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दौसा नगर परिषद चुनाव : सभापति चुनने को लेकर बाड़ाबंदी, रोज नई जगह बदल रहे पार्षद

नगर परिषद चुनाव में बाड़ाबंदी को लेकर अब दोनों पार्टियां और सख्त होती नजर आ रही हैं. भाजपा द्वारा कांग्रेस में सेंधमारी के डर के चलते कांग्रेस अपने पार्षदों को लेकर आए दिन जगह बदलने में लगी हुई हैं.

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दौसा नगर परिषद चुनाव में सभापति चुनने को लेकर बाड़ाबंदी में रोज नई जगह बदल रहे,पार्षद
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Published : Dec 17, 2020, 1:37 PM IST

दौसा. जिले में नगर परिषद चुनाव में बाड़ाबंदी को लेकर अब दोनों पार्टियां और सख्त होती नजर आ रही है. भाजपा द्वारा कांग्रेस में सेंधमारी के डर के चलते कांग्रेस अपने पार्षदों को लेकर आए दिन जगह बदलने में लगी हुई है. जिसके चलते अब भाजपा का कांग्रेस दोनों ही दलों में बड़ाबंदी और सख्त होती नजर आ रही है. अब बड़ाबंदी में पार्षदों के स्थान बदलने के साथ-साथ और सख्त कर एक-एक पार्षद पर नजर रखी जा रही है.

पढ़े. गहलोत सरकार के 2 साल : भाजयुमो मनाएगी आज काला दिवस

गौरतलब है कि दौसा नगर परिषद चुनाव में कांग्रेस के 24 भाजपा के 15 पार्षद जीत कर आए हैं. इनके अलावा 14 निर्दलीय और 2 बसपा के पार्षद भी निर्वाचित हुए हैं. सभापति बहुमत के लिए 28 पार्षदों की जरूरत है. ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी ममता चौधरी को मात्र 4 और भाजपा प्रत्याशी अलका तिवारी को 13 पार्षद की आवश्यकता है. हालांकि भाजपा की कमजोर रणनीति और आपसी फूट का लाभ उठाकर मतगणना और परिणाम घोषित होते ही कांग्रेस ने विधायक मुरारी लाल मीणा के नेतृत्व में अधिकतम निर्दलीय और बसपा पार्षदों को अपने पक्ष में कर लिया. अब अपने पक्ष के विधायकों को बाड़ाबंदी कर शहर से बाहर होटलों में ले जाकर ठहरा दिया.

पढ़े. गहलोत सरकार के 2 साल पूरे होने पर क्या बोले RLP संयोजक हनुमान बेनीवाल?

भाजपा ने जब तक एक राय बनाकर प्रत्याशी घोषित किया तब तक कांग्रेस अपना खेमा मजबूत कर चुकी थी. ऐसे में भाजपा को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है भाजपा अब कांग्रेसी में सेंधमारी के लिए पूरी तरह प्रयासरत है. लेकिन सफलता मिलती नजर नहीं आ रही. कांग्रेस भी किसी तरह का कोई रिस्क लेना नहीं चाहती इसलिए पार्षदों को शहर से कोसों दूर एक रिसोर्ट में ले जाकर ठहरा दिया.

जानकारी के अनुसार तकरीबन 225 किलोमीटर दूर सभी कांग्रेसी पार्षदों को एक रिसोर्ट में रखा गया है. बुधवार शाम को वहां से फिर से जगह बदल दी गई है और कांग्रेस के एक दर्जन नेता भी कांग्रेसी पार्षदों के साथ गए हुए हैं जो की पूरी तरह उन पर नजर बनाए हुए हैं.

यह भी पढ़े. रिपोर्ट कार्डः 2 साल...गहलोत सरकार...कैसे हाल?...कितने वादे पूरे...कितने अधूरे

वहीं भाजपा पार्षद भी शहर से 150 किलोमीटर दूर एक धार्मिक स्थल की होटल में ठहरे होने की जानकारी मिली है. फिलहाल होटल में सिर्फ पार्टी के पार्षद ही बताए जा रहे हैं. कुछ निर्दलीय अन्य जगहों पर बताए जा रहे हैं. ऐसे में 20 दिसंबर तक दोनों ही पार्टियां पूरी तरह सख्ती से बाड़ाबंदी में लगी रहेंगी. बता दें कि 20 तारीख को सभापति का चुनाव होने के बाद ही हालात सामान्य होंगे.

दौसा. जिले में नगर परिषद चुनाव में बाड़ाबंदी को लेकर अब दोनों पार्टियां और सख्त होती नजर आ रही है. भाजपा द्वारा कांग्रेस में सेंधमारी के डर के चलते कांग्रेस अपने पार्षदों को लेकर आए दिन जगह बदलने में लगी हुई है. जिसके चलते अब भाजपा का कांग्रेस दोनों ही दलों में बड़ाबंदी और सख्त होती नजर आ रही है. अब बड़ाबंदी में पार्षदों के स्थान बदलने के साथ-साथ और सख्त कर एक-एक पार्षद पर नजर रखी जा रही है.

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गौरतलब है कि दौसा नगर परिषद चुनाव में कांग्रेस के 24 भाजपा के 15 पार्षद जीत कर आए हैं. इनके अलावा 14 निर्दलीय और 2 बसपा के पार्षद भी निर्वाचित हुए हैं. सभापति बहुमत के लिए 28 पार्षदों की जरूरत है. ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी ममता चौधरी को मात्र 4 और भाजपा प्रत्याशी अलका तिवारी को 13 पार्षद की आवश्यकता है. हालांकि भाजपा की कमजोर रणनीति और आपसी फूट का लाभ उठाकर मतगणना और परिणाम घोषित होते ही कांग्रेस ने विधायक मुरारी लाल मीणा के नेतृत्व में अधिकतम निर्दलीय और बसपा पार्षदों को अपने पक्ष में कर लिया. अब अपने पक्ष के विधायकों को बाड़ाबंदी कर शहर से बाहर होटलों में ले जाकर ठहरा दिया.

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भाजपा ने जब तक एक राय बनाकर प्रत्याशी घोषित किया तब तक कांग्रेस अपना खेमा मजबूत कर चुकी थी. ऐसे में भाजपा को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है भाजपा अब कांग्रेसी में सेंधमारी के लिए पूरी तरह प्रयासरत है. लेकिन सफलता मिलती नजर नहीं आ रही. कांग्रेस भी किसी तरह का कोई रिस्क लेना नहीं चाहती इसलिए पार्षदों को शहर से कोसों दूर एक रिसोर्ट में ले जाकर ठहरा दिया.

जानकारी के अनुसार तकरीबन 225 किलोमीटर दूर सभी कांग्रेसी पार्षदों को एक रिसोर्ट में रखा गया है. बुधवार शाम को वहां से फिर से जगह बदल दी गई है और कांग्रेस के एक दर्जन नेता भी कांग्रेसी पार्षदों के साथ गए हुए हैं जो की पूरी तरह उन पर नजर बनाए हुए हैं.

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वहीं भाजपा पार्षद भी शहर से 150 किलोमीटर दूर एक धार्मिक स्थल की होटल में ठहरे होने की जानकारी मिली है. फिलहाल होटल में सिर्फ पार्टी के पार्षद ही बताए जा रहे हैं. कुछ निर्दलीय अन्य जगहों पर बताए जा रहे हैं. ऐसे में 20 दिसंबर तक दोनों ही पार्टियां पूरी तरह सख्ती से बाड़ाबंदी में लगी रहेंगी. बता दें कि 20 तारीख को सभापति का चुनाव होने के बाद ही हालात सामान्य होंगे.

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