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माइनर नहर में निर्माण के साथ ही पड़ रही दरारें, किसानों ने जताया आक्रोश

धौलपुर जिले के सैपऊ उपखंड इलाके में माइनर नहर के निर्माण में किसानों ने घटिया सामाग्री का उपयोग करने का आरोप लगाया है. एक तरफ नहर का निर्माण चल रहा है तो दूसरी तरफ पीछे से नहर की परत में दरारें आ रही हैं.

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माइनर नहर में निर्माण के साथ ही पड़ रही दरारें
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Published : Jun 15, 2021, 11:48 AM IST

धौलपुर. जिले के सैपऊ उपखंड इलाके में रजौरा-घुघरई माइनर नहर के निर्माण में संबंधित ठेकेदार द्वारा घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा है. एक तरफ नहर का निर्माण चल रहा है तो दूसरी तरफ पीछे से नहर की परत तेज तपन से दरारें दे रही है. कार्यकारी एजेंसी द्वारा खेती सिंचाई के लिए माइनर में कुलावे भी नहीं लगाए जा रहे हैं. इसे लेकर किसानों में आक्रोश और गुस्सा है.

माइनर नहर में निर्माण के साथ ही पड़ रही दरारें

जल संसाधन विभाग के अधिकारी मौके पर भी पहुंच रहे हैं. लेकिन निर्माण करा रही कार्यकारी एजेंसी की मिलीभगत के कारण अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं. जब ईटीवी भारत का कैमरा माइनर की पटरी पर लगा तो ठेकेदार ने जेसीबी मशीन लगाकर पटरी को उखड़वाना शुरू कर दिया.

बता दें, जल संसाधन विभाग द्वारा किसानों की सिंचाई के लिए सैपऊ उपखंड इलाके की रजौरा खुर्द-घुघरई माइनर का निर्माण किया जा रहा है. इस माइनर के अंदर पार्वती डैम से पानी रिलीज किया जाता है जिससे किसानों को खेती के लिए बड़ी राहत मिलती है. हाल ही में जल संसाधन विभाग द्वारा वित्तीय स्वीकृति जारी कर माइनर निर्माण का टेंडर निजी ठेकेदार को दिया था.

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ईटीवी भारत के कैमरे को देखर ठेकेदार ने जेसीबी से तुड़वाई बनी हुई नहर

ठेकेदार द्वारा माइनर निर्माण में घटिया और निम्न स्तर की सामग्री का उपयोग किया जा रहा है. किसानों ने बताया संबंधित कार्यकारी एजेंसी द्वारा सीमेंट का कम उपयोग करने के साथ भारी तादाद में बजरी का उपयोग किया जा रहा है.

बजरी भी मिट्टी नुमा निर्माण कार्य में उपयोग की जा रही है. किसानों का कहना है- नहर की पटरी को बहुत ही कमजोर सामग्री से बनाया जा रहा है. पानी का तेज बहाव होने पर माइनर कभी भी टूट सकती है. निर्माण कार्य की पानी से तराई नहीं होने पर पटरी चटकने लगी है.

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माइनर नहर का निर्माण करते हुए मजदूर

निर्माण कार्य में महज मिक्सर मशीन का प्रयोग किया जा रहा है. जबकि जल संसाधन विभाग की गाइडलाइन में बैचिंग प्लांट द्वारा निर्माण होना चाहिए.

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माइनर निर्माण की सामाग्री तैयार करते हुए मजदूर

किसानों ने कार्यकारी एजेंसी एवं विभागीय अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए बताया कि खेती सिंचाई के लिए पॉइंट चिंन्हित कर कुलावे नहीं लगाए जा रहे हैं. इसकी वजह से सफल सिंचाई करने के लिए भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. किसानों ने जिला प्रशासन को भी शिकायत पत्र देकर अवगत करा दिया है. लेकिन प्रशासन द्वारा अभी तक मामले में संज्ञान नहीं लिया है.

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निर्माण में उपयोग की जा रही घटिया बजरी

निर्माण हुई माइनर में जगह-जगह पर पड़ी हुई दरारें दिखाई दे रही थी. उसके अलावा 3 इंच से कम की परत का निर्माण किया जा रहा है. जैसे ईटीवी भारत का कैमरा नहर की पटरी पर पहुंचा तो ठेकेदार ने आनन-फानन में जेसीबी मशीन से पटरी को तोड़ना शुरू कर दिया.

जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि निर्माण कार्य में सिर्फ पानी तराई की कमी रही है बाकी निर्माण कार्य सब ठीक-ठाक चल रहा है.

धौलपुर. जिले के सैपऊ उपखंड इलाके में रजौरा-घुघरई माइनर नहर के निर्माण में संबंधित ठेकेदार द्वारा घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा है. एक तरफ नहर का निर्माण चल रहा है तो दूसरी तरफ पीछे से नहर की परत तेज तपन से दरारें दे रही है. कार्यकारी एजेंसी द्वारा खेती सिंचाई के लिए माइनर में कुलावे भी नहीं लगाए जा रहे हैं. इसे लेकर किसानों में आक्रोश और गुस्सा है.

माइनर नहर में निर्माण के साथ ही पड़ रही दरारें

जल संसाधन विभाग के अधिकारी मौके पर भी पहुंच रहे हैं. लेकिन निर्माण करा रही कार्यकारी एजेंसी की मिलीभगत के कारण अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं. जब ईटीवी भारत का कैमरा माइनर की पटरी पर लगा तो ठेकेदार ने जेसीबी मशीन लगाकर पटरी को उखड़वाना शुरू कर दिया.

बता दें, जल संसाधन विभाग द्वारा किसानों की सिंचाई के लिए सैपऊ उपखंड इलाके की रजौरा खुर्द-घुघरई माइनर का निर्माण किया जा रहा है. इस माइनर के अंदर पार्वती डैम से पानी रिलीज किया जाता है जिससे किसानों को खेती के लिए बड़ी राहत मिलती है. हाल ही में जल संसाधन विभाग द्वारा वित्तीय स्वीकृति जारी कर माइनर निर्माण का टेंडर निजी ठेकेदार को दिया था.

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ईटीवी भारत के कैमरे को देखर ठेकेदार ने जेसीबी से तुड़वाई बनी हुई नहर

ठेकेदार द्वारा माइनर निर्माण में घटिया और निम्न स्तर की सामग्री का उपयोग किया जा रहा है. किसानों ने बताया संबंधित कार्यकारी एजेंसी द्वारा सीमेंट का कम उपयोग करने के साथ भारी तादाद में बजरी का उपयोग किया जा रहा है.

बजरी भी मिट्टी नुमा निर्माण कार्य में उपयोग की जा रही है. किसानों का कहना है- नहर की पटरी को बहुत ही कमजोर सामग्री से बनाया जा रहा है. पानी का तेज बहाव होने पर माइनर कभी भी टूट सकती है. निर्माण कार्य की पानी से तराई नहीं होने पर पटरी चटकने लगी है.

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माइनर नहर का निर्माण करते हुए मजदूर

निर्माण कार्य में महज मिक्सर मशीन का प्रयोग किया जा रहा है. जबकि जल संसाधन विभाग की गाइडलाइन में बैचिंग प्लांट द्वारा निर्माण होना चाहिए.

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माइनर निर्माण की सामाग्री तैयार करते हुए मजदूर

किसानों ने कार्यकारी एजेंसी एवं विभागीय अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए बताया कि खेती सिंचाई के लिए पॉइंट चिंन्हित कर कुलावे नहीं लगाए जा रहे हैं. इसकी वजह से सफल सिंचाई करने के लिए भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. किसानों ने जिला प्रशासन को भी शिकायत पत्र देकर अवगत करा दिया है. लेकिन प्रशासन द्वारा अभी तक मामले में संज्ञान नहीं लिया है.

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निर्माण में उपयोग की जा रही घटिया बजरी

निर्माण हुई माइनर में जगह-जगह पर पड़ी हुई दरारें दिखाई दे रही थी. उसके अलावा 3 इंच से कम की परत का निर्माण किया जा रहा है. जैसे ईटीवी भारत का कैमरा नहर की पटरी पर पहुंचा तो ठेकेदार ने आनन-फानन में जेसीबी मशीन से पटरी को तोड़ना शुरू कर दिया.

जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि निर्माण कार्य में सिर्फ पानी तराई की कमी रही है बाकी निर्माण कार्य सब ठीक-ठाक चल रहा है.

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