धौलपुर. राज्य में अगले माह विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है. सभी पार्टियां प्रचार और एक-दूसरे की घेराबंदी में जुट गई हैं. वहीं, धौलपुर विधानसभा क्षेत्र में अबकी दिलचस्प मुकाबले के आसार बन रहे हैं. यहां मुख्य तौर पर मुकाबला जीजा-साली के बीच तय माना जा रहा था, लेकिन इस बीच बसपा ने मैदान में प्रभावी प्रत्याशी उतार कर मुकाबले को अब त्रिकोणीय बना दिया है. दरअसल, धौलपुर सीट से भाजपा, कांग्रेस के साथ ही बसपा ने भी अपना प्रत्याशी फाइनल कर दिया है. भाजपा ने यहां से डॉ. शिवचरण कुशवाहा को मैदान में उतारा है तो वहीं, कांग्रेस ने क्षेत्र की मौजूदा विधायक शोभारानी कुशवाहा पर भरोसा जताया है. इसी बीच बहुजन समाज पार्टी ने पूर्व सभापति व पूर्व मंत्री बनवारी लाल शर्मा के भतीजे रितेश शर्मा को टिकट देकर यहां मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है.
मैदान में जीजा-साली : डॉ. शिवचरण कुशवाहा और शोभा रानी के बीच जीजा-साली का रिश्ता है. भाजपा, कांग्रेस और बीएसपी का टिकट फाइनल होने के बाद तीनों दल के प्रत्याशी मैदान में कमर कसकर उतर चुके हैं. मतदाता को लुभाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन चुनावी मुकाबला काफी रोचक बन गया. बाजार, गली, मोहल्ले और चाय की स्टॉलों पर चर्चाएं शुरू हो गई हैं. मतदाता त्रिकोणीय मुकाबला होने की वजह से अपने-अपने गणित के हिसाब से हार जीत तय कर रहे हैं. बीएसपी प्रत्याशी रितेश शर्मा भी कमजोर नहीं माने जा रहे हैं. पारिवारिक सियासी बैकग्राउंड होने की वजह से उन्हें मजबूती उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है.
इसे भी पढ़ें - Rajasthan Election 2023 : भाजपा अध्यक्ष के घर से लेकर पार्टी ऑफिस तक टिकट पर बवाल, कहां है पार्टी का डैमेज कंट्रोल ?
विशेष कर धौलपुर विधानसभा क्षेत्र में कुशवाहा और ब्राह्मण मतदाताओं का अच्छा खासा दखल है, लेकिन कुशवाहा समाज से भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों से प्रत्याशी होने की वजह से वर्तमान विधायक शोभारानी कुशवाहा और उनके जीजा डॉ. शिवचरण कुशवाहा के लिए चुनावी राह आसान नहीं है. डॉ. कुशवाहा और रितेश शर्मा की पकड़ धौलपुर शहर में अधिक मजबूत मानी जाती है. वहीं, शोभारानी कुशवाहा का दबदबा ग्रामीण अंचल में है. जातिगत समीकरण की बात की जाए तो कुशवाहा समाज दो गुटों में बट सकता है. इधर, ब्राह्मण समाज का मतदाता एकजुट दिख रहा है और अगर रितेश शर्मा दलित वोटों को साधने में कामयाब रहे तो यहां भाजपा और कांग्रेस की दिक्कतें बढ़ सकती है. शोभारानी कुशवाहा के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी भी देखी जा रही है.
2018 में भी आमने सामने थे जीजा-साली : वैसे तो जीजा-साली का रिश्ता हंसी ठिठोली का माना जाता है, लेकिन रिश्तों को बनने बिगड़ने में देर भी नहीं लगती है. 2018 के चुनाव से पूर्व डॉ. शिवचरण कुशवाहा और उनकी साली शोभारानी के साथ ही खड़े रहे थे. विगत तीन चुनाव में डॉ. शिवचरण कुशवाहा ने साली शोभारानी का साथ दिया था, लेकिन 2018 के चुनाव से पूर्व हालात ऐसे बन गए कि दोनों के रिश्तों में दरार पड़ गई.
रिश्ते में खटास का असर इतना अधिक हुआ कि डॉ. कुशवाहा 2018 के चुनाव में कांग्रेस में शामिल हो गए और टिकट भी हासिल कर लिए. ऐसे में यहां जीजा-साली के बीच रोचक मुकाबला हुआ, लेकिन चुनावी परिणाम शोभारानी कुशवाहा के पक्ष में आया. कांग्रेस की सरकार बनने के बाद शोभारानी कुशवाहा की नजदीकी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बढ़ी. वहीं, 2020 में कांग्रेस में आए भूचाल व राज्यसभा चुनाव में उन्होंने खुलकर पार्टी का साथ दिया. मसलन भाजपा ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया. इधर, शोभारानी की नजदीकी कांग्रेस में बढ़ने के बाद जीजा शिवचरण कुशवाहा ने भाजपा का दामन थाम लिया, जिसके बाद भाजपा उन्हें धौलपुर सीट से बतौर प्रत्याशी मैदान में उतार दिया.
राजाखेड़ा से कांग्रेस ने रोहित बोहरा को बनाया प्रत्याशी : कांग्रेस, भाजपा और बसपा ने धौलपुर विधानसभा सीट से प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं. रविवार देर शाम को राजाखेड़ा विधानसभा क्षेत्र से रोहित बोहरा का टिकट फाइनल हुआ, लेकिन अभी कांग्रेस ने बाड़ी, बसेड़ी को होल्ड पर रखा है.