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Special­: भामाशाहों की मदद से स्कूल की काया पलटी, अब प्राइवेट स्कूलों जैसी हो रही पढ़ाई

आसपुर उपखंड के राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय बड़लिया ने क्षेत्र में एक अनोखी पहचान बनाई है. इस काम में गांव के भामाशाहों में आगे बढ़कर विद्यालय की सहायता की है. विद्यालय में निजी विद्यालय की तर्ज पर पढ़ाई हो रही है. देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

सरकारी स्कूल में सुविधाएं, Facilities in government school, dungarpur news
सरकारी स्कूल का निजी स्कूल जैसा संचालन
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Published : Dec 20, 2019, 1:02 PM IST

आसपुर (डूंगरपुर). जहां एक तरफ राजकीय विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को लेकर अभिभावक बच्चों को निजी विद्यालय में पढ़ाने को मजबूर हैं. वहीं जिले के आसपुर ब्लॉक के रा.उ.प्रा.वि बड़लिया गांव के भामाशाहों ने आगे आकर विद्यालय की तस्वीर ही बदल डाली.

इस विद्यालय को भामाशोहों ने निजी विद्यालय की तर्ज पर एचकेजी और एलकेजी कक्षाओं का संचालन करवाया जा रहा है. साथ ही ये भामाशाह चार निजी शिक्षकों की तनख्वाह का खर्च भी उठा रहे हैं. यह जिले का पहला विद्यालय है, जहां पर भामाशाह के सहयोग से निजी की तर्ज पर कक्षाएं संचालित हो रही हैं.

यहां सरकारी स्कूल का निजी स्कूलों जैसा हो रहा संचालन...

विद्यालय में कक्षा एक से आठ तक 135 विद्यार्थियों का नामांकन है. HKG और LKG में 26 विद्यार्थियों को 4 निजी शिक्षक पढ़ाते हैं, जिनका पूरा खर्च भामाशाह वहन करते हैं. ये कक्षाएं साल 2014 से शुरू है. विद्यालय में संस्था प्रधान सहित 8 शिक्षक कार्यरत हैं.

ये पढ़ेंः स्पेशल: 5 मंजिला आयुष अस्पताल भवन बनकर तैयार, बिजली कनेक्शन बन रहा बड़ी बाधा

भामाशाहों के पूर्ण समर्थन से शिक्षक भी कड़ी मेहनत के साथ खेल-खेल के माध्यम से बच्चों के स्तर को बढ़ा रहे हैं, जिसका परिणाम यह है कि बच्चे निजी विद्यालयों को छोड़कर इस विद्यायल में दाखिला ले रहे हैं. इस सत्र में 30 विद्यार्थियों को निजी विद्यालय को छोड़कर इस विद्यालय में नामांकन करवाया है.

ये पढ़ेंः स्पेशल रिपोर्ट: बेटियों के काम नहीं आ रही सरकारी की ओर से मिलने वाली साइकिलें, ये है बड़ी वजह

विद्यालय में कुछ ऐसी गतिविधियां हो रहीं हैं संचालित...

विद्यालय में प्रार्थना सभा से दिन की शुरुआत होती है, जिसमें बच्चों द्वारा ढोलक की थाप पर प्रार्थना की जाती है. वहीं विद्यालय में सीसीई आधारित बाल हाट बाजार, अक्षय पेटिका, आदि गतिविधियों के साथ बच्चों को सिखाया और पढ़ाया जाता है. साथ ही इस विद्यालय में छात्र निजी विद्यालयों की तरह टाई, बेल्ट और आई कार्ड पहनकर आते हैं. वहीं शिक्षक भी आई कार्ड का उपयोग करते हैं.

भामाशाहों ने किया है विद्यायल का सहयोग...

गांव के भामाशाहों की ओर से विद्यालय के सुचारू संचालन के लिए बहुत सारी चीजे दी है. भामाशाहों ने विद्यालय को 22 डेस्क, एक प्रॉजेक्टर, छात्र-छात्राओं के लिए बाथरूम, रंनिग वाटर, 120 स्टूल-टेबल, 20 पंखे, एक वाटर कूलर, कमरों में कारपेट, प्रिंटर, सभी कमरों में डस्टबिन, इनवर्टर, आलमारी, संस्था प्रधान की टेबल आदि दिया है.

आसपुर (डूंगरपुर). जहां एक तरफ राजकीय विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को लेकर अभिभावक बच्चों को निजी विद्यालय में पढ़ाने को मजबूर हैं. वहीं जिले के आसपुर ब्लॉक के रा.उ.प्रा.वि बड़लिया गांव के भामाशाहों ने आगे आकर विद्यालय की तस्वीर ही बदल डाली.

इस विद्यालय को भामाशोहों ने निजी विद्यालय की तर्ज पर एचकेजी और एलकेजी कक्षाओं का संचालन करवाया जा रहा है. साथ ही ये भामाशाह चार निजी शिक्षकों की तनख्वाह का खर्च भी उठा रहे हैं. यह जिले का पहला विद्यालय है, जहां पर भामाशाह के सहयोग से निजी की तर्ज पर कक्षाएं संचालित हो रही हैं.

यहां सरकारी स्कूल का निजी स्कूलों जैसा हो रहा संचालन...

विद्यालय में कक्षा एक से आठ तक 135 विद्यार्थियों का नामांकन है. HKG और LKG में 26 विद्यार्थियों को 4 निजी शिक्षक पढ़ाते हैं, जिनका पूरा खर्च भामाशाह वहन करते हैं. ये कक्षाएं साल 2014 से शुरू है. विद्यालय में संस्था प्रधान सहित 8 शिक्षक कार्यरत हैं.

ये पढ़ेंः स्पेशल: 5 मंजिला आयुष अस्पताल भवन बनकर तैयार, बिजली कनेक्शन बन रहा बड़ी बाधा

भामाशाहों के पूर्ण समर्थन से शिक्षक भी कड़ी मेहनत के साथ खेल-खेल के माध्यम से बच्चों के स्तर को बढ़ा रहे हैं, जिसका परिणाम यह है कि बच्चे निजी विद्यालयों को छोड़कर इस विद्यायल में दाखिला ले रहे हैं. इस सत्र में 30 विद्यार्थियों को निजी विद्यालय को छोड़कर इस विद्यालय में नामांकन करवाया है.

ये पढ़ेंः स्पेशल रिपोर्ट: बेटियों के काम नहीं आ रही सरकारी की ओर से मिलने वाली साइकिलें, ये है बड़ी वजह

विद्यालय में कुछ ऐसी गतिविधियां हो रहीं हैं संचालित...

विद्यालय में प्रार्थना सभा से दिन की शुरुआत होती है, जिसमें बच्चों द्वारा ढोलक की थाप पर प्रार्थना की जाती है. वहीं विद्यालय में सीसीई आधारित बाल हाट बाजार, अक्षय पेटिका, आदि गतिविधियों के साथ बच्चों को सिखाया और पढ़ाया जाता है. साथ ही इस विद्यालय में छात्र निजी विद्यालयों की तरह टाई, बेल्ट और आई कार्ड पहनकर आते हैं. वहीं शिक्षक भी आई कार्ड का उपयोग करते हैं.

भामाशाहों ने किया है विद्यायल का सहयोग...

गांव के भामाशाहों की ओर से विद्यालय के सुचारू संचालन के लिए बहुत सारी चीजे दी है. भामाशाहों ने विद्यालय को 22 डेस्क, एक प्रॉजेक्टर, छात्र-छात्राओं के लिए बाथरूम, रंनिग वाटर, 120 स्टूल-टेबल, 20 पंखे, एक वाटर कूलर, कमरों में कारपेट, प्रिंटर, सभी कमरों में डस्टबिन, इनवर्टर, आलमारी, संस्था प्रधान की टेबल आदि दिया है.

Intro:आसपुर(डूंगरपुर)।जहां एक तरफ राजकीय विधालयो में शिक्षकों की कमी को लेकर अभिभावक बच्चों को निजी विद्यालय में पढ़ाने को मजबूर है। वही जिले के आसपुर ब्लॉक के राउप्रावि बड़लिया के ग्रामीणों ने भामाशाह के रूप आगे आकर विद्यालय की तस्वीर ही बदल दी इतना ही नही इन्होंने निजी विद्यालय की तर्ज पर एचकेगी व एलकेजी कक्षाओं का संचालन व चार शिक्षको की तनख्वाह का खर्च भी उठा रहे है।जिले का प्रथम विद्यालय है जहां पर भामाशाह के सहयोग से निजी की तर्ज पर कक्षाएं संचालित हैBody:भामाशाहों ने बदल दी विद्यालय की तस्वीर
आसपुर ब्लॉक का राउप्रावि बड़लिया विद्यालय ने बनाई अनूठी पहचान
घर से भी अधिक सुविधाएं विद्यालय में
भामाशाहों की उम्मीदों पर खरे उतर रहे है शिक्षक
निजी विद्यालय की तर्ज पर होती है पढ़ाई
आसपुर(डूंगरपुर)।जहां एक तरफ राजकीय विधालयो में शिक्षकों की कमी को लेकर अभिभावक बच्चों को निजी विद्यालय में पढ़ाने को मजबूर है। वही जिले के आसपुर ब्लॉक के राउप्रावि बड़लिया के ग्रामीणों ने भामाशाह के रूप आगे आकर विद्यालय की तस्वीर ही बदल दी इतना ही नही इन्होंने निजी विद्यालय की तर्ज पर एचकेगी व एलकेजी कक्षाओं का संचालन व चार शिक्षको की तनख्वाह का खर्च भी उठा रहे है।जिले का प्रथम विद्यालय है जहां पर भामाशाह के सहयोग से निजी की तर्ज पर कक्षाएं संचालित है।


161 विद्यार्थियो का नामांकन
विद्यालय में कक्षा एक से आठ में 135 विद्यार्थियों का नामांकन है। एचकेगी व एलकेजी में 26 विद्यार्थियों को चार निजी शिक्षक अध्ययन करा रहे है। जिनका पूरा खर्च भामाशाह वहन करते है। यह कक्षाएं वर्ष 2014 से शुरू है। विद्यालय में संस्थाप्रधान सहित आठ शिक्षक कार्यरत है। भामाशाहों के पूर्ण समर्थन से शिक्षक भी कड़ी मेहनत के साथ शैक्षिक स्तर को खेल खेल के माध्यम से दे रहे है।इस वर्ष 30 विद्यार्थियो को निजी विद्यालय से स्थानीय विद्यालय में नामांकन कराया।

यह गतिविधिया हो रही है संचालित

विद्यालय में प्रार्थना सभा से दिन की शुरुआत होती है। जिसमे बच्चो द्वारा ढोलक की थाप पर प्रार्थना की जाती है।
विद्यालय में सीसीई आधारित बाल हाट बाजार, अक्षय पेटिका,
आदि गतिविधियों के साथ शिक्षण कार्य कराए जा रहे है।विद्यार्थी टाई, बेल्ट व आई कार्ड पहनकर विद्यालय पहुंचते है तो शिक्षक भी आई कार्ड का उपयोग करते है।

भामाशाहों ने विद्यालय को दी यह सामग्री
विद्यालय में भामाशाहों द्वारा 22 डेस्क, एक प्रॉजेक्टर, छात्र छात्रा बाथरूम रंनिग वाटर, 120 स्टूल टेबल, एक आटा चक्की, 20 पंखे, एक वाटर कूलर, तीन कमरों में कारपेट, प्रिंटर, जेरोक्स, सभी कमरों में डस्टबिन,इन्वेंटर, 4 ड्रम, 8 कमरों की छत पर चाइना मैजिक, दो अलमारी, संस्थाप्रधान टेबल, बोरिंग मोटर, दो पानी की टंकी एक हजार व पांच सौ मीटर की, भामाशाह जगजी पुत्र प्रेमजी पाटीदार द्वारा पांच वर्ष से स्टेशनरी सामग्री दी जा रही है।

बाइट

01 सुमित नाई छात्र
02 शिवानी पाटिदार छात्रा
03 महिमा सेवक छात्रा
04 प्रेमकुमार मीणा छात्र
05 लक्ष्मणलाल मीणा, संस्थाप्रधानConclusion:
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