड़ा पंचायत समिति में कार्यरत है. वहीं सबसे ज्यादा 3465 श्रमिक साबला पंचायत समिति में काम कर रहे हैं.

इन पंचायत समिति में इतने लेबर कार्यरत

  • आसपुर- 5791 श्रमिक
  • बिछीवाड़ा- 9513 श्रमिक
  • चिखली- 5280 श्रमिक
  • दोवड़ा- 7131 श्रमिक
  • गलियाकोट- 17843 श्रमिक
  • झोथरी- 16172 श्रमिक
  • साबला- 3465 श्रमिक
  • सागवाड़ा- 20897
  • डूंगरपुर- 6111 श्रमिक
  • सीमलवाड़ा- 9372 श्रमिक

डूंगरपुर. कोरोना काल (corona period) में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (Mahatma Gandhi Employment Guarantee Scheme) वरदान साबित हो रही है. अनलॉक (unlock) के बाद एक बार फिर मनरेगा में कार्य (work under MGNREGA) गति पकड़ रहे हैं. इससे जिले में अब तक एक लाख से ज्यादा श्रमिकों को रोजगार (Employment) मिला है. कोरोना काल के बाद से कई काम धंधे ठप्प हो गए हैं तो कई लोगों की नौकरिया छूट गई है. ऐसे में कई लोग बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं. ऐसे लोगों के लिए मनरेगा, रोजगार का सबसे बड़ा सहारा बन रहा है. हालांकि अप्रैल और मई महीने में कोरोना के बढ़ते केस को देखते हुए सरकार ने मनरेगा कार्यों को भी बंद कर दिया था, जिससे जिले के लाखों श्रमिक बेरोजगार हो गए, लेकिन जिले में एक बार फिर मनरेगा कार्य शुरू हुए, तो इससे लाखों श्रमिकों को रोजगार मिल रहा है.

डूंगरपुर में श्रमिकों के लिए मनरेगा बनी वरदान

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जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी अंजली राजोरिया ने बताया कि जिले में मार्च महीने में 2.50 लाख से ज्यादा श्रमिक नियोजित थे, लेकिन इस बीच कोरोना के बढ़ते संक्रमण से कार्य बंद कर दिए थे. सरकार के आदेश के बाद एक बार फिर मनरेगा को शुरू किया गया है. जिले में 351 पंचायतों में मनरेगा के तहत अलग-अलग कार्य करवाए जा रहे हैं. इसमें 1 लाख 15 हजार 75 श्रमिक कार्य कर रहे हैं. इसमें व्यक्तिगत कार्य, सड़क और चेक डेम जैसे कार्य प्राथमिकता से करवाये जा रहे हैं. सीईओ ने बताया कि मनरेगा में पूर्व की तरह ही एक बार फिर श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध करवाया जाएगा. इसके लिए प्रत्येक पंचायत स्तर पर कार्य चल रहा है.

कार्य के दौरान कोविड गाइडलाइन का पालन

सीईओ ने बताया कि मनरेगा कार्य स्थल पर भी कोविड गाइडलाइन (covid guideline) का पूरा पालन करवाया जा रहा है. इस कारण एक कार्यस्थल पर केवल 30 श्रमिक ही लगाए जा रहे हैं, ताकि श्रमिकों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे. वहीं कार्यस्थल पर श्रमिकों को मास्क लगाकर आना अनिवार्य है. जिले में सबसे ज्यादा 20 हजार 897 श्रमिक सागवाड़ा पंचायत समिति में कार्यरत है. वहीं सबसे ज्यादा 3465 श्रमिक साबला पंचायत समिति में काम कर रहे हैं.

इन पंचायत समिति में इतने लेबर कार्यरत

  • आसपुर- 5791 श्रमिक
  • बिछीवाड़ा- 9513 श्रमिक
  • चिखली- 5280 श्रमिक
  • दोवड़ा- 7131 श्रमिक
  • गलियाकोट- 17843 श्रमिक
  • झोथरी- 16172 श्रमिक
  • साबला- 3465 श्रमिक
  • सागवाड़ा- 20897
  • डूंगरपुर- 6111 श्रमिक
  • सीमलवाड़ा- 9372 श्रमिक
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