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अंधविश्वास से अटकी सांस: 14 माह का मासूम खाट से गिरा, तो भोपे ने गर्म सलाखों से दागा, बिगड़ी हालत तो पहुंचे अस्पताल

आदिवासी अंचल डूंगरपुर में अंधविश्वास की जड़ें (Height Of Superstition )कितनी गहरी है इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक नन्हे बच्चे के गिरने पर लोग चिकित्सक के पास नहीं भोपा के पास पहुंच गए. जिसने अपनी तंत्र विद्या के नाम पर मासूम का पेट गर्म सरिए से दाग दिया.

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अंधविश्वास के चक्कर में बच्चे की जान पर आफत
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Published : Aug 6, 2021, 2:22 PM IST

डूंगरपुर: आदिवासी अंचल डूंगरपुर जिले में अंधविश्वास की जड़ें बहुत गहरी है. लोग चिकित्सक से ज्यादा तांत्रिकों या भोपा पर यकीन रखते हैं. अंधविश्वास में इतने गहरे डूबे हैं कि मासूम से बच्चे की भी परवाह नहीं करते. ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां 14 महीने के मासूम का इलाज भोपे के गर्म सरिए से करने की कोशिश एक आदिवासी परिवार ने की. इस कोशिश में बच्चे की जान आफत में पड़ गई.

बच्चे को भोपे ने दो बार दागा

अंधविश्वास की बली चढ़ी 5 महीने की मासूम, मां ने गरम सरिए से दागा...वेंटिलेटर पर हारी जिंदगी की जंग

डूंगरपुर जिले के रागेला गांव की घटना है ये. बच्चा खाट से नीचे गिर गया था. कई दिनों तक उसकी हालत नहीं सुधरी. तो परिजनों ने चिकित्सकों की बनिस्बत भोपे को दिखाना ज्यादा बेहतर समझा. भोपे ने मासूम को पेट पर गर्म लोहे के सरिए से दो बार दाग दिया. बच्चा दर्द से चिल्लाता रहा लेकिन परिवार वालों ने उसे अनसुना कर दिया. 8 दिन बाद दाग की वजह से मासूम कराहने लगा और तबियत ज्यादा बिगड़ी तो परिजन उसे अस्पताल लेकर पहुंचे.

दागे जाने की वजह से नन्हे मेहुल का पेट सूज गया था फफोले भी पड़ गए थे. करीब 8 दिनों तक मासूम घर पर तड़पता रहा जिसके बाद परिजन उसे डूंगरपुर जिला अस्पताल लेकर पंहुचे. जहां शिशु रोग विशेषज्ञ की देख-रेख में उसकी तबियत सुधरी.

दरअसल, बच्चे के पिता विक्रम गुजरात में काम करते हैं और मासूम भी अपने माता-पिता के साथ वहीं रहता है. वहीं पर वो खाट से नीचे गिर गया था. जब उसके शरीर में अकड़न आ गई तो परिजन उसे अपने गांव रागेला लेकर आए.

डॉक्टर की अपील- न पड़ें अंधविश्वास के चक्कर में: डॉक्टर ने लोगों से अपील की है कि अंधविश्वास के चक्कर में पड़ कर बच्चों की जिन्दगी से खिलवाड़ न करें. किसी भी परिस्थिति में नीम हकीमों से परहेज करें और बच्चों को Qualified चिकित्सकों को ही दिखाएं. सलिए बच्चों को किसी भी तरह की तकलीफ होने पर तुरंत ही पास के किसी अस्पताल में डॉक्टर को दिखाएं, जिससे बच्चे को समय पर इलाज मिले और वो ठीक हो जाए.

डूंगरपुर: आदिवासी अंचल डूंगरपुर जिले में अंधविश्वास की जड़ें बहुत गहरी है. लोग चिकित्सक से ज्यादा तांत्रिकों या भोपा पर यकीन रखते हैं. अंधविश्वास में इतने गहरे डूबे हैं कि मासूम से बच्चे की भी परवाह नहीं करते. ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां 14 महीने के मासूम का इलाज भोपे के गर्म सरिए से करने की कोशिश एक आदिवासी परिवार ने की. इस कोशिश में बच्चे की जान आफत में पड़ गई.

बच्चे को भोपे ने दो बार दागा

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डूंगरपुर जिले के रागेला गांव की घटना है ये. बच्चा खाट से नीचे गिर गया था. कई दिनों तक उसकी हालत नहीं सुधरी. तो परिजनों ने चिकित्सकों की बनिस्बत भोपे को दिखाना ज्यादा बेहतर समझा. भोपे ने मासूम को पेट पर गर्म लोहे के सरिए से दो बार दाग दिया. बच्चा दर्द से चिल्लाता रहा लेकिन परिवार वालों ने उसे अनसुना कर दिया. 8 दिन बाद दाग की वजह से मासूम कराहने लगा और तबियत ज्यादा बिगड़ी तो परिजन उसे अस्पताल लेकर पहुंचे.

दागे जाने की वजह से नन्हे मेहुल का पेट सूज गया था फफोले भी पड़ गए थे. करीब 8 दिनों तक मासूम घर पर तड़पता रहा जिसके बाद परिजन उसे डूंगरपुर जिला अस्पताल लेकर पंहुचे. जहां शिशु रोग विशेषज्ञ की देख-रेख में उसकी तबियत सुधरी.

दरअसल, बच्चे के पिता विक्रम गुजरात में काम करते हैं और मासूम भी अपने माता-पिता के साथ वहीं रहता है. वहीं पर वो खाट से नीचे गिर गया था. जब उसके शरीर में अकड़न आ गई तो परिजन उसे अपने गांव रागेला लेकर आए.

डॉक्टर की अपील- न पड़ें अंधविश्वास के चक्कर में: डॉक्टर ने लोगों से अपील की है कि अंधविश्वास के चक्कर में पड़ कर बच्चों की जिन्दगी से खिलवाड़ न करें. किसी भी परिस्थिति में नीम हकीमों से परहेज करें और बच्चों को Qualified चिकित्सकों को ही दिखाएं. सलिए बच्चों को किसी भी तरह की तकलीफ होने पर तुरंत ही पास के किसी अस्पताल में डॉक्टर को दिखाएं, जिससे बच्चे को समय पर इलाज मिले और वो ठीक हो जाए.

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