धौलपुर. सभी तीर्थों का भांजा कहे जाने वाले मुचकुन्द के लक्खी मेले में शुक्रवार को लाखों श्रद्धालुओं ने सरोवर में डुबकी (Dholpur Lakkhi Mela) लगाई. साथ ही दान-पुण्य किया. बड़ी संख्या में नव विवाहित जोड़े भी परिवार संग मेला में पहुंचे और कलंगी और मौहरी का सरोवर में विसर्जन किया.
कोरोना महामारी के चलते दो साल बाद देवछठ पर लक्खी मेला लगा है. मुचकुन्द की मान्यता है (Story behind Muchkund Lakkhi mela) कि देवासुर संग्राम के बाद जब राक्षस कालयवन के अत्याचार बढ़ने लगे तब लीलाधर श्री कृष्ण ने कालयवन को युद्ध के लिए ललकारा. इस युद्ध में लीलाधर को भी हार का मुंह देखना पड़ा. तब लीलाधर ने छल से मुचकुन्द महाराज के जरिए कालयवन का वध कराया था.
इसके बाद कालयवन के अत्याचारों से पीड़ित ब्रजवासियो में ख़ुशी कि लहर दौड़ गई. इसके बाद से मुचकुन्द महाराज कि तपोभूमि मुचकुन्द में सभी लोग देवछठ के मौके स्नान करते हैं. साथ ही नवविवाहित जोड़े सहरे की कलंगी को सरोवर में विसर्जित करके मंगलकामना करते हैं. सरवोर में चारधाम की यात्रा करके आने वाले श्रद्धालुओं ने भी डुबकी लगाईं.
पढ़ें. मचकुंड पर देवछठ मेला शुरू, श्रद्धालुओं ने सरोवर में डुबकी लगा किया दान-पुण्य
इस मेले में राजस्थान, हरियाणा, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के साथ दूसरे प्रांतो के श्रद्धालु मुचकुन्द सरोवर में (Arrangements for Dholpur Lakkhi mela) स्नान करने आते हैं. मान्यता है कि जो श्रद्धालु चार धाम की यात्रा करता है उसकी तीर्थयात्रा तब तक सफल नहीं होती जब तक वो साल में एक बार पड़ने वाली देवछठ पर तीर्थराज मचकुण्ड में डुबकी नहीं लगाता. योगेश्वर श्रीकृष्ण भगवान का नाम धौलपुर से रणछोर पड़ा था.
देवछठ के इस मौके पर पांच किलोमीटर की सड़क पर दूर दूर तक श्रद्धालुओं की भीड़ बनी रही. मेले में सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन की और से पुख्ता बंदोबस्त किए गए हैं. मेले में 400 से ज्यादा पुलिस के जवानों के साथ आरएसी की कम्पनियां भी तैनात की गई है. साथ ही सीसीटीवी कैमरों से भी नजर रखी जा रही है.