आसपुर (डूंगरपुर). जिले में सोम, माही और जाखम नदियों के त्रिवेणी संगम पर स्थित तीर्थ बेणेश्वरधाम पर भगवान कृष्णावतारी संत मावजी महाराज की स्मृति में चल रहा आदिवासियों का महाकुंभ कहे जाने वाला बेणेश्वर मेला परवान पर हैं. रविवार को हजारों की संख्या में लोग मेले की परंपरागत रस्मों के सहभागी बने. मेले के तहत माघ पूर्णिमा के अवसर पर मुख्य मेले का आयोजन हुआ. वहीं, माघ पूर्णिमा के अवसर पर मुख्य मेले में राजस्थान सहित गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र सहित देश के कोने-कोने से लाखों की संख्या में मेलार्थी बेणेश्वर पहुंचें और पवित्र त्रिवेणी संगम में डूबकी लगाई. इस मौके पर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की ओर से एक साथ दिवंगत परिजनों की अस्थियों का विसर्जन, पिंडदान आदि रस्में निभाई गई.
इस दौरान श्रद्धालु प्राचीनतम बेणेश्वर शिवालय, मनोहारी राधा कृष्ण मंदिर, वेदमाता गायात्री, जगतपिता ब्रह्म, वाल्मिकी आदि देवालयों में दर्शन के बाद मेले में खरीददारी का भी लाभ उठाया. वहीं, मुख्य मेले में लाखों लोगों के सम्मिलित होने के मद्देनजर जिला प्रशासन की ओर से कड़े इंतजाम किए गए है.
सुरक्षा की दृष्टि से करीब 700 से अधिक पुलिसकर्मी मेला स्थल पर तैनात किए गए है. सीसीटीवी कैमरों की मेले की गतिविधियों पर पूरी नजर रखी जा रही है. इधर, मेलार्थियों की भी सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जा रहा है.
हरि मंदिर साबला से शुरू हुई शाही यात्रा
पीठाधीश्वर अच्युतानंद महाराज ने माघ पूर्णिमा पर हरिमंदिर साबला में परम्परानुसार पूर्व अष्ठ पीठाधीश्वरों का स्मरण और गर्भ गृह में भगवान कलकी की मूर्ति पर अभिषेक और मावजी की अक्ष पर पूजा-अर्चना कर विश्वशांति की कामना की. इसके बाद पीठाधीश्वर के सानिध्य में ढ़ोल नगाडों के साथ शाही यात्रा शुरू हुई. यात्रा के आगे धर्म ध्वज के साथ युवक चल रहे थे. वहीं, एक पालकी में भगवान कृष्ण विराजे हुए थे तो दूसरी ओर पालकी में पीठाधीश्वर अच्युतानंद महाराज बैठे हुए थे.
आबूदर्रा में पीठाधीश्वर ने पूजा-अर्चना के बाद सादगी से स्नान किया. भक्तो ने पीठाधीश्वर को कंधे पर बैठाकर जयघोष लगाते हुए पुन: मंदिर पहुंचे जहां पर भक्तों ने आशीर्वाद लिया. दर्शनाथ के लिए मंदिर में भक्तों की लंबी कतारें लगी हुई थी. मेले में मेलार्थियों ने राधा-कृष्ण, बेणेश्वर शिवालय, ब्रम्हा मंदिर, वाल्मिक मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद मेले में सजी दूकानों पर खरीददारी कर लुफ्त उठाया.
परिजनों ने विसर्जित की अस्थियां
त्रिवेणी संगम में परिजनों ने अस्थियां विसर्जित कर मृतको के लिए मोक्ष की कामना की. आबूदर्रा घाट पर मावभक्तों ने स्नान करने के साथ ही अर्पण तर्पण किया.