धौलपुर. भगवान कृष्ण से जुड़े पौराणिक महत्व के स्थलों को केंद्र सरकार श्रीकृष्ण सर्किट बनाकर जोड़ रही है. इसके लिए बजट भी जारी किया गया है. लेकिन धौलपुर के मचकुंड को योजना में शामिल नहीं किया गया है. जानते हैं मचकुंड और उसके पौराणिक महत्व के बारे में...
धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने और श्रद्धालुओं को अपने आराध्य देव की सभी लीला स्थलियों का एक साथ दर्शन करने के लिए केंद्र सरकार ने विभिन्न कॉरिडोर का निर्माण किया है. जिसमें भगवान राम के जीवन दर्शन के लिए श्रीराम सर्किट, बुद्ध सर्किट, हिमालय सर्किट बनाए गए हैं. इसी प्रकार भगवान श्रीकृष्ण की जन्म और लीला स्थलियों से भक्तों को जोड़ने एवं पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए स्वदेश दर्शन योजना के तहत केंद्र सरकार का पर्यटन मंत्रालय एक कोरिडोर कृष्णा सर्किट का निर्माण करा रहा है.
इस सर्किट में वे सभी स्थान जोड़े जा रहे हैं जहां कृष्ण ने अपनी लीलाएं दिखाई थी. इन स्थानों के विकास के लिए लगभग 1000 करोड़ से अधिक का बजट रखा गया है. शहर से लेकर गलियों तक को विश्वस्तर का बनाया जा रहा है. अभी तक 12 स्थानों पर कृष्णा सर्किट प्रोजेक्ट चल रहा है. मथुरा, वृंदावन एवं कुरुक्षेत्र के अलावा गुजरात की द्वारिका नगरी, उड़ीसा का पुरी मन्दिर एवं राजस्थान से गोविंद देवजी, खाटू श्याम तथा नाथद्वारा को इसमें शामिल किया गया है.
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लेकिन धौलपुर जिले के ऐतिहासिक तीर्थराज मचकुंड को स्वदेश दर्शन योजना से उपेक्षित रखा गया है. केंद्र सरकार द्वारा कृष्णा सर्किट में शामिल नहीं किए जाने से स्थानीय श्रद्धालुओं को भारी निराशा हाथ लगी है. जिसका विरोध होना शुरू हो गया है. क्षेत्रीय विधायक शोभारानी कुशवाह ने भी विधानसभा में मांग उठाई है.
राजस्थान का धौलपुर जिला ब्रज क्षेत्र का वह हिस्सा है जहां योगेश्वर श्रीकृष्ण ने कालयवन वध की लीला की थी. कई पुराणों और ग्रथों में वर्णन है कि द्वापर युग में जरासंध से श्रीकृष्ण के युद्ध के समय उसके पक्ष में कालयावन राक्षस ने युद्ध किया था. एक वरदान के चलते कृष्ण भगवान उसे मार नहीं पा रहे थे. तो उन्हें युद्ध क्षेत्र से भागना पड़ा. वे युद्ध से भागकर जिस स्थान पर आए वह आज धौलपुर में है.
यहां महाप्रतापी राजा मचकुंद एक गुफा में सोए हुए थे. श्रीकृष्ण ने अपना पीताम्बर उनके उपर डाल दिया और अन्तर्ध्यान हो गए. मचकुंद को वरदान था कि जो भी उन्हें नींद से जगाएगा वह भस्म हो जाएगा. कालयवन राक्षस गुफा में पहुंचा तो उसने मचकुंद जी को कृष्ण समझ कर लात मारकर जगाया. मचकुंड की नजर पड़ते ही राक्षस भस्म हो गया. तब से ही कृष्ण भगवान का नाम रणछोड़ पड़ा.
धौलपुर जिले ने ही परमपिता परमात्मा योगेश्वर श्रीकृष्ण भगवान को रणछोड़ नाम की उपाधि दी. लेकिन कृष्ण सर्किट में शामिल नहीं किए जाने से स्थानीय श्रद्धालुओं में भारी निराशा है. केंद्र सरकार ने हाल ही में स्वदेश दर्शन योजना के तहत धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 1000 करोड़ से अधिक का बजट स्वीकृत किया है. जिस बजट से धार्मिक एवं तीर्थ स्थलों का विकास होगा. धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.
आज भी धौलपुर में पर्वत पर मचकुंद राजा की गुफा मौजूद है. इसके अलावा मचकुंद महाराज ने श्रीकृष्ण के सान्निध्य में यज्ञ किया था. उस स्थान पर आज 108 मंदिरों से घिरा हुआ सुंदर सरोवर मचकुंड बना हुआ है. मचकुंड को पूर्वी राजस्थान का पुष्कर भी कहते हैं जहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं. पौराणिक मान्यता के मुताबिक नवविवाहित वर-वधू की मोहरी का विसर्जन मचकुंड सरोवर में किया जाता है. भगवान मचकुंड के आशीर्वाद से परिवार में सुख समृद्धि के साथ वैभव, धन, पद, प्रतिष्ठा की बढ़ोतरी होती है.
ब्रज क्षेत्र से महज 100 किलोमीटर की दूरी पर है धौलपुर जिला
भगवान श्रीकृष्ण की लीला स्थली होने और मथुरा से महज 100 किमी की दूरी पर स्थित और पर्यटन के लिहाज से एक आदर्श स्थान होने के बाद भी धौलपुर को कृष्ण सर्किट में शामिल नहीं किया गया है. इसी को लेकर जिले के लोगों में आक्रोश है. श्रीरणछोड़ मचकुंड धाम समिति और हल्ला बोल टीम की ओर से धौलपुर को कृष्णा सर्किट में जुड़वाने के लिए एक मुहिम चल रही है.
धौलपुर का हर व्यक्ति इस मुहिम में शामिल है. जिले के सभी सामाजिक एवं राजनैतिक संगठन इस मुहिम में शामिल हो गए हैं. जगह जगह बैठकों के अलावा मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन दिए जा रहे हैं. जिले में हस्ताक्षर और पोस्टकार्ड अभियान चल रहे हैं. धौलपुर को कृष्ण सर्किट में जुड़वाने का मुद्दा विधानसभा में भी उठ चुका है. धौलपुर विधायक शोभा रानी कुशवाह ने यह मामला विधानसभा में उठाया.
सांसद मनोज राजौरिया ने केंद्रीय पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल को पत्र लिख कर धौलपुर को कृष्णा सर्किट में जुड़वाने की मांग की है. फेसबुक और अन्य सोशल साइट पर कनेक्ट धौलपुर टू कृष्णा सर्किट हेस टैग के साथ रोजाना हजारों पोस्ट की जा रही हैं.
राज्य सरकार ने बजट से भी किया तीर्थराज मचकुंड को उपेक्षित
हाल ही में राज्य सरकार ने बजट पेश किया था. लेकिन बजट के अंतर्गत धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए धौलपुर जिले को वंचित रखा है. ऐतिहासिक तीर्थराज मचकुंड राजकीय सुपुर्दगी श्रेणी का मंदिर है. मंदिर महंत कृष्ण दास के मुताबिक 1954 में जागीर एक्ट खत्म होने के बाद सरकार द्वारा भगवान मचकुंड को नाबालिग माना था. ऐसे में भगवान के नाम से नगला भगत गांव में लगी करीब 12 सौ बीघा जमीन को शासन ने अपने स्वामित्व में ले लिया.
उसके बाद 1964 में भगवान की परवरिश, संरक्षण भोग, प्रसादी एवं श्रंगार के लिए 704 रुपए सालाना स्वीकृत किए थे. 2013 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस राशि को बढ़ाकर 12 सो रुपए सालाना कर दिया. उन्होंने बताया वर्तमान युग में महंगाई के दौर में 12 सौ रुपए सालाना नाकाफी साबित होते हैं. भगवान की परवरिश संरक्षण एवं प्रसादी का खर्च स्थानीय श्रद्धालुओं द्वारा वहन किया जाता है.
देवस्थान विभाग बेशकीमती धरोहर को लेकर गंभीर नहीं है. मौजूदा वक्त में ऐतिहासिक तीर्थराज मचकुंड की इमारत भी जर्जर एवं जीर्ण होती जा रही है. लेकिन मंदिर की परवरिश को लेकर सरकार पर्यटन विभाग, देवस्थान विभाग व पुरातत्व विभाग कतई गंभीर नहीं है. जिसके कारण बेशकीमती धरोहर अपने मूल अस्तित्व को खो रही है.
कृष्ण सर्किट से जुड़ने से धौलपुर को क्या होगा फायदा
यदि कृष्णा सर्किट से धौलपुर जुड़ता है तो यहां पर्यटकों और दर्शनार्थियों के यहां आने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. धौलपुर की विश्वपटल पर पहचान बनेगी. यहां का इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा. सड़क और होटलों के साथ विभिन्न पर्यटन स्थलों का विकास होगा.
देश विदेश से धार्मिक पर्यटक सीधे धौलपुर पहुचेंगे. अभी तक चंबल और डकैतों के लिए बदनाम धौलपुर को भगवान रणछोड़ नगरी के नाम से दुनिया में नई पहचान मिलेगी.