डूंगरपुर. जिले में 9वीं कक्षा में पढ़ने वाली एक 16 वर्षीय छात्रा का अपहरण कर 6 महीने तक दुष्कर्म करने के मामले में विशिष्ट पॉक्सो कोर्ट ने दोषी को 20 साल के कठोर कारावास और 1 लाख रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है. मामले में बड़ी बात यह है कि नाबालिग पीड़िता, पिता और गवाह कोर्ट में घटना से मुकर गए, लेकिन अदालत ने साक्ष्य के आधार पर आरोपी को सजा सुनाई है.
लैंगिक अपराधों से बालकों के संरक्षण अधिनियम एवं बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पीठासीन अधिकारी ने मामले में सुनवाई पूरी करते हुए बुधवार को फैसला सुनाया है. विशिष्ट लोक अभियोजक योगेश जोशी ने बताया कि नाबालिग छात्रा (16) के पिता ने दोवड़ा थाने में 8 फरवरी 2020 को रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. इसमे बताया था कि उसकी बेटी 9वीं कक्षा में पढ़ाई करती थी. 29 जनवरी 2020 को वह स्कूल जाने के लिए निकली थी, लेकिन लापता हो गई. बेटी की काफी खोजबीन की, लेकिन पता नहीं चल सका. इसी बीच पता चला कि बेटी को आरोपी हेमंत उर्फ जीवा पुत्र चेतनलाल निवासी वस्सी फला मालाबावसी अपहरण कर ले गया है.
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नाबालिग को वलोता फला तलैया में एक खंडहर के मकान में रखा और 1 अगस्त 2020 तक दुष्कर्म करता रहा. मामले में पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज करते हुए साक्ष्य जुटाए. पीड़िता के बयान भी दर्ज किए गए. कोर्ट में बयान दर्ज होने के दौरान नाबालिग पीड़िता, उसके पिता और गवाह घटना से मुकर गए जिस पर कोर्ट ने नाबालिग पीड़िता, पिता और गवाह को पक्षद्रोही माना. कोर्ट में पुलिस की ओर से पेश किए गए एफएसएल रिपोर्ट, डीएनए रिपोर्ट और साक्ष्य के आधार पर आरोपी हेमंत उर्फ जीवा को लैंगिक अपराधों से बालको का संरक्षण अधिनियम के तहत दोषी करार दिया गया. मामले में कोर्ट ने दोषी हेमंत उर्फ जीवा को 20 साल के कठोर कारावास और 1 लाख रुपये के जुर्माना से दंडित किया है.
पीड़िता और पिता के पक्षद्रोही होने पर पीड़ित प्रतिकर भी मिलेगा
कोर्ट में बयानों के दौरान नाबालिग पीड़िता, उसके पिता और गवाह अपहरण व दुष्कर्म की घटना से मुकर गए. कोर्ट ने कहा कि पीड़िता पक्षद्रोही घोषित हुई है. ऐसे में घटना को लेकर पीड़िता या उसके परिवार को किसी भी तरह से शारीरिक या मानसिक आघात नहीं पंहुचा है. इस कारण पीड़िता में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से मिलने वाले पीड़ित प्रतिकर के लिए भी पात्र नहीं माना जाता है.