मेहंदीपुर बालाजी (दौसा). बालाजी मंदिर के समीप पहाड़ियों में पैंथर दिखने से ग्रामीणों में दहशत व्याप्त है. ग्रामीण निरज गर्ग, दुर्गा प्रसाद शर्मा और गोपाल निवासी भालपुर ने बताया कि मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के पीछे पहाड़ियों में पैंथर नीचे दिखाई दिया. पैंथर का मूवमेंट करीब एक महीने से दिखाई दे रहा था.
ग्रामीणों के मुताबिक वे लोग पहाड़ी पर स्थित शिव मंदिर में प्रदर्शन के लिए जा रहे थे. इसी दौरान पहाड़ी के नीचे उन लोगों को पैंथर दिखाई पड़ा. फिलहाल, उन लोगों ने पैंथर की फोटो भी खींच ली. उन लोगों ने बताया कि पैंथर दिन भर पहाड़ी क्षेत्र में रहता है और ज्यों ही शाम ढलती है तो कभी पहाड़ी की चोटी पर तो कभी पहाड़ी से नीचे की ओर आकर आबादी क्षेत्र से सूअर को उठा ले जाता है. पहाड़ी क्षेत्र के पशुपालकों की बकरियों को भी शिकार बना रहा है. वहीं कुछ दिन पहले पहाड़ी पर स्थित एक मंदिर में पैंथर बघेरा घुस गया और ग्रामीणों के पहुंचने से पहले ही वह जाली को तोड़कर वहां से भाग गया.
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पशुपालक बंटी सिंह ने बताया कि वह पहाड़ी पर अपनी बकरियों को लेकर गया था. वहां पर पैंथर (बघेरा) बकरे उठाकर ले गया. ऐसे ही दर्जनभर पशुपालकों के पशुओं को पैंथर ने शिकार बनाया है. इससे अब पशुपालक भी मवेशीयों को पहाड़ी पर ले जाने से कतराते हैं. लोगों ने कहा कि पहाड़ी पर मादा पैंथर के होने और साथ ही तीन से चार शावक भी साथ रहना बताया गया है. इसकी सूचना मीडिया द्वारा और लोगों ने भी वन विभाग को दे दी गई है.
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गौरतलब है कि तेज गर्मी के साथ ही पानी और शिकार की तलाश में वन्यजीवों की पहाड़ी क्षेत्र से आबादी की ओर आवाजाही बढ़ गई. जानकार सूत्रों के अनुसार धार्मिक नगरी के गहरौली, मेहंदीपुर, नांदरी, भालपुर, चादूसा, उदयपुरा और बालाजी वन क्षेत्र में विगत कुछ दिन से पैंथर की लगातार आवाजाही करने और लगातार मवेशियों के शिकार की घटनाओं से ग्रामीणों में दहशत बनी हुई है. वहीं चरावाहों का जंगल और पहाड़ी क्षेत्र की तरफ जाना मुश्किल हो गया है, जो इन दिनों पहाड़ियों पर जाने से कतरा रहे हैं. पैंथर भोजन और पानी की तलाश में आवाजाही करता हुआ आबादी क्षेत्र में बकरियों और सूअरों को अपना शिकार बना रहा है.
ग्रामीणों के अनुसार पैथर अब तक करीब एक दर्जन पशुओं को अपना शिकार बना चुका है. वहीं पैंथर के दिखने से लोगों में दहशत का माहौल है. ग्रामीणों ने वन विभाग को अवगत कराया, साथ ही व्यापक इंतजाम और सुरक्षा की मांग की है. लेकिन अभी तक वन विभाग द्वारा सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं.