धौलपुर. जिले में रवि फसल में सरसों की कटाई और आलू फसल की खुदाई का काम किसानों ने शुरू कर दिया है. सरसों और आलू दोनों फसलें प्रमुख रूप से पकाव की स्थिति पर पहुंच चुकी है. ऐसे में दोनों फसलों की लावणी का काम जोर-शोर से शुरू हो चुका है. शुरुआती लक्षणों में आलू फसल के उत्पादन में भारी गिरावट की संभावना देखी जा रही है. सरसों फसल में काश्तकार बंपर पैदावार बता रहे हैं.
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उधर गेहूं फसल को पकने में करीब 20 दिन का समय लगेगा. उसके बाद ही गेहूं फसल के उत्पादन का निर्णय हो सकेगा, लेकिन गेहूं फसल के भी शुरुआती लक्षण अच्छे बताए जा रहे हैं. आलू फसल किसानों के लिए इस वर्ष घाटे का सौदा साबित होती दिख रही है. आलू की फसल में पैदावार में गिरावट का मुख्य कारण मौसम की मार और रोग का आना माना जा रहा है. आलू की फसल सबसे महंगी लागत वाली मानी जाती है. आलू फसल में बुवाई से लेकर खुदाई तक किसान का काफी पैसा खर्च होता है, लेकिन इस सीजन में आलू फसल के उत्पादन से किसानों में निराशा हाथ लग रही है.
जिले में रवि फसल की लावणी का काम जोर-शोर से शुरू हो चुका है. रवि फसल पकाव के मुकाम पर पहुंचने पर किसानों ने दिन रात एक कर मेहनत शुरू कर दी है. धौलपुर जिले में प्रमुख रूप से रवि फसल में गेहूं, सरसों, आलू और मटर चना की फसलें की जाती है. इन फसलों में सबसे अधिक फोकस जिले के किसान का सरसों, गेहूं और आलू फसल में रहता है.
जिले में 75 हजार हेक्टेयर से अधिक गेहूं फसल की बुवाई हुई है. 70 हजार हेक्टेयर से अधिक सरसों और 20 हजार हेक्टेयर के आसपास आलू फसल की बुवाई हुई है. मौजूदा वक्त में सरसों की कटाई और आलू फसल की खुदाई का काम किसानों ने शुरू कर दिया है. रवि की यह दोनों फसलें अंतिम मुकाम पर पहुंच चुकी है. शुरुआती लक्षणों में आलू फसल में उत्पादन की भारी गिरावट देखी जा रही है. पिछले वर्ष की अपेक्षा इस सीजन में 30 से 40 फीसदी तक उत्पादन में गिरावट आ रही है. जिससे किसानों को लागत के अनुपात में उत्पादन मिलता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है.
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किसान विनीत शर्मा ने बताया कि आलू फसल में बुवाई से लेकर पकाव तक काफी लागत किसान को लगानी पड़ती है. अधिकांश किसानों के पास खेती करने के उपकरण और संसाधनों का अभाव रहता है. ऐसे में किसान भाड़े के माध्यम से ही बुवाई, जुताई और खुदाई कराता है. उसके अलावा आलू फसल में खाद्य बीज के साथ मंहगे कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करना पड़ता है.
लिहाजा आलू फसल में किसान की लागत सबसे अधिक लगती है, लेकिन इस सीजन में आलू फसल के उत्पादन में भारी गिरावट आ रही है. किसान जगदीश कुशवाहा ने बताया इस सीजन में आलू की फसल पूरी तरह से घाटे का सौदा साबित हो रही है. फसल बुवाई से लेकर खुदाई तक का सफर अच्छा नहीं रहा. उन्होंने बताया मौसम की मार से आलू फसल में भारी नुकसान हुआ है. सर्दी के मौसम में अधिक कोहरा और पाले ने आलू फसल को जकड़ लिया है.
इस फसल में तना गलन, फंगीसाइड और झुलसा रोग ने भारी नुकसान पहुंचाया है. आलू फसल में रोग आने के कारण 30 से 40 प्रतिशत तक पैदावार में गिरावट आ रही है. किसानों ने बताया उधर मंडी में भाव भी अच्छा नहीं मिल रहा है. वर्तमान में मंडी में थोक के भाव 7 से 10 रुपये प्रति किलो बताए जा रहे हैं. जिससे किसानों को भारी निराशा हाथ लग रही है.
उन्होंने बताया आलू फसल की लावणी की कवायद कर कोल्ड स्टोरेज में भंडारण कराया जाएगा. आलू का कोल्ड स्टोरेज में स्टॉक करने पर भी किसानों को भारी खर्च करना पड़ता है. लिहाजा किसानों का मानना है कि इस बार आलू फसल पूरी तरह से घाटे का सौदा साबित हो रही है. उधर किसानों ने बताया सरसों की फसल में इस सीजन में बंपर पैदावार होगी.
सरसों की फसल की कटाई का काम किसानों ने शुरू कर दिया है. शुरुआती लक्षणों में सरसों फसल में पिछले वर्ष की अपेक्षा अच्छा उत्पादन मिलेगा. इस फसल से किसानों में राहत देखी जा रही है. उधर गेहूं फसल की बात की जाए तो अभी 20 से 25 दिन बाद स्थिति स्पष्ट हो सकेगी, लेकिन गेहूं फसल के पौधों के लक्षणों को देखते हुए किसानों को अच्छे उत्पादन के संकेत मिल रहे हैं.
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आलू फसल के उत्पादन से किसानों में भारी निराशा देखी जा रही है. किसानों का कृषि विभाग पर भी आरोप है कि उनको खेती से संबंधित बेसिक जानकारी नहीं मिल पाती है. संबंधित विभाग की लापरवाही का नतीजा है कि किसान हर बार खेती में नुकसान उठाता है, लेकिन सरसों और गेहूं फसल से किसानों को राहत दिखाई दे रही है.