डूंगरपुर. कोरोना वायरस की महामारी के बाद 22 मार्च से प्रदेश में लॉकडाउन लागू हो गया. इसके बाद लोगों की रोजी-रोटी छीन गई तो कई लोगों के सामने खाने-पीने की भी नौबत आ गई. जिस पर सरकार ने लोगों को राहत पहुंचाने के लिए राशन का वितरण करवाया. लेकिन इस पर भी डीलर से लेकर सरकारी कर्मचारी और अन्य लोगों की गिद्ध जैसी निगाहें जमी रही. कोरोना काल के बीच ही डीलर की ओर से राशन वितरण में गड़बड़ी के साथ ही फर्जी राशन कार्ड, सरकारी कर्मचारी या मृत लोगों के नाम राशन कार्ड से राशन उठाने के मामले भी सामने आए. जब इसकी पड़ताल की गई तो फर्जीवाड़े की कई परतें हटती गई.
ईटीवी भारत ने इसे लेकर जिला रसद अधिकारी अनिल कुमार पंवार से बात की. जिसके बाद उन्होंने बताया कि जिले में सरकार के आदेशों पर कोरोना काल में प्रत्येक व्यक्ति तक राशन पहुंचाने का काम किया गया है. डूंगरपुर जिले में कुल 4 लाख 17 हजार 749 राशन कार्ड हैं. जिसमें से 17 लाख 50 हजार 923 व्यक्ति है. कोरोना काल में विभाग के पास ढेरों शिकायतें आई. जिस पर जांच की गई तो 25 राशन डीलर की ओर से गड़बड़ियां सामने आई. जिस पर कार्रवाई करते हुए सभी के प्राधिकार पत्र निलंबित कर दिए गए. वहीं 8 राशन डीलर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज करवाई गई.
3 हजार डुप्लीकेट राशन कार्ड
इसके अलावा फर्जी राशन कार्ड, मृत या सरकार कर्मचारी के नाम से राशन उठाने के मामले भी सामने आए. जिस पर जिलेभर में राशनकार्ड की छटनी करते हुए रिकॉर्ड खंगाले गए तो जांच में जिले में 3 हजार डुप्लीकेट (फर्जी) राशन कार्ड मिले. जिसमें से 1347 राशन कार्ड सिंगल यूनिट राशन कार्ड थे. इसके अलावा 1653 राशन कार्ड एक नहीं 2 से 3 राशन कार्ड बने हुए है. हालांकि इसकी ओर से किसी तरह का डबल राशन नहीं उठाया गया है, लेकिन इस कारण जिले में राशन कार्ड की संख्या ज्यादा बताई जा रही थी.
6 हजार मृत या शादीशुदा के नाम
जांच में मृत और शादीशुदा लोगों के नाम भी राशन कार्ड में मिले. डीएसओ ने बताया कि 6 हजार ऐसे लोगों के नाम राशन कार्ड में लिखे हुए थे, जिनकी या तो पिछले सालों में मौत हो चुकी है या फिर महिला होने के कारण शादी के बाद अपने ससुराल चली गई है. बावजूद उनके नाम राशन कार्ड में दर्ज थे. जिस कारण उनके नाम से भी राशन उठ रहा था. इस पर भी रसद विभाग ने इन सभी लोगों के नाम हटाते हुए कार्रवाई की है.
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2 उपभोक्ताओं के खिलाफ भी केस
डीएसओ ने बताया कि कोरोना के दौरान कई लोग दोहरा फायदा उठाने या झूठी शिकायतों से भी बाज नहीं आये. इस पर भी कार्रवाई की गई. डीएसओ ने बताया कि जिले में ऐसे में दो मामले सामने आए. जिसमे उपभोक्ताओं ने उन्हें खाद्य सामग्री नहीं मिलने की शिकायत की थी, लेकिन जांच में उनके पास पर्याप्त राशन होने की पुष्टि हुई. जिसके बाद विभाग को गुमराह करने पर दो उपभोक्ताओं के खिलाफ केस दर्ज करवाया गया.
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24 सरकारी कर्मचारियों ने उठाया गरीबों का राशन, 3 लाख की वसूली
कोरोना काल में गरीबों के लिए आये राशन पर सरकारी कर्मचारियों की भी नजर रहीं. सरकारी कर्मचारी भी यह राशन उठाने में पीछे नहीं रहे. डीएसओ ने बताया कि अभी तक 24 सरकारी कर्मचारी ऐसे मिले है, जिन्होंने फर्जी तरीके से राशन उठा लिया. जिसपर उन्हें नोटिस जारी कर वसूली की जा रही हैं. अब तक विभाग की ओर से 2 लाख 95 हजार 601 रुपये की वसूली इन सरकारी कर्मचारियों से कर चुका हैं. इसके अलावा ऐसे सरकारी कर्मचारियों को चिन्हित किया जा रहा है, जो गलत तरीके से राशन उठा रहे थे.
8 डीलर के खिलाफ एफआईआर
जिलेभर में राशन डीलर की ओर से राशन वितरण में गड़बड़ियों के कई मामले सामने आए. जिसपर रसद विभाग ने 25 डीलर के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनके प्राधिकार पत्र निलंबित किए. वहीं 8 राशन डीलर के गंभीर मामले होने के कारण उनके खिलाफ अलग-अलग थानों में एफआईआर दर्ज करवाई गई. जिसमें राशन डीलर दामडी, भाटडा, डूंगरपुर शहर के घाटी, आंतरी, लेम्प्स पादरा, डेडको का वेला, लेम्प्स वस्सी सेकंड और लेम्प्स थाणा बोरी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई ओर उनके खिलाफ जांच जारी है.
किस सरकारी कर्मचारी से कितनी वसूली
- थावरचंद, 19 हजार 31 रुपये
- लोकेश बरंडा, 9 हजार 474 रुपये
- सोहनलाल कटारा माथुगामड़ा, 9 हजार 818 रुपये
- संतोष डामोर डोलकुंजेला, 593 रुपये
- वल्लभराम वेंजा, 16 हजार 793 रुपये
- पन्नालाल वेंजा, 8 हजार 100 रुपये
- नारायणलाल वेंजा, 13 हजार 230 रुपये
- शंकरलाल वेंजा, 18 हजार 360 रुपये
- मनोज कटारा वेंजा, 11 हजार 205 रुपये
- अर्जुनलाल कटारा वेंजा, 4 हजार 373 रुपये