डूंगरपुर. अखिल भारतीय संगठन लघु उद्योग भारती इकाई डूंगरपुर की ओर से 'स्वावलंबन से स्वरोजगार' कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त युवाओं को टूल किट के साथ सम्मानित किया गया. वहीं लघु उद्योग भारती ने स्थानीय शिल्प कलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए जगह मुहैया करवाने का मुद्दा उठाया.
लघु उद्योग भारती की ओर से राजमाता विजयाराजे सिंधिया ऑडिटोरियम हॉल में आयोजित कार्यक्रम मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद हर्षवर्धन सिंह, डूंगरपुर-बांसवाड़ा सांसद कनकमल कटारा, नगर सभापति अमृत कलासुआ, लघु उद्योग भारती के राष्ट्रीय सचिव समीर मुंदडा, प्रदेशाध्यक्ष घनश्याम ओझा मौजूद थे. जिलाध्यक्ष पवन जैन ने स्वागत किया.
इस अवसर पर प्रांतीय अध्यक्ष योगेन्द्र शर्मा ने बताया कि कोरोना काल में कई लोग बेरोजगार हुए, जिससे उनके सामने आर्थिक संकट आ गया, जिसमें अधिकतर युवा वर्ग था. उन युवाओं को लघु उद्योग भारती के माध्यम से सबमर्सिबल पम्प मैकेनिक का प्रशिक्षण दिया गया. इसका मुख्य उद्देश्य युवा प्रशिक्षण के माध्यम से खुद का स्वरोजगार विकसित कर सके और आत्मनिर्भर बनना है.
कार्यक्रम के दौरान प्रशिक्षण प्राप्त युवाओं को सर्टिफिकेट के साथ ही टूलकिट प्रदान किए गए, जिससे कि वे खुद का रोजगार शुरू कर सकें. जिलाध्यक्ष पवन जैन ने बताया कि डूंगरपुर में कई कुम्हार हैं, जो मिट्टी के बर्तनों की अच्छी कारीगरी करते हैं. धीरे-धीरे लुप्त होती कुम्हार कारीगरी को प्रेरित करने के लिए दिवाली पर मिट्टी के दिए अभियान शुरू किया गया, जिसमें लोगों को घरों तक जाकर मिट्टी के दीये पहुंचाए गए. इससे कुम्हारों को स्वरोजगार मिला.
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उन्होंने कहा कि इसी तरह डूंगरपुर में सोमपुरा समाज की मूर्तिकला, बांसड समाज के बांस की कारीगरी, सुथार समाज के लकड़ी की कला और मोची समाज की हस्त निर्मित सामग्री बहुत ही अद्भुत है. इन कलाओं को आगे बढ़ाने के साथ ही आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार और प्रशासन की ओर से एक जगह उपलब्ध करवाई जानी चाहिए. लघु उद्योग भारती ने इन मांगों को लेकर सांसद को ज्ञापन सौंपा. साथ ही रेलवे स्टेशन पर स्थानीय शिल्प कला की एक प्रदर्शनी लगाने के लिए भी जगह उपलब्ध करवाने की मांग रखी. इस अवसर पर बड़ी संख्या में उद्यमी और लोग मौजूद थे.