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पुलवामा हमले में शहीद भागीरथ के परिजनों को नहीं मिल रहा सरकारी योजनाओं का लाभ

पुलवामा में दो वर्ष पूर्व 14 फरवरी 2019 को आतंकियों के आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के करीब 45 जवान शहीद हो गए थे. ऐसे में शनिवार को ईटीवी भारत धौलपुर जिले के शहीद सैनिक भागीरथ के घर पहुंचा. यहां शहीद भागीरथ के पिता परशराम और चाचा जरदान सिंह से जानकारी ली. देखिए यह रिपोर्ट...

शहीद भागीरथ को नहीं मिल रहा सरकारी योजना लाभ, Shaheed Bhagirath not getting government benefits
शहीद भागीरथ को नहीं मिल रहा सरकारी योजना का लाभ
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Published : Feb 13, 2021, 10:05 PM IST

धौलपुर. जम्मू कश्मीर के पुलवामा में दो वर्ष पूर्व 14 फरवरी 2019 को आतंकियों के आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के करीब 45 जवान शहीद हो गए थे. जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भारतीय सुरक्षा कर्मियों को ले जाने वाले सीआरपीएफ के वाहनों के काफिले पर आत्मघाती हमला हुआ था. आत्मघाती हमले में धौलपुर जिले के सैनिक भागीरथ ने शहादत दी थी.

पढ़ें- कृषि का व्यवसाय भारत माता का व्यवसाय है, जिसका मालिक कोई एक नहीं बल्कि भारत की 40 फीसदी जनता है: राहुल गांधी

शहीद भागीरथ को राजकीय सम्मान के साथ 16 फरवरी 2019 को उसके पैतृक गांव जैतपुर में हजारों लोगों ने अंतिम विदाई दी थी. उस समय केंद्र और राजस्थान सरकार ने कई घोषणाएं की थी, साथ ही कई बड़े संस्थान और कम्पनियों ने शहीद के परिजनों के साथ बच्चों को आर्थिक मदद और उनकी पढ़ाई लिखाई करने की घोषणा की थी. आज शहादत को दो वर्ष पूरे हो जाने के बाद ईटीवी भारत की टीम शहीद भागीरथ के परिजनों के हाल चाल जानने चम्बल के बीहड़ो में बसे उसके पैतृक गांव जैतपुर पहुंची.

शहीद भागीरथ को नहीं मिल रहा सरकारी योजना का लाभ

ईटीवी भारत की टीम ने शहीद भागीरथ के पिता परशराम और चाचा जरदान सिंह से पूछा कि जो घोषणाएं की गई थी, उनमे से कितनी पूरी हुई है. तब शहीद भागीरथ के पिता परशराम और चाचा जरदान सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार ने शहीद भागीरथ की वीरांगना रंजना देवी को 50 लाख रूपये और राजस्थान सरकार की ओर से 50 लाख रूपये की आर्थिक सहायता दी गई.

जिले के समाजसेवियों ने शहीद भागीरथ के घर पहुंच आर्थिक मदद दी गई हैं, लेकिन जयपुर में फ्लैट देने की घोषणा अभी पूरी नहीं हुई, रिलायंस फाउंडेशन की तरफ कोई मदद नहीं मिली हैं. फ्री बिजली का कनेक्शन नहीं हुआ हैं और शहीद भागीरथ का एक पुत्र पांच वर्षीय विनय और चार वर्षीय पुत्री शिवानी बचपन प्ले स्कूल राजाखेड़ा में निशुल्क पढ़ रहे हैं, लेकिन कोरोना काल में बच्चे घर पर ही हैं.

पुलवामा हमले की जांच के बारे में शहीद के परिजनों को कोई जानकारी नहीं हैं ना लोकल पुलिस बताती हैं और ना कोई अधिकारी बताता हैं. शहीद भागीरथ के परिजनों ने बताया कि वीरांगना रंजना देवी को पेंशन मिल रही हैं. शहीद के नाम से सरकारी स्कूल या अस्पताल का भी नामांकरण नहीं किया, जिससे उसको याद रखा जाए. हमने शहीद भागीरथ की प्रतिमा अपने पैसो से बनवाई हैं और स्वयं के खर्चे पर शहीद स्मारक गांव में बनवाया. शहीद भागीरथ सिंह सीआरपीएफ की 45 वीं बटालियन में भर्ती हुआ था. भागीरथ की मां बपचन में ही गुजर गई थी. ऐसे में परिवार के लालन-पालन की जिम्मेदारी पिता परशराम सिंह पर ही आ गई.

पढ़ें- राहुल गांधी ट्रैक्टर चलाकर पहुंचे रूपनगढ़ सभा स्थल, CM गहलोत और डोटासरा रहे साथ

पिता ने बड़े बेटे भागीरथ सिंह को आरपीएफ की 45वीं बटालियन में भर्ती करा दिया. वहीं छोटा बेटा बलबीर यूपी पुलिस में भर्ती हो गया. भागीरथ बचपन से ही भारत की सेना में जाने का इच्छुक था. उसका सपना भी पूरा हुआ. भागीरथ की शादी 7 वर्ष पूर्व रंजना के साथ हुई थी. भागीरथ के तीन बच्चे है, बड़ा बेटा पांच वर्षीय विनय और चार वर्षीय शालिनी और 13 माह की छोटी बेटी है. शहीद भागीरथ के परिजनों को राजकीय घोषणाओं का लाभ नहीं मिलने से भारी आक्रोश देखा जा रहा है. उन्होंने सिस्टम एवं सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है.

धौलपुर. जम्मू कश्मीर के पुलवामा में दो वर्ष पूर्व 14 फरवरी 2019 को आतंकियों के आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के करीब 45 जवान शहीद हो गए थे. जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भारतीय सुरक्षा कर्मियों को ले जाने वाले सीआरपीएफ के वाहनों के काफिले पर आत्मघाती हमला हुआ था. आत्मघाती हमले में धौलपुर जिले के सैनिक भागीरथ ने शहादत दी थी.

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शहीद भागीरथ को राजकीय सम्मान के साथ 16 फरवरी 2019 को उसके पैतृक गांव जैतपुर में हजारों लोगों ने अंतिम विदाई दी थी. उस समय केंद्र और राजस्थान सरकार ने कई घोषणाएं की थी, साथ ही कई बड़े संस्थान और कम्पनियों ने शहीद के परिजनों के साथ बच्चों को आर्थिक मदद और उनकी पढ़ाई लिखाई करने की घोषणा की थी. आज शहादत को दो वर्ष पूरे हो जाने के बाद ईटीवी भारत की टीम शहीद भागीरथ के परिजनों के हाल चाल जानने चम्बल के बीहड़ो में बसे उसके पैतृक गांव जैतपुर पहुंची.

शहीद भागीरथ को नहीं मिल रहा सरकारी योजना का लाभ

ईटीवी भारत की टीम ने शहीद भागीरथ के पिता परशराम और चाचा जरदान सिंह से पूछा कि जो घोषणाएं की गई थी, उनमे से कितनी पूरी हुई है. तब शहीद भागीरथ के पिता परशराम और चाचा जरदान सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार ने शहीद भागीरथ की वीरांगना रंजना देवी को 50 लाख रूपये और राजस्थान सरकार की ओर से 50 लाख रूपये की आर्थिक सहायता दी गई.

जिले के समाजसेवियों ने शहीद भागीरथ के घर पहुंच आर्थिक मदद दी गई हैं, लेकिन जयपुर में फ्लैट देने की घोषणा अभी पूरी नहीं हुई, रिलायंस फाउंडेशन की तरफ कोई मदद नहीं मिली हैं. फ्री बिजली का कनेक्शन नहीं हुआ हैं और शहीद भागीरथ का एक पुत्र पांच वर्षीय विनय और चार वर्षीय पुत्री शिवानी बचपन प्ले स्कूल राजाखेड़ा में निशुल्क पढ़ रहे हैं, लेकिन कोरोना काल में बच्चे घर पर ही हैं.

पुलवामा हमले की जांच के बारे में शहीद के परिजनों को कोई जानकारी नहीं हैं ना लोकल पुलिस बताती हैं और ना कोई अधिकारी बताता हैं. शहीद भागीरथ के परिजनों ने बताया कि वीरांगना रंजना देवी को पेंशन मिल रही हैं. शहीद के नाम से सरकारी स्कूल या अस्पताल का भी नामांकरण नहीं किया, जिससे उसको याद रखा जाए. हमने शहीद भागीरथ की प्रतिमा अपने पैसो से बनवाई हैं और स्वयं के खर्चे पर शहीद स्मारक गांव में बनवाया. शहीद भागीरथ सिंह सीआरपीएफ की 45 वीं बटालियन में भर्ती हुआ था. भागीरथ की मां बपचन में ही गुजर गई थी. ऐसे में परिवार के लालन-पालन की जिम्मेदारी पिता परशराम सिंह पर ही आ गई.

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पिता ने बड़े बेटे भागीरथ सिंह को आरपीएफ की 45वीं बटालियन में भर्ती करा दिया. वहीं छोटा बेटा बलबीर यूपी पुलिस में भर्ती हो गया. भागीरथ बचपन से ही भारत की सेना में जाने का इच्छुक था. उसका सपना भी पूरा हुआ. भागीरथ की शादी 7 वर्ष पूर्व रंजना के साथ हुई थी. भागीरथ के तीन बच्चे है, बड़ा बेटा पांच वर्षीय विनय और चार वर्षीय शालिनी और 13 माह की छोटी बेटी है. शहीद भागीरथ के परिजनों को राजकीय घोषणाओं का लाभ नहीं मिलने से भारी आक्रोश देखा जा रहा है. उन्होंने सिस्टम एवं सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है.

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