धौलपुर. जिले में चिकित्सा विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. जहां शहर निवासी एक एडवोकेट का कोरोना टेस्ट नहीं किए बिना मोबाइल पर कोरोना टेस्ट का मैसेज पहुंच गया. जिसके बाद चिकित्सा विभाग के अधिकारी मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच कराने की बात कह रहे हैं, लेकिन मामला बड़ी गड़बड़ी का देखा जा रहा है.
शहर के हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी निवासी अशोक कुमार अग्रवाल एडवोकेट ने मंगलवार को बाडा हैदर शाह के कैंप में कोरोना जांच के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था. जहां एडवोकेट ने कोरोना टेस्ट से पूर्व एक फॉर्म भरा था, लेकिन कैंप पर अधिक भीड़ होने पर वकील बिना जांच कराएं घर लौट गया. इसपर दोपहर 3: 41 पर एडवोकेट के मोबाइल पर मैसेज आया कि सैंपल परीक्षण के लिए भेज दिया गया है और वे परिवार में खुद को सबसे अलग रखें. मैसेज पढ़कर वकील के होश उड़ गए. इस प्रकरण से चिकित्सा विभाग की व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं.
चिकित्सा विभाग के अधिकारी मामले को लेकर जांच कराने की बात कह रहे हैं. इसके साथ ही पीएमओ डॉ. समरवीर सिंह सिकरवार ने बताया अशोक अग्रवाल एडवोकेट ने कोविड जांच से पूर्व अपना रजिस्ट्रेशन कराया था. रजिस्ट्रेशन कराने के साथ ही एसआरएफ आईडी डिवेलप हो जाती है. जहां सैंपलिंग की प्रक्रिया अलग से शुरू होती है. रजिस्ट्रेशन के साथ ही एसआरएस ID जनरेट होते ही आवेदक के मोबाइल पर मैसेज आता है.
मैसेज के अंतर्गत सैंपल लेने की जानकारी दी जाती है. उन्होंने बताया कि एडवोकेट ने अपना रजिस्ट्रेशन तो करा दिया था. लेकिन सैंपलिंग के समय पर वहां से गायब हो गए. उन्होंने कहा कि मैसेज सैंपल के रिजल्ट का नहीं है. सिर्फ सैम्पल के रजिस्ट्रेशन का मैसेज दिया जाता है. पीएमओ ने बताया कि उसके बावजूद मामले की पूरी जांच कराई जाएगी. जहां टेस्ट कर रही टीम से पूछताछ की जाएगी. साथ ही टेस्टिंग का डाटा खंगाल कर पूरे मामले की बारीकी से जांच की जाएगी.