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प्रोनिंग थैरेपी अपनाने पर जोर, प्रोनिंग से होगी सांस की समस्या दूर - प्रोनिंग थैरेपी के फायदे

लगातार बढ़ते संक्रमण के बीच प्रोनिंग एक्सरसाइज भी इन दिनों चर्चा का विषय बन चुकी है. धौलपुर में रविवार को जिला कलेक्टर ने प्रोनिंग थैरेपी के बारे में आमजन को जागरूक करने के लिए एक टीम का गठन करने के निर्देश दिए हैं. जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्रोनिंग थैरेपी के बारे में जानकारी मिल सके.

धौलपुर हिंदी न्यूज , what is Proning position, Proning therapy
प्रोनिंग थैरेपी को लेकर आमजन को जागरूक करने के लिए टीम का गठन
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Published : May 9, 2021, 8:22 PM IST

Updated : May 9, 2021, 9:02 PM IST

धौलपुर. जिला प्रशासन ने कोरोना काल की वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए आमजन को प्रोनिंग थैरेपी अपनाने पर जोर दिया है. प्रोनिंग थैरेपी से ऑक्सीजन बेड मॉनिटरिंग करने से कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की ओर से अपने शरीर में ऑक्सीजन की कमी को दूर किया जा सकता है.

ये प्रोनिंग थैरेपी ऐसे संक्रमित व्यक्ति जो कि होम आइसोलेशन या संस्थागत आइसोलेशन में हैं उनके लिए बहुत फायदेमंद साबित होगी और इससे सांस लेने में तकलीफ दूर होगी. इस तकनीक से आईसीयू में रखने वाले मरीजों को भी तात्कालिक लाभ मिलेगा.

जिला कलेक्टर की ओर से मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. गोपाल प्रसाद गोयल को पाबंद करते हुए प्रोनिंग थैरेपी के संबंध में जिले में आमजन की जानकारी में लाने के लिए आवश्यक टीमों को गठन करने के निर्देश दिए. उन्होंने निर्देश देते हुए कहा है कि प्रोनिंग थैरेपी के माध्यम से ऑक्सीजन लेवल को बढ़ाने के लिए जिला चिकित्सालय धौलपुर, उप जिला चिकित्सालय बाड़ी और अन्य चिकित्सा संस्थानों में कार्यरत फिजियोथेरेपिस्ट, मेल नर्स के माध्यम से टीमें गठित की जाऐं और प्रत्येक सीएचसी, पीएचसी लेवल पर भेजकर आंगनबाड़ी, आशा सहयोगिनी, एएनएम और वॉलेन्टियर्स को प्रशिक्षित किया जाए, ताकि उनकी ओर से घर-घर जाकर प्रोनिंग थैरेपी के बारे में लोगों को अवगत कराया जा सकें और इस तकनीक का लाभ उठाया जा सके.

आइए जानें क्या है प्रोनेनिंग थेरेपी

प्रोनिंग की जरूरत उस समय पड़ती है जब कोरोना मरीज को सांस लेने में दिक्कत हो और शरीर में ऑक्सीजन का स्तर 94 के नीचे चला जाए. स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इसकी सिफारिश की है. अगर आप कोरोना से संक्रमित हैं और घर पर ही आइसोलेशन में हैं तो हो सकता है कि आपको कभी कभी सांस में तकलीफ की शिकायत होती हो. ऐसे में आपको घबराने की जरूरत नहीं है. आपके लिए बहुत ही सरल उपाय है जिसकी मदद से आप खुद को इस समस्‍या से उबार सकते हैं. इसके लिए ना तो आपको किसी दवा या ऑक्‍सीजन सिलेंडर की जरूरत होगी और ना ही किसी के मदद या जुगाड़ की. आपको बस उल्‍टा लेटना होगा और गहरी सांस लेनी होगी.

दरअसल यह एक बेहद पुरानी तकनीक है जिसे प्रोनिंग पोजीशन कहते हैं. इसके फायदे को देखते हुए भारत सरकार हेल्‍थ मिनिस्‍ट्री ने भी अपने वेबसाइट और ट्वीटर पेज पर लोगों के साथ इससे संबंधित जानकारियां शेयर की है. बता दें कि देश के तमाम बड़े अस्‍पतालों में इन दिनों ऑक्‍सीजन सप्‍लाई को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. ऐसे में ये तकनीक लोगों को काफी फायदा पहुंचा रही है.

क्‍या है प्रोनिंग पोजीशन

मिनिस्‍ट्री ऑफ हेल्‍थ एंड फैमिली वेलफेयर, भारत सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक प्रोनिंग पोजीशन कोरोना के उन मरीजों के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हो रहा है जो होम आइसोलेशन में हैं. इसकी मदद से कोरोना सं‍क्रमित मरीजों के ब्‍लड में हो रहे ऑक्‍सीजन की गिरावट को तुरंत ठीक किया जा सकता है. हेल्‍थ मिनिस्‍ट्री के मुताबिक अगर मरीज का ऑक्‍सीजन लेवल 94 या उससे कम हो रहा हो तो वे घर पर ही इस तकनीक का प्रयोग कर सकते हैं.

जानें क्‍या है पल्‍स ऑक्‍सीमीटर डिवाइस

घर पर कोरोना का इलाज करते समय इसे जरूर रखें साथकिन चीजों की पड़ती है जरूरतइसके लिए आप 4 से 5 तकिया लें. एक तकिया गरदन के नीचे, एक से दो तकिया छाती से लेकर अपर थाई तक रखें और दो तकिया लोअर लेग यानी पंजों के निचले‍ हिस्‍से में रखें.

जानें- कितने देर के लिए करें

इसके लिए चार से पांच तकिया लें और उल्‍टा लेट जाएं. आधे घंटे से लेकर 2 घंटे तक पेट के बल लेट सकते हैं. इसके बाद आधे घंटे से लेकर 2 घंटे तक दाहिने करबट लेटें. इसके बाद आधे घंटे से लेकर 2 घंटे तक सिटिंग पोजीशन में रहें. इसके बाद आधे घंटे से लेकर 2 घंटे तक दाहिने करबट लेटें. इसके बाद दुबारा से पेट के बल लेटें. हालांकि बेहतर होगा कि आप आधे आधे घंटे में ही अपना पोजीशन बदलते रहें.

जानें कब ना करें प्रोनिंग

खाने के कम से कम 1 घंटे बाद करें. जब तक कम्‍फर्टेबल लगे तभी तक इस पोजीशन में रहें. प्रेगनेंसी में इस पोजीशन का प्रयोग ना करें. 48 घंटे के बाद भी दिक्‍कत हो तो डॉक्‍टर की सलाह लें. मेजर कार्डियक प्रॉब्‍लम हो तो ना करें. स्पाइनल कॉड में इंज्‍यूरी, पेल्विक फ्रैक्‍चर आदि हो तो ना करें. विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकांश कोविड-19 मरीजों के फेफड़ों तक पर्याप्त आक्सीजन नहीं पहुंच पाता और इसी से खतरा पैदा होता है. जब ऐसे मरीज़ों को ऑक्‍सीजन दी जाती है तो वह भी कई बार पर्याप्त नहीं होता. ऐसी स्थिति में हम उनको पेट के बल लिटाते हैं, चेहरा नीचे रहता है, इससे उनका फेफड़ा बढ़ता है. इंसानी फेफड़े का भारी हिस्सा पीठ की ओर होता है इसलिए जब कोई पीठ के बल लेटकर सामने देखता है तो फेफड़ों में ज्यादा ऑक्‍सीजन पहुंचने की संभावना कम हो जाती है. कोरोना संक्रमण के नए स्‍ट्रेन से बचने के लिए घर की खिड़कियां खुली रखें. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने इस तकनीक को बच्चों के लिए भी सेफ बताया है.

पढ़ें- Special: गर्भ में पल रहे शिशु को कोरोना से कैसे बचाएं ? ETV Bharat पर जानिए डॉक्टरों की राय

डॉक्‍टर्स का कहना है कि यह स्थिति उन कोरोना पेशेंट्स में ऑक्सीजन के प्रवाह को बेहतर बनाने में मदद करती है जो गंभीर हैं और इसकी मदद से उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट की भी जरूरत कम पड़ सकती है. इन दिनों कोविड मरीजों को ऑक्सीजन क्राइसिस से जूझना पड़ रहा है. कई अस्पतालों में भी ऑक्सीजन आपूर्ति की समस्या बनी हुई है. ऐसे में घर पर रहकर भी ऑक्सीजन लेवल को बढ़ाया जा सकता है. घर के हर सदस्य को ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने के तरीके जरूर पता होने चाहिए. इससे अचानक जरूरत पड़ जाने पर परेशानी नहीं होगी.

धौलपुर. जिला प्रशासन ने कोरोना काल की वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए आमजन को प्रोनिंग थैरेपी अपनाने पर जोर दिया है. प्रोनिंग थैरेपी से ऑक्सीजन बेड मॉनिटरिंग करने से कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की ओर से अपने शरीर में ऑक्सीजन की कमी को दूर किया जा सकता है.

ये प्रोनिंग थैरेपी ऐसे संक्रमित व्यक्ति जो कि होम आइसोलेशन या संस्थागत आइसोलेशन में हैं उनके लिए बहुत फायदेमंद साबित होगी और इससे सांस लेने में तकलीफ दूर होगी. इस तकनीक से आईसीयू में रखने वाले मरीजों को भी तात्कालिक लाभ मिलेगा.

जिला कलेक्टर की ओर से मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. गोपाल प्रसाद गोयल को पाबंद करते हुए प्रोनिंग थैरेपी के संबंध में जिले में आमजन की जानकारी में लाने के लिए आवश्यक टीमों को गठन करने के निर्देश दिए. उन्होंने निर्देश देते हुए कहा है कि प्रोनिंग थैरेपी के माध्यम से ऑक्सीजन लेवल को बढ़ाने के लिए जिला चिकित्सालय धौलपुर, उप जिला चिकित्सालय बाड़ी और अन्य चिकित्सा संस्थानों में कार्यरत फिजियोथेरेपिस्ट, मेल नर्स के माध्यम से टीमें गठित की जाऐं और प्रत्येक सीएचसी, पीएचसी लेवल पर भेजकर आंगनबाड़ी, आशा सहयोगिनी, एएनएम और वॉलेन्टियर्स को प्रशिक्षित किया जाए, ताकि उनकी ओर से घर-घर जाकर प्रोनिंग थैरेपी के बारे में लोगों को अवगत कराया जा सकें और इस तकनीक का लाभ उठाया जा सके.

आइए जानें क्या है प्रोनेनिंग थेरेपी

प्रोनिंग की जरूरत उस समय पड़ती है जब कोरोना मरीज को सांस लेने में दिक्कत हो और शरीर में ऑक्सीजन का स्तर 94 के नीचे चला जाए. स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इसकी सिफारिश की है. अगर आप कोरोना से संक्रमित हैं और घर पर ही आइसोलेशन में हैं तो हो सकता है कि आपको कभी कभी सांस में तकलीफ की शिकायत होती हो. ऐसे में आपको घबराने की जरूरत नहीं है. आपके लिए बहुत ही सरल उपाय है जिसकी मदद से आप खुद को इस समस्‍या से उबार सकते हैं. इसके लिए ना तो आपको किसी दवा या ऑक्‍सीजन सिलेंडर की जरूरत होगी और ना ही किसी के मदद या जुगाड़ की. आपको बस उल्‍टा लेटना होगा और गहरी सांस लेनी होगी.

दरअसल यह एक बेहद पुरानी तकनीक है जिसे प्रोनिंग पोजीशन कहते हैं. इसके फायदे को देखते हुए भारत सरकार हेल्‍थ मिनिस्‍ट्री ने भी अपने वेबसाइट और ट्वीटर पेज पर लोगों के साथ इससे संबंधित जानकारियां शेयर की है. बता दें कि देश के तमाम बड़े अस्‍पतालों में इन दिनों ऑक्‍सीजन सप्‍लाई को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. ऐसे में ये तकनीक लोगों को काफी फायदा पहुंचा रही है.

क्‍या है प्रोनिंग पोजीशन

मिनिस्‍ट्री ऑफ हेल्‍थ एंड फैमिली वेलफेयर, भारत सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक प्रोनिंग पोजीशन कोरोना के उन मरीजों के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हो रहा है जो होम आइसोलेशन में हैं. इसकी मदद से कोरोना सं‍क्रमित मरीजों के ब्‍लड में हो रहे ऑक्‍सीजन की गिरावट को तुरंत ठीक किया जा सकता है. हेल्‍थ मिनिस्‍ट्री के मुताबिक अगर मरीज का ऑक्‍सीजन लेवल 94 या उससे कम हो रहा हो तो वे घर पर ही इस तकनीक का प्रयोग कर सकते हैं.

जानें क्‍या है पल्‍स ऑक्‍सीमीटर डिवाइस

घर पर कोरोना का इलाज करते समय इसे जरूर रखें साथकिन चीजों की पड़ती है जरूरतइसके लिए आप 4 से 5 तकिया लें. एक तकिया गरदन के नीचे, एक से दो तकिया छाती से लेकर अपर थाई तक रखें और दो तकिया लोअर लेग यानी पंजों के निचले‍ हिस्‍से में रखें.

जानें- कितने देर के लिए करें

इसके लिए चार से पांच तकिया लें और उल्‍टा लेट जाएं. आधे घंटे से लेकर 2 घंटे तक पेट के बल लेट सकते हैं. इसके बाद आधे घंटे से लेकर 2 घंटे तक दाहिने करबट लेटें. इसके बाद आधे घंटे से लेकर 2 घंटे तक सिटिंग पोजीशन में रहें. इसके बाद आधे घंटे से लेकर 2 घंटे तक दाहिने करबट लेटें. इसके बाद दुबारा से पेट के बल लेटें. हालांकि बेहतर होगा कि आप आधे आधे घंटे में ही अपना पोजीशन बदलते रहें.

जानें कब ना करें प्रोनिंग

खाने के कम से कम 1 घंटे बाद करें. जब तक कम्‍फर्टेबल लगे तभी तक इस पोजीशन में रहें. प्रेगनेंसी में इस पोजीशन का प्रयोग ना करें. 48 घंटे के बाद भी दिक्‍कत हो तो डॉक्‍टर की सलाह लें. मेजर कार्डियक प्रॉब्‍लम हो तो ना करें. स्पाइनल कॉड में इंज्‍यूरी, पेल्विक फ्रैक्‍चर आदि हो तो ना करें. विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकांश कोविड-19 मरीजों के फेफड़ों तक पर्याप्त आक्सीजन नहीं पहुंच पाता और इसी से खतरा पैदा होता है. जब ऐसे मरीज़ों को ऑक्‍सीजन दी जाती है तो वह भी कई बार पर्याप्त नहीं होता. ऐसी स्थिति में हम उनको पेट के बल लिटाते हैं, चेहरा नीचे रहता है, इससे उनका फेफड़ा बढ़ता है. इंसानी फेफड़े का भारी हिस्सा पीठ की ओर होता है इसलिए जब कोई पीठ के बल लेटकर सामने देखता है तो फेफड़ों में ज्यादा ऑक्‍सीजन पहुंचने की संभावना कम हो जाती है. कोरोना संक्रमण के नए स्‍ट्रेन से बचने के लिए घर की खिड़कियां खुली रखें. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने इस तकनीक को बच्चों के लिए भी सेफ बताया है.

पढ़ें- Special: गर्भ में पल रहे शिशु को कोरोना से कैसे बचाएं ? ETV Bharat पर जानिए डॉक्टरों की राय

डॉक्‍टर्स का कहना है कि यह स्थिति उन कोरोना पेशेंट्स में ऑक्सीजन के प्रवाह को बेहतर बनाने में मदद करती है जो गंभीर हैं और इसकी मदद से उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट की भी जरूरत कम पड़ सकती है. इन दिनों कोविड मरीजों को ऑक्सीजन क्राइसिस से जूझना पड़ रहा है. कई अस्पतालों में भी ऑक्सीजन आपूर्ति की समस्या बनी हुई है. ऐसे में घर पर रहकर भी ऑक्सीजन लेवल को बढ़ाया जा सकता है. घर के हर सदस्य को ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने के तरीके जरूर पता होने चाहिए. इससे अचानक जरूरत पड़ जाने पर परेशानी नहीं होगी.

Last Updated : May 9, 2021, 9:02 PM IST
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