धौलपुर. प्रदेश में मानसून की बेरुखी के कारण सितंबर महीने में पड़ रही मई-जून जैसी गर्मी से जहां एक ओर लोगों का हाल बेहाल है, वहीं बारिश ना होने से किसानों के खेतों में खड़ी बाजरे की फसल तेज गर्मी और उमस के कारण झुलसने के कगार पर पहुंच गई है. किसान निजी ट्यूबवेल या पानी के अन्य साधनों द्वारा अपनी फसल को बचाने की जुगत में लगे हुए हैं.
फसल के अंतिम पड़ाव पर पहुंचने के बाद अब बारिश ना होने से किसानों को अपनी फसल के सूखने का डर सता रहा है. वहीं, तेज गर्मी के कारण तापमान में हुई बढ़ोतरी से आगे आने वाली रबी की फसल की बुवाई में भी देरी हो सकती है.
पढ़ें: बीकानेर: राजस्थान प्री-वेटरनरी टेस्ट का हुआ आयोजन, रखा गया कोरोना गाइडलाइन का ख्याल
गौरतलब है कि इस समय किसानों के खेतों में बाजरे की फसल अपने पकाव के अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुकी है. इसके लिए फसल में पानी की बेहद आवश्यकता है, लेकिन पिछले करीब एक महीने से मानसून की बेरुखी के कारण बरसात नहीं होने से अब किसानों के खेतों में खड़ी बाजरे की फसल तेज गर्मी और उमस के कारण झुलस रही है, जिससे अन्नदाता के माथे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती है.
किसान पूरन पुरी ने बताया कि उन्होंने जैसे-तैसे खाद और बीज जुटाकर अपने खेत में बाजरे की फसल की बुवाई की थी. शुरुआती दौर में बरसात अच्छी होने से खेत में फसल भी खूब अच्छी तरह से लहलहा रही थी, लेकिन जैसे-जैसे फसल अपने पकाव पर पहुंचने लगी तो पहले तो फसल की बाली में लगे हरे लट के कीड़े ने बाली को चाटना शुरू कर दिया. वहीं, इसके बाद मानसून की बेरुखी ने रही सही कसर को पूरा कर दिया है.
पढ़ें: जयपुरः कोरोना काल में बेहतरीन कार्य करने वाली निर्भया स्क्वाड को किया जाएगा सम्मानित, अधिकारियों ने की घोषणा
किसान पूरन पुरी के मुताबिक जिन लोगों के पास निजी ट्यूबवेल या अन्य पानी के साधन हैं, वो अपने खेतों में सिंचाई कर फसल को बचाने की जुगत में लगे हुए हैं. लेकिन, बिजली विभाग द्वारा कुछ ही घंटों की बिजली आपूर्ति के कारण वो भी ऊंट के मुंह में जीरे के समान जैसी स्थिति बनी हुई है.
दोहरी मार झेल रहे किसान
कभी अतिवृष्टि तो कभी कम बरसात होने से मानसून आधारित फसल के साथ ही अन्य व्यावसायिक फसलों से किसानों का अब धीरे-धीरे मोहभंग होता जा रहा है. किसान पूरन पुरी ने बताया कि खेती-किसानी अब पहले जैसा मुनाफे का रोजगार नहीं रहा है. महंगे खाद-बीज और जुताई-बुवाई के कारण ज्यादा लागत और कम मुनाफे के कारण अधिकांश लोगों का खेती मोहभंग होता जा रहा है. किसान ने बताया कि समय पर बरसात ना होने और कीटों के प्रकोप के साथ ही बढ़ती महंगाई ने किसानों को दोहरी मार झेलने के लिए मजबूर कर दिया है.