धौलपुर. कृषि विभाग के अधिकारियों ने आलू एवं सरसों फसल का निरीक्षण कर ईटीवी भारत की खबर पर सत्यता की मुहर लगाई है. करीब 10 दिनों से चल रहे खराब मौसम ने आलू और सरसों की फसल को भारी प्रभावित किया है. आलू फसल को झुलसा रोग ने चपेट लिया है तो वहीं सरसों की फसल में तना गलन और सफेद रोली रोग ने दस्तक दी है. कृषि विभाग के अधिकारियों ने जिले के ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा कर किसानों से रूबरू होकर फसल बचाव के उपाय बताए हैं.
सबसे अधिक आलू की फसल में नुकसान की संभावना बताई जा रही है. 40 से 50% तक फसल में नुकसान हुआ है जिससे उत्पादन में भारी गिरावट आएगी. उसके साथ ही सरसों और मिर्च की फसल भी रोग की चपेट में आई है. धौलपुर जिले में प्रमुख रूप से सरसों, गेहूं, आलू, चना, मटर के साथ नगदी फसलें की जाती हैं. पिछले 1 हफ्ते से मौसम के उलटफेर ने खेती का गणित बिगाड़ दिया है. पाला, कोहरा, सर्द हवा और बारिश ने रवि की फसल को भारी प्रभावित किया है.
सबसे अधिक नुकसान आलू की फसल में बताया जा रहा है. जिले में करीब 10 हजार एकड़ में आलू फसल की बुवाई की है. मौजूदा वक्त में आलू फसल पूरी तरह से झुलसा रोग की चपेट में आ चुकी है. उसके साथ सरसों फसल में तना गलन एवं सफेद रोली रोग ने दस्तक दी है. कृषि विभाग के अधिकारियों ने काश्तकारों से रूबरू होकर फसल बचाव के उपाय सुझाए हैं.
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सहायक कृषि अधिकारी धर्मेंद्र कुमार सैंपऊ उपखंड इलाके में फसल खराबे का जायजा लेने पहुंचे. सहायक कृषि अधिकारी ने खेतों में पहुंचकर पौधों का बारीकी से निरीक्षण किया. उन्होंने ईटीवी भारत की खबर पर मुहर लगाते हुए किसानों को फसल बचाव के लिए उपाय बताए हैं. ईटीवी भारत के माध्यम से काश्तकारों को बताते हुए कहा कि शुरुआत में आलू फसल झुलसा रोग की चपेट में आ चुकी है. ऐसे में किसान भाई कवकनाशी दवा का छिड़काव करें, उसके साथ मैनकोज़ेब दवा का भी फसल के पौधों पर स्प्रे करें, इसके लिए 400 से 500 ग्राम प्रति बीघा के अनुपात में दवा का उपयोग करना होगा.
दवा का घोल 10 से 15 लीटर पानी के अंदर किया जाएगा. अमुक उपाय करने से आलू फसल को झुलसा रोग से बचाया जा सकता है. उन्होंने बताया दूसरी बीमारी आलू और सरसों दोनों फसलों में संयुक्त रूप से प्रवेश कर आई है. इसके लिए काश्तकार जीवाणु नाशक दवाओं का प्रयोग करें, स्टेपडोसाइकलिंन 2 ग्राम प्रति लीटर के अनुपात में दबा डालकर दोनों फसलों के तानों पर छिड़काव करें. इस दवा का उपयोग करने से 10 से 15 दिन के अंतर्गत तना गलन रोग से फसल को मुक्ति मिल जाएगी. उन्होंने बताया मिर्च की फसल में भी शुरुआत में रोग के लक्षण दिखाई दे रहे हैं इसके लिए काश्तकार कवकनाशी दवा का प्रयोग कर कीड़े से फसल को बचा सकते हैं.